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चुनावी नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार सरकार का परिपक्व बजट है : प्रो. संजय गुप्ता - राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर संजय गुप्ता

योगी सरकार के वर्तमान कार्यकाल के पांचवें और आखिरी बजट को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे. चुनाव सिर पर हैं तो काफी कुछ लोकलुभावन हो सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों का भी यही मानना था, लेकिन सोमवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा प्रस्तुत बजट ने इन कयासों को दरकिनार कर दिया. इस बजट को लोकलुभावन चुनावी बजट कहना बिल्कुल गलत होगा. यह एक जिम्मेदार सरकार का परिपक्व बजट है. यह बात लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर संजय गुप्ता ने कही.

professor sanjay gupta
प्रोफेसर संजय गुप्ता.
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Published : Feb 22, 2021, 7:17 PM IST

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के वरिष्ठ शिक्षक और राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय गुप्ता मानते हैं कि योगी सरकार का पांचवां बजट चुनावी बजट बिल्कुल भी नहीं है. इसमें कोई लोकलुभावन वादे या घोषणाएं करने के बजाय समाज के हर वर्ग के साथ प्रदेश को विकास की एक नई राह दी गई है.

राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय गुप्ता ने कहा कि योगी सरकार के वर्तमान कार्यकाल के पांचवें और आखिरी बजट को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे. चुनाव सिर पर हैं तो काफी कुछ लोकलुभावन हो सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों का भी यही मानना था, लेकिन सोमवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा प्रस्तुत बजट ने इन कयासों को दरकिनार कर दिया. इस बजट को लोकलुभावन चुनावी बजट कहना बिल्कुल गलत होगा. इसमें न कोई वादे किए गए और न ही कोई लोकलुभावन घोषणा. बल्कि यह एक जिम्मेदार सरकार की ओर से एक परिपक्व बजट प्रस्तुत किया गया है.

'प्रस्तुत की गई आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की तस्वीर'
प्रोफेसर संजय गुप्ता ने कहा कि बजट में प्रदेश के मौजूदा हालातों के साथ समाज के हर वर्ग की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने का रास्ता दिया गया है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि यह राजनीतिक रूप से मजबूत नहीं है. इस बजट में प्रदेश के हर क्षेत्र और हर वर्ग के व्यक्ति के विकास की व्यवस्था की गई है. बजट के प्रावधान भारतीय संविधान के डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स का पूरा पालन कर रहे हैं. इसके माध्यम से एक आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की तस्वीर प्रस्तुत की गई है.

'बजट से लोगों को होगा काफी फायदा'
राजनीति शास्त्र विभाग के वरिष्ठ शिक्षक संजय गुप्ता ने कहा कि किसान इस समय बड़ा मुद्दा है. सरकार ने उनके तुष्टीकरण के बजाय एक मजबूत ढांचा देने की कोशिश की है. बिजली, पानी, फसली कर्ज, यह सब ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे हर किसान का वास्ता पड़ता है. इस समय कोरोना वायरस की बड़ी चर्चा है. हर व्यक्ति सरकार की ओर देख रहा है. सरकार के हर कदम पर चर्चा हो रही है. ऐसे में प्रदेश सरकार ने बजट में विशेष व्यवस्था कर सभी को राहत दी है. इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी जैसी संस्थान की घोषणा कर सरकार ने भविष्य में इस तरह की महामारी पर नियंत्रण और शोध का एक रास्ता तैयार किया है. इसे राजनीतिक दृष्टि से चाहे जैसा भी देखा जाए, लेकिन इसका सामाजिक फायदा बहुत ज्यादा है.

