लखनऊ: निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज में जमकर धांधली हो रही है. प्रदेश के दूर-दराज के जिलों को छोड़ दें राजधानी में ही अंकुश नहीं लग पा रहा है. सरकार द्वारा इलाज का शुल्क तय होने के बावजूद मरीजों से वसूली जारी है. उनसे पीपीई किट, ग्लव्स, फेस शील्ड तक का पैसा लिया जा रहा है. कारनामे छिपाने के लिए मरीजों को कम्प्यूटराइज्ड बिल के बजाए अस्पताल के लेटर पैड पर सिर्फ जमा और बकाया धनराशि ही लिखकर थमाया जा रहा है. ऐसे में सरकार को संचालक भी टैक्स का चूना लगा रहे हैं.
2 लाख वसूला, 55 हजार का थमाया कच्चा बिल
फैजुल्लागंज निवासी नासिर (55) को 18 अप्रैल को कोरोना हो गया था. उन्हें पास के ही एवन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. पत्नी इशरत जहां के मुताबिक 3 दिन में अस्पताल ने 2 लाख रुपये वसूल लिए. इसमें पीपीई किट, ग्लव्स, फेस शील्ड तक के पैसे लिए गए. अधिक खर्चा होने पर वह मरीज को घर ले आए. डिस्चार्ज के वक्त एक पर्चे पर 15 हजार और दूसरे पर 40 हजार का भुगतान लिखकर कच्चा बिल थमा दिया गया. विरोध करने पर बिल कुछ दिन बाद घर पर भेजने की बात कहकर टाल दिया. जब अस्पताल के नंबर पर सम्पर्क किया गया तो कर्मचारी ने जानकरी होने से इंकार किया.
एक हफ्ते बाद मिला डेथ सर्टिफिकेट
हुसैनगंज निवासी इंद्रवीर को कोरोना हो गया था. बेटी प्रिया के मुताबिक पिता को रायबरेली रोड के आशी अस्पताल में भर्ती कराया गया. 10 से 21 अप्रैल तक इलाज में 10 लाख के करीब खर्च हुआ. इसमें पीपीई किट, ग्लव्स, फेश शील्ड और रोज 20 हजार रुपये ब्लड टेस्ट के नाम पर वसूले गए. काफी अनाप-शनाप पैसे लिए गए. इसके बाद भी पिता की मौत हो गई. मौत के बाद अधूरा बिल दिया गया और इलाज का ब्योरा देने में आनाकानी की गई. डेथ सर्टिफिकेट काफी प्रयास करके एक सप्ताह बाद मिला.
ऑक्सीजन के लिये दौड़ाया, पति की मौत
एलडीए कॉलोनी निवासी मनोज कुमार को कोरोना हो गया था. पत्नी विमला के मुताबिक आशी अस्पताल में पति को भर्ती कराया गया था. इस दौरान पीपीई किट, ग्लव्स, डॉक्टर का चार्ज, नर्सिंग केयर, ऑक्सीजन समेत कई तरह के शुल्क वसूले गए. हर रोज ब्लड टेस्ट के ही 18 से 20 हजार लिए जाते रहे. इस बीच ऑक्सीजन की व्यवस्था के लिए भी दौड़ाया गया. बीच में विमला को भी पॉजिटिव आने पर भर्ती कर लिया गया. ऐसे में विमला के इलाज के 5 लाख और मनोज के 11 लाख वसूले गए. 22 अप्रैल को मनोज की मौत हो गई. पूरा बिल और मरीज के कई कागज अस्पताल से मिले ही नहीं. मामले की शिकायत जिला प्रशासन से की गई है.
लाखों वसूले थमाया अधूरा बिल
नेहरू इन्क्लेव निवासी 28 वर्षीय अमित यादव को कोरोना हो गया था. परिजन शुभम के मुताबिक 18 अप्रैल को अमित को एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, यहां इलाज के नाम पर 3 लाख 76 हजार वसूले गए और बिल भी अधूरा दिया गया. अस्पताल से पूरा बिल मांगा गया, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. इस दौरान मरीज की हालत गंभीर हो गयी. इलाज में लापरवाही देख मामले की शिकायत डीएम-सीएमओ से की गई. साथ ही मरीज को दूसरे अस्पताल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया. इसके बाद 22 मई को मरीज की मौत हो गई. उनसे कोरोना के इलाज के नाम पर 7 लाख के करीब वसूला गया.
