हैदराबाद: अगर आपको सत्ता की चाह में आम की फिक्रमंदी का सबब देखना है तो इन दिनों यूपी की सियासी गलियारों (Political corridors of UP) में ऐसे किरदारों की भरमार है. ये सुबह से लेकर शाम तक केवल व केवल जनहित के मुद्दों पर बात कर रहे हैं. हर किसी को दलित और अखलियतों (Dalits and Muslims) के साथ ही सूबे के बेरोजगार युवाओं (unemployed youth) की फिक्र सता रही है. लेकिन दर्द-ए-आम पर मरहम लगाने को सियासी मैदान में कूदे खास किरदारों के औचक सक्रियता ने जनता को चौकन्ना कर दिया है.
इन सब के बीच सूबे की सत्तारूढ़ भाजपा विकास के नाम पर जनता से जनसमर्थन की उम्मीद लगाए हुए हैं तो सपा मौजूदा सरकार की खामियों को मुद्दा बना सत्ता की गद्दी चाहती है. बसपा 'धोए तुलसी पत्ते' की तरह जुबान और मन दोनों के शुद्धिकरण में लगी है और पार्टी सुप्रीमो मायावती ब्राह्मण और दलित दोनों को साधने की कोशिश कर रही हैं.
लेकिन इन सबके बीच असल खेल तो कांग्रेस कर रही है. पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा बड़ी ही सावधानी से सीएम योगी के हर उस दुखते रग पर चोट कर रही हैं, जो आगे उनकी मुश्किलें बढ़ा सकता है.
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युवाओं को साधने में लगी कांग्रेस
दरअसल, आगामी यूपी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अब घर-घर पहुंचकर बेरोजगारी भत्ता फॉर्म भरवा रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिन रावत की मानें तो प्रदेश कांग्रेस युवाओं की ओर से संवाद किया जा रहा है. जिसमें साफ तौर से सरकारी नौकरी में भर्ती की प्रक्रिया को एक साल के भीतर पूरी करने की मांग की जा रही है.
इतना ही नहीं पार्टी कार्यकर्ता घर- घर पहुंचकर युवाओं से बेरोजगारी की समस्या पर बात करने के साथ ही बेरोजगारी भत्ता फॉर्म भी भरवा रहे हैं. वहीं, इसमें एसएमएस रजिस्ट्रेशन नंबर पूछा जा रहा है. साथ ही पार्टी परिवार की आय से संबंधित सवाल भी पूछ रही है.
ये है बेरोजगारी फॉर्म के अहम सवाल
ये है बेरोजगारी फॉर्म के अहम सवाल
क्या आप कभी नौकरी में थे?
हां या नहीं
क्या आप अपने परिवार पर आर्थिक रूप से आश्रित हैं ?
हां या नहीं
क्या आप पर शिक्षा लोन है ?
हां या नहीं
वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिन रावत ने कहा कि हम सूबे की सरकार से हर जिले में उद्योग खोलने और रोजगार की गारंटी देने के साथ ही नौकरी न देने की सूरत में बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा इन मांगों को पोस्टर के जरिए भी उठा रहे हैं. साथ ही सूबे के युवाओं को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ये सरकार केवल उद्घाटन और शिलान्यास से आगे की सोचती ही नहीं है.
बता दें कि कांग्रेस अपने इस प्रचार को लेकर इतनी अधिक संजीदा है कि इसे अभियान के शक्ल में चलाया जा रहा है. वहीं, पार्टी कार्यकर्ता सूबे के हर ब्लॉक में इसको लेकर जा रहे हैं. जिसमें यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी शामिल हैं.
लेकिन इन सब के बीच सबसे अहम सवाल यह है कि क्या प्रियंका की इस स्ट्रैटजी का सच में कोई असर होगा, क्या सूबे के यूथ कांग्रेस की ओर आकर्षित होंगे, क्या इस अभियान के जरिए कांग्रेस अपने खोए जनाधार को वापस पाने में सफल होगी?
खैर, अभी सूबे में विधानसभा चुनाव को कुछ माह शेष बचे हैं और परिणाम से पहले तो केवल कयास ही लगाए जा सकते हैं.
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