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कोरोना के इलाज के नाम पर निजी अस्पताल लगा रहे चूना, तय किए रेट - कोरोना वायरस

राजधानी लखनऊ कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसका निजी अस्पताल भरपूर फायदा उठा रहे हैं. निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के नाम पर मरीजों से लूट की जा रही है. निजी अस्पतालों की मनमानी से राजधानी लखनऊ के अफसर बेपरवाह हैं.

कोरोना के इलाज के नाम पर लखनऊ के निजी अस्पतालों में लूट.
कोरोना के इलाज के नाम पर लखनऊ के निजी अस्पतालों में लूट.
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Published : Apr 10, 2021, 5:41 PM IST

लखनऊ: कोरोना वायरस के बीच प्राइवेट अस्पतालों को लेकर कई ऐसी खबरें सामने आईं, जिसमें यह देखा गया कि ऐसे अस्पताल इलाज के नाम पर मरीजों से मनमानी कीमतें वसूल रहे हैं. सरकार भी इन अस्पतालों पर लगाम लगाने में नाकाम है. प्राइवेट अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के नाम रेट तय कर दिये हैं और मरीजों से जमकर वसूली की जा रही है.

कोरोना के इलाज के नाम पर लखनऊ के निजी अस्पतालों में लूट.

केस वन
ठाकुरगंज निवासी 75 वर्षीय एक बुजुर्ग को कोरोना हो गया. बेटे शुभम ने शहीद पथ स्थिति निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया. तीन दिन पहले भर्ती मरीज के इलाज के लिए काउंटर पर तीन लाख रुपये जमा कराए जा चुके हैं. शनिवार सुबह 10 बजे रिसेप्शन से पैसा जमा करने के लिए फोन फिर पहुंच चुका है.

केस टू
गोमती नगर स्थित निजी कोविड अस्पताल में निशातगंज निवासी 60 वर्षीय वृद्धा को लेकर परिवारीजन पहुंचे. गुरुवार को मरीज की शिफ्टिंग के समय ही डेढ़ लाख रुपये एडवांस जमा करवा लिए गए. बेटे मनीष के मुताबिक शाम तक 80 हजार और जमा करने का कहा गया है. मरीज की हालत अभी गंभीर बनी हुई है.

बता दें कि राजधानी में कोरोना के इलाज के नाम पर मनमानी वसूली के यह केस सिर्फ बानगी भर है. यहां सरकार ने आइसोलेशन वार्ड, आईसीयू, वेंटीलेटर के रेट भले ही फिक्स कर रखें हों, लेकिन जांच, सर्विस, कंसल्टेंट फीस समेत आदि के नाम पर लूट जारी है. स्थिति यह है कि निजी कोविड अस्पताल लेवल-थ्री में सप्ताह भर में भर्ती के दौरान मरीज से पांच से सात लाख की वसूली हो रही है. वहीं किडनी, हार्ट आदि की दिक्कत पर मनमाना चार्ज भी लिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें:- IIT प्रोफेसर का दावा, 20 से 25 अप्रैल के बीच पीक पर होगा कोरोना

महामारी एक्ट में कार्रवाई का आदेश
गत वर्ष 10 जुलाई को निजी अस्पताल में कोरोना के इलाज के रेट तय करने का आदेश जारी किया गया था. इसको लेकर सभी जिलों के डीएम और सीएमओ को निर्देश भी दिया गया था. इसमें तय रेट से अधिक वसूली करने वालों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई का आदेश है. पिछले साल निजी अस्पतालों में वसूली की शिकायत पर छापेमारी भी गई थी, लेकिन कार्रवाई करने में अधिकारी विफल रहे.

