नई दिल्ली: मुलायम सिंह यादव की आय से अधिक संपत्ति मामले (Disproportionate Assets Case) में सीबीआई की लगातार टाल मटोल के चलते याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है. याचिकाकर्ता की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने निचली अदालत को प्रोटेस्ट पिटीशन का संज्ञान लेने और अब तक की कार्यवाही रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल करने का निर्देश (Proceeding Report Summoned) दिया है. करीब 12 साल पुराने मामले में याचिकाकर्ता ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की थी.
सीबीआई पर लगाया कोर्ट को गुमराह करने का आरोप : याचिकाकर्ता अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि सीबीआई की ओर से कोर्ट को लगातार गुमराह करने का काम किया गया. दस से अधिक बार उनके बयान रिकॉर्ड कराए जाने के बावजूद अब तक मामले में कोई प्रगति नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि निचली अदालत सुनवाई की अगली तारीख 17 सितंबर को अब तक की कार्यवाही की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करे. साथ ही नवंबर में होने वाली सुनवाई में सेशन कोर्ट प्रोटेस्ट पिटीशन पर संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू करें.
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क्या है यह मामला : मामला सीबीआई के उस अभियान से जुड़ा था जिसमें सीबीआई मुलायम सिंह यादव की संपत्ति उनके घोषित स्रोतों से कई गुना अधिक होने का खुलासा कर रही थी. यादव परिवार की तरफ से यह कहा जाता है कि सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाकर मामला बंद कर दिया है. चतुर्वेदी का दावा है कि जांच अभी जारी है और सीबीआई ने कोई क्लोजर रिपोर्ट दाखिल नहीं की है. चतुर्वेदी ने अपने पूरक हलफनामे में सीबीआई कोर्ट को बताया है कि जांच एजेंसी सीबीआई अभी अपनी 2007 की रिपोर्ट पर कायम है.
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