लखनऊ : कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ इंदिरानगर थाने में दर्ज वसूली व भ्रष्टाचार मामले की जांच सीबीआई से कराने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ वादी डेविड मारियो डेनिस की ओर से दाखिल याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. न्यायालय ने मामले पर 14 फरवरी को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था.
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने डेविड मारियो डेनिस की याचिका पर पारित किया. याचिका में राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच सीबीआई से कराने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया था कि एसटीएफ ने मामले की जांच लगभग पूरी कर ली थी व चार्ज शीट दाखिल करने वाली थी. अचानक से जांच सीबीआई को देकर मामले के अभियुक्तों प्रो. विनय पाठक व उसके सहयोगी अजय मिश्रा के मदद का प्रयास किया गया है. यह भी कहा गया है कि प्रो. विनय पाठक को अब तक न तो गिरफ्तार किया गया है और न ही उससे कोई पूछताछ की गई है. वह कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर अब भी बना हुआ है.
उल्लेखनीय है कि प्रो. पाठक व प्राइवेट कम्पनी के मालिक अजय मिश्रा पर 29 अक्टूबर को लखनऊ के इंदिरानगर थाने में डेविड मारियो डेनिस ने एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि पाठक के आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान उसके कम्पनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के लिए अभियुक्तों ने 15 प्रतिशत कमीशन वसूला. उससे कुल एक करोड़ 41 लाख रुपये की वसूली अभियुक्तों द्वारा जबरन की जा चुकी है. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि वादी को उक्त अभियुक्तों से अपनी जान को खतरा है.