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राजधानी में कर्मचारियों की संख्या कम होने के चलते नहीं सुधर रहे हालात, सफाई व्यवस्था को लेकर कही यह बात

प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की है, लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते मोहल्लों में कॉलोनियों में सफाई भी नहीं हो पा रही है.

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Published : Aug 2, 2023, 11:34 AM IST

वरिष्ठ संवाददाता धीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट

लखनऊ : राजधानी में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है. एक तरफ जहां कूड़ा उठान व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है, वहीं कर्मचारियों की कमी के चलते मोहल्लों में कॉलोनियों में सफाई भी नहीं हो पा रही है. इससे पूरे शहर में तमाम जगहों पर गंदगी नजर आती है. कई इलाकों में कर्मचारियों की संख्या में कमी के चलते यह व्यवस्था बदहाल हो चुकी है और हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी अपने ऐशबाग वार्ड में सफाई न होने का मुद्दा उठाया है.


करीब 11 हजार 300 कर्मचारी कार्यरत : दरअसल, राजधानी लखनऊ में इस समय करीब 11 हजार 300 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें करीब 8200 नियमित कर्मचारी हैं, बाकी संविदा और आउटसोर्सिंग वाले हैं. सब मिलाकर 11 हजार से अधिक इन कर्मचारियों के कंधों पर पूरे शहर की सफाई व्यवस्था का जिम्मा है. पिछले साल नगर निगम में 88 गांव को भी शहर के वार्डों में जोड़ दिया गया है, लेकिन सफाई कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई जा सकी है. ऐसे में पूरे शहर की सफाई व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाती है. कर्मचारियों के ऊपर लोड ज्यादा है. सफाई नियमित न होने और कई दिन तक कूड़ा उठाने, झाड़ू लगाने की समस्याओं को देखते हुए पार्षदों की तरफ से भी नाराजगी जताई जाती रही है. राजधानी लखनऊ में पूरे शहर में सफाई बदहाल है. जगह-जगह गन्दगी और कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. वार्डों व मोहल्लों और अन्य सड़कों पर कूड़े के ढेर लगे हैं. इसके साथ ही डोर टू डोर कूड़ा उठान नहीं हो रहा है. इस वजह से शहरभर में जगह-जगह कूड़े के डंपिंग यार्ड बन चुके हैं. नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही शहर के लोगों को इस अव्यवस्था से निजात मिलेगी.


नगर आयुक्त को लिखा पत्र : बारिश के मौसम में शहर की मुख्य सड़कों से लेकर गली मोहल्लों में कूड़े के ढेर स्वच्छता अभियान की पोल खोल रहे हैं. गंदगी के चलते बीमारी फैलने की आशंका भी बनी रहती है. समय पर कूड़े की सफाई नहीं होने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. कूड़े के ढेरों से निकलने वाली बदबू, मच्छर व मक्खियों से बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है. पूर्व मेयर, पूर्व डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने भी अपने वार्ड में अपने घर के आस-पास सफाई न होने को लेकर नगर आयुक्त को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है.

करीब 15 हजार कर्मचारियों की जरूरत : नगर निगम के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी सुनील रावत का कहना है कि 'वर्तमान समय में करीब 11 हजार सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं जो शहर की सफाई करते हैं, लेकिन इनके ऊपर काम का प्रेशर अधिक है. यह कर्मचारी दोपहर तक भी सफाई करते हैं. कई इलाकों में कर्मचारियों की संख्या कम होने के चलते सफाई व्यवस्था लेट होती है. हमारी शहर की सफाई पूरे व्यवस्थित तरीके से कराए जाने की बात की जाए तो करीब 15 हजार कर्मचारियों की जरूरत है, आने वाले कुछ समय में कर्मचारियों की जरूरत के अनुसार डिमांड पूरी होगी. शासन स्तर पर इस पर प्रयास चल रहा है कि हमारी कोशिश पूरे शहर की साफ-सफाई तरीके से हो.'

महात्मा गांधी वार्ड के पार्षद अमित चौधरी ने कहा कि 'पूरे शहर की सफाई व्यवस्था बदहाल हो चुकी है. कमर्चारियों की कमी के चलते सिर्फ मुख्य मार्गों और मुख्य स्थानों पर ही सफाई होती है. इससे क्षेत्र में अव्यवस्था रहती है, लोग परेशान होते हैं. हमारी सरकार से मांग है कि नगर निगम के कमर्चारियों की संख्या बढ़ाई जाए.' वहीं पार्षद संतोष राय कहते हैं कि 'शहर का सीमा विस्तार हुआ है, लेकिन कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई जा सकी है. नगर निगम अधिकारियों और मेयर से इस समस्या को दूर करने के लिए बात की है. अधिकारियों की लापरवाही के चलते सफाई व्यवस्था बदहाल है. नगर निगम के अफसरों को चाहिए कि कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर इस समस्या को दूर किया जाए, जिससे शहर की सफाई व्यवस्था ठीक हो सके.'