'...तो देश के अग्रणी राज्यों में होगा उत्तर प्रदेश'
युवाओं के लिए रोजगार, अच्छी शिक्षा, खेलकूद के लिए ओपन जिम और स्टेडियम जैसी व्यवस्था सरकार की सोच को दर्शाती है. इस बजट में पंचायती राज पर बहुत फोकस किया गया है. यह बजट चुनाव के लिहाज से बिल्कुल भी नहीं है. बल्कि प्रदेश को इसकी जरूरत थी. आने वाले समय में इसके अच्छे नतीजे सामने नजर आएंगे. अगर इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जा सका तो उत्तर प्रदेश देश में अग्रणी राज्यों में होगा.

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के वरिष्ठ शिक्षक और राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय गुप्ता मानते हैं कि योगी सरकार का पांचवां बजट चुनावी बजट बिल्कुल भी नहीं है. इसमें कोई लोकलुभावन वादे या घोषणाएं करने के बजाय समाज के हर वर्ग के साथ प्रदेश को विकास की एक नई राह दी गई है.

राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय गुप्ता ने कहा कि योगी सरकार के वर्तमान कार्यकाल के पांचवें और आखिरी बजट को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे. चुनाव सिर पर हैं तो काफी कुछ लोकलुभावन हो सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों का भी यही मानना था, लेकिन सोमवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा प्रस्तुत बजट ने इन कयासों को दरकिनार कर दिया. इस बजट को लोकलुभावन चुनावी बजट कहना बिल्कुल गलत होगा. इसमें न कोई वादे किए गए और न ही कोई लोकलुभावन घोषणा. बल्कि यह एक जिम्मेदार सरकार की ओर से एक परिपक्व बजट प्रस्तुत किया गया है.

'प्रस्तुत की गई आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की तस्वीर'
प्रोफेसर संजय गुप्ता ने कहा कि बजट में प्रदेश के मौजूदा हालातों के साथ समाज के हर वर्ग की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने का रास्ता दिया गया है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि यह राजनीतिक रूप से मजबूत नहीं है. इस बजट में प्रदेश के हर क्षेत्र और हर वर्ग के व्यक्ति के विकास की व्यवस्था की गई है. बजट के प्रावधान भारतीय संविधान के डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स का पूरा पालन कर रहे हैं. इसके माध्यम से एक आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की तस्वीर प्रस्तुत की गई है.

'बजट से लोगों को होगा काफी फायदा'
राजनीति शास्त्र विभाग के वरिष्ठ शिक्षक संजय गुप्ता ने कहा कि किसान इस समय बड़ा मुद्दा है. सरकार ने उनके तुष्टीकरण के बजाय एक मजबूत ढांचा देने की कोशिश की है. बिजली, पानी, फसली कर्ज, यह सब ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे हर किसान का वास्ता पड़ता है. इस समय कोरोना वायरस की बड़ी चर्चा है. हर व्यक्ति सरकार की ओर देख रहा है. सरकार के हर कदम पर चर्चा हो रही है. ऐसे में प्रदेश सरकार ने बजट में विशेष व्यवस्था कर सभी को राहत दी है. इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी जैसी संस्थान की घोषणा कर सरकार ने भविष्य में इस तरह की महामारी पर नियंत्रण और शोध का एक रास्ता तैयार किया है. इसे राजनीतिक दृष्टि से चाहे जैसा भी देखा जाए, लेकिन इसका सामाजिक फायदा बहुत ज्यादा है.

'...तो देश के अग्रणी राज्यों में होगा उत्तर प्रदेश'
युवाओं के लिए रोजगार, अच्छी शिक्षा, खेलकूद के लिए ओपन जिम और स्टेडियम जैसी व्यवस्था सरकार की सोच को दर्शाती है. इस बजट में पंचायती राज पर बहुत फोकस किया गया है. यह बजट चुनाव के लिहाज से बिल्कुल भी नहीं है. बल्कि प्रदेश को इसकी जरूरत थी. आने वाले समय में इसके अच्छे नतीजे सामने नजर आएंगे. अगर इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जा सका तो उत्तर प्रदेश देश में अग्रणी राज्यों में होगा.

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