अस्पतालों के अलग-अलग चार्ज
शासन ने कोविड-19 के इलाज के लिए निजी अस्पतालों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा है. इसी के हिसाब से प्रतिदिन का शुल्क भी तय किया गया है. इनमें एनएबीएच प्रमाण पत्र वाले लेवल वन के हॉस्पिटल में आइसोलेशन का चार्ज 10,000 रुपये प्रतिदिन है. वहीं बिना एनएबीएच अस्पताल के आइसोलेशन बेड का 8,000 शुल्क तय किया गया है.

इसे भी पढ़ें:- अखिलेश यादव बोले- बढ़ रहे कोरोना केस, सीएम बने हैं स्टार प्रचारक

ऐसे ही लेवल-2 के हॉस्पिटल में एनएबीएच प्रमाण पत्र वाले अस्पताल में आईसीयू के 15,000, बिना प्रमाण पत्र वाले अस्पताल के 13,000 रुपये प्रतिदिन का तय किया गया है. वहीं लेवल-थ्री के एनएबीएच प्रमाणपत्र वाले हॉस्पिटल में आईसीयू का और वेंटिलेटर सपोर्ट का एक दिन का 18,000 रुपये तय है. वहीं बिना एनएबीएच प्रमाण पत्र वाले अस्पताल का 15,000 रुपये प्रतिदिन का शुक्ल हैं.

निजी अस्पताल ऐसे करते हैं वसूली
निजी अस्पताल मरीज के बिल में तमाम चार्ज लगाकर वसूली करते हैं. खासकर, अलग-अलग विशेषज्ञ के विजिट का दावा कर लंबा चार्ज लगाते हैं. इसके अलावा नर्सिंग केयर, लॉन्ड्री सर्विस, रियल टाइम मॉनिटरिंग के नाम पर बार-बार महंगी जांचें व अंदर की ही फार्मेसी की दवाएं देकर बड़ा बिल बनाते हैं. यही नहीं आरटीपीसीआर के 700 रुपये तय होने के बावजूद अधिक लिए जा रहे हैं. कई लैब व निजी अस्पताल पर 900 से 1000 तक आरटीपीसीआर टेस्ट लेने के आरोप लगे हैं.

शहर में कोरोना का ग्राफ

  • शहर में 13,470 वर्तमान में सक्रिय कोरोना के मामले.
  • अब तक 1,278 मरीजों की कोरोना से मौत.
  • अब तक 84,147 मरीजों ने वायरस को दी मात.
  • कोविड के 28 अस्पताल, 12 सरकारी और निजी.

क्या कहते हैं जिम्मेदार
राजधानी लखनऊ के सीएमओ डॉ. संजय भटनागर ने बताया कि सरकर ने निजी कोविड अस्पताल के शुल्क तय कर रखे हैं. यदि किसी से अधिक वसूली हो रही है तो वह लिखित शिकायत करे. मामले की जांच कराई जाएगी.

लखनऊ: कोरोना वायरस के बीच प्राइवेट अस्पतालों को लेकर कई ऐसी खबरें सामने आईं, जिसमें यह देखा गया कि ऐसे अस्पताल इलाज के नाम पर मरीजों से मनमानी कीमतें वसूल रहे हैं. सरकार भी इन अस्पतालों पर लगाम लगाने में नाकाम है. प्राइवेट अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के नाम रेट तय कर दिये हैं और मरीजों से जमकर वसूली की जा रही है.

कोरोना के इलाज के नाम पर लखनऊ के निजी अस्पतालों में लूट.

केस वन
ठाकुरगंज निवासी 75 वर्षीय एक बुजुर्ग को कोरोना हो गया. बेटे शुभम ने शहीद पथ स्थिति निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया. तीन दिन पहले भर्ती मरीज के इलाज के लिए काउंटर पर तीन लाख रुपये जमा कराए जा चुके हैं. शनिवार सुबह 10 बजे रिसेप्शन से पैसा जमा करने के लिए फोन फिर पहुंच चुका है.