यह भी पढ़ें : निकोबार द्वीप समूह में सुबह-सुबह धरती कांपी, 5.0 तीव्रता के भूकंप के झटके हुए महसूस

वरिष्ठ संवाददाता धीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट

लखनऊ : राजधानी में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है. एक तरफ जहां कूड़ा उठान व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है, वहीं कर्मचारियों की कमी के चलते मोहल्लों में कॉलोनियों में सफाई भी नहीं हो पा रही है. इससे पूरे शहर में तमाम जगहों पर गंदगी नजर आती है. कई इलाकों में कर्मचारियों की संख्या में कमी के चलते यह व्यवस्था बदहाल हो चुकी है और हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी अपने ऐशबाग वार्ड में सफाई न होने का मुद्दा उठाया है.


करीब 11 हजार 300 कर्मचारी कार्यरत : दरअसल, राजधानी लखनऊ में इस समय करीब 11 हजार 300 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें करीब 8200 नियमित कर्मचारी हैं, बाकी संविदा और आउटसोर्सिंग वाले हैं. सब मिलाकर 11 हजार से अधिक इन कर्मचारियों के कंधों पर पूरे शहर की सफाई व्यवस्था का जिम्मा है. पिछले साल नगर निगम में 88 गांव को भी शहर के वार्डों में जोड़ दिया गया है, लेकिन सफाई कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई जा सकी है. ऐसे में पूरे शहर की सफाई व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाती है. कर्मचारियों के ऊपर लोड ज्यादा है. सफाई नियमित न होने और कई दिन तक कूड़ा उठाने, झाड़ू लगाने की समस्याओं को देखते हुए पार्षदों की तरफ से भी नाराजगी जताई जाती रही है. राजधानी लखनऊ में पूरे शहर में सफाई बदहाल है. जगह-जगह गन्दगी और कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. वार्डों व मोहल्लों और अन्य सड़कों पर कूड़े के ढेर लगे हैं. इसके साथ ही डोर टू डोर कूड़ा उठान नहीं हो रहा है. इस वजह से शहरभर में जगह-जगह कूड़े के डंपिंग यार्ड बन चुके हैं. नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही शहर के लोगों को इस अव्यवस्था से निजात मिलेगी.


नगर आयुक्त को लिखा पत्र : बारिश के मौसम में शहर की मुख्य सड़कों से लेकर गली मोहल्लों में कूड़े के ढेर स्वच्छता अभियान की पोल खोल रहे हैं. गंदगी के चलते बीमारी फैलने की आशंका भी बनी रहती है. समय पर कूड़े की सफाई नहीं होने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. कूड़े के ढेरों से निकलने वाली बदबू, मच्छर व मक्खियों से बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है. पूर्व मेयर, पूर्व डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने भी अपने वार्ड में अपने घर के आस-पास सफाई न होने को लेकर नगर आयुक्त को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है.

करीब 15 हजार कर्मचारियों की जरूरत : नगर निगम के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी सुनील रावत का कहना है कि 'वर्तमान समय में करीब 11 हजार सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं जो शहर की सफाई करते हैं, लेकिन इनके ऊपर काम का प्रेशर अधिक है. यह कर्मचारी दोपहर तक भी सफाई करते हैं. कई इलाकों में कर्मचारियों की संख्या कम होने के चलते सफाई व्यवस्था लेट होती है. हमारी शहर की सफाई पूरे व्यवस्थित तरीके से कराए जाने की बात की जाए तो करीब 15 हजार कर्मचारियों की जरूरत है, आने वाले कुछ समय में कर्मचारियों की जरूरत के अनुसार डिमांड पूरी होगी. शासन स्तर पर इस पर प्रयास चल रहा है कि हमारी कोशिश पूरे शहर की साफ-सफाई तरीके से हो.'

महात्मा गांधी वार्ड के पार्षद अमित चौधरी ने कहा कि 'पूरे शहर की सफाई व्यवस्था बदहाल हो चुकी है. कमर्चारियों की कमी के चलते सिर्फ मुख्य मार्गों और मुख्य स्थानों पर ही सफाई होती है. इससे क्षेत्र में अव्यवस्था रहती है, लोग परेशान होते हैं. हमारी सरकार से मांग है कि नगर निगम के कमर्चारियों की संख्या बढ़ाई जाए.' वहीं पार्षद संतोष राय कहते हैं कि 'शहर का सीमा विस्तार हुआ है, लेकिन कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई जा सकी है. नगर निगम अधिकारियों और मेयर से इस समस्या को दूर करने के लिए बात की है. अधिकारियों की लापरवाही के चलते सफाई व्यवस्था बदहाल है. नगर निगम के अफसरों को चाहिए कि कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर इस समस्या को दूर किया जाए, जिससे शहर की सफाई व्यवस्था ठीक हो सके.'

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