मनमानी वसूली पर 12 अस्पतालों पर मुकदमा
प्रदेश में निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के रेट फिक्स हैं. मगर सरकार के आदेश को दरकिनार कर अस्पतालों में लूट जारी है. लखनऊ में सबसे ज्यादा वसूली का धंधा चल रहा है. कारण, राज्य के विभिन्न जनपदों से इलाज के लिए मरीजों का आना है. ऐसे में अब तक लखनऊ के मेकवल अस्पताल, देवीना अस्पताल, जेपी अस्पताल और मेयो अस्प्ताल के प्रबंधक निदेशक और संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. वहीं आशी हॉस्पिटल, मेट्रो सिटी हॉस्पिटल, साईं लाइफ केयर पर जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं. अब तक प्रदेश में 12 निजी अस्पतालों के संचालकों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है.
निजी अस्पतालों में इलाज के क्या तय हैं रेट
निजी अस्पतालों में इलाज के लिए गत वर्ष का ही शासनादेश लागू किया गया है. शासनादेश के अनुसार नेशनल एक्रेडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल (एनएबीएच) प्रमाणपत्र वाले अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड के 10 हजार (जिसमें 1200 के पीपीई किट शामिल हैं) रुपये प्रतिदिन हैं. वहीं गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू का 15 हजार (2 हजार कीमत के पीपीई किट शामिल हैं) रुपये प्रतिदिन चार्ज है. इसमें सामान्य ऑक्सीजन स्पोर्ट्स सिस्टम शामिल है. वहीं अति गंभीर मरीजों के लिए, जिसमें आईसीयू-वेंटिलेटर सपोर्टेड है, उसका एक दिन का 18 हजार रुपये तय किया गया है. ऐसे ही बिना एनएबीएच वाले अस्पताल के लिए सामान्य बीमारी के लिए आइसोलेशन बेड का 8 हजार, गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू चार्ज 13 हजार और अति गंभीर के लिए आईसीयू-वेंटिलेटर चार्ज 15 हजार प्रतिदिन के रेट निर्धारित किए गए हैं.
कैसे चलता है इलाज में वसूली का खेल
दरअसल, सरकार का आदेश है कि इसमें सिर्फ बेड चार्ज, पीपीई किट को शामिल कर शुल्क तय किया गया है. इसमें खाना तक को शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में सर्विस, ट्रीटमेंट, डायग्नोसिस के नाम पर वसूली के रास्ते खुले हैं. लिहाजा, डॉक्टर का परामर्श शुल्क, नर्सिंग केयर चार्ज, ईसीजी, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी टेस्ट, दवाएं, ग्लव्स, फेस शील्ड, ब्लड ट्रांसफ्यूजन चार्ज आदि के नाम पर मनमाने चार्ज जारी हैं. वहीं कई अस्पताल ऑक्सीजन, खाना तक का दाम वसूल रहे हैं.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
एवन अस्पताल, एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज, आशी हॉस्पिटल के संचालकों ने कच्चा बिल और अनाप-शनाप वसूली से साफ इंकार कर दिया है. अस्पतलों का कहना है कि सभी मरीजों को बिल कम्प्यूटर से ही दिए जा रहे हैं.
इस संबंध में डीजी हेल्थ डॉ. डीएस नेगी ने कहा कि निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के रेट फिक्स हैं. अधिक शुल्क लेने वालों पर कार्रवाई की जा रही है. शिकायत की जांच कराकर पीपीई किट या अन्य के नाम पर मनमानी वसूली करने वाले संचालकों पर मुकदमा दर्ज कराए जा रहे हैं. महामारी के दौरान मनमानी करने की किसी को छूट नहीं है.