केस टू
गोमती नगर स्थित निजी कोविड अस्पताल में निशातगंज निवासी 60 वर्षीय वृद्धा को लेकर परिवारीजन पहुंचे. गुरुवार को मरीज की शिफ्टिंग के समय ही डेढ़ लाख रुपये एडवांस जमा करवा लिए गए. बेटे मनीष के मुताबिक शाम तक 80 हजार और जमा करने का कहा गया है. मरीज की हालत अभी गंभीर बनी हुई है.

बता दें कि राजधानी में कोरोना के इलाज के नाम पर मनमानी वसूली के यह केस सिर्फ बानगी भर है. यहां सरकार ने आइसोलेशन वार्ड, आईसीयू, वेंटीलेटर के रेट भले ही फिक्स कर रखें हों, लेकिन जांच, सर्विस, कंसल्टेंट फीस समेत आदि के नाम पर लूट जारी है. स्थिति यह है कि निजी कोविड अस्पताल लेवल-थ्री में सप्ताह भर में भर्ती के दौरान मरीज से पांच से सात लाख की वसूली हो रही है. वहीं किडनी, हार्ट आदि की दिक्कत पर मनमाना चार्ज भी लिया जा रहा है.

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महामारी एक्ट में कार्रवाई का आदेश
गत वर्ष 10 जुलाई को निजी अस्पताल में कोरोना के इलाज के रेट तय करने का आदेश जारी किया गया था. इसको लेकर सभी जिलों के डीएम और सीएमओ को निर्देश भी दिया गया था. इसमें तय रेट से अधिक वसूली करने वालों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई का आदेश है. पिछले साल निजी अस्पतालों में वसूली की शिकायत पर छापेमारी भी गई थी, लेकिन कार्रवाई करने में अधिकारी विफल रहे.

अस्पतालों के अलग-अलग चार्ज
शासन ने कोविड-19 के इलाज के लिए निजी अस्पतालों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा है. इसी के हिसाब से प्रतिदिन का शुल्क भी तय किया गया है. इनमें एनएबीएच प्रमाण पत्र वाले लेवल वन के हॉस्पिटल में आइसोलेशन का चार्ज 10,000 रुपये प्रतिदिन है. वहीं बिना एनएबीएच अस्पताल के आइसोलेशन बेड का 8,000 शुल्क तय किया गया है.

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ऐसे ही लेवल-2 के हॉस्पिटल में एनएबीएच प्रमाण पत्र वाले अस्पताल में आईसीयू के 15,000, बिना प्रमाण पत्र वाले अस्पताल के 13,000 रुपये प्रतिदिन का तय किया गया है. वहीं लेवल-थ्री के एनएबीएच प्रमाणपत्र वाले हॉस्पिटल में आईसीयू का और वेंटिलेटर सपोर्ट का एक दिन का 18,000 रुपये तय है. वहीं बिना एनएबीएच प्रमाण पत्र वाले अस्पताल का 15,000 रुपये प्रतिदिन का शुक्ल हैं.

निजी अस्पताल ऐसे करते हैं वसूली
निजी अस्पताल मरीज के बिल में तमाम चार्ज लगाकर वसूली करते हैं. खासकर, अलग-अलग विशेषज्ञ के विजिट का दावा कर लंबा चार्ज लगाते हैं. इसके अलावा नर्सिंग केयर, लॉन्ड्री सर्विस, रियल टाइम मॉनिटरिंग के नाम पर बार-बार महंगी जांचें व अंदर की ही फार्मेसी की दवाएं देकर बड़ा बिल बनाते हैं. यही नहीं आरटीपीसीआर के 700 रुपये तय होने के बावजूद अधिक लिए जा रहे हैं. कई लैब व निजी अस्पताल पर 900 से 1000 तक आरटीपीसीआर टेस्ट लेने के आरोप लगे हैं.

शहर में कोरोना का ग्राफ

  • शहर में 13,470 वर्तमान में सक्रिय कोरोना के मामले.
  • अब तक 1,278 मरीजों की कोरोना से मौत.
  • अब तक 84,147 मरीजों ने वायरस को दी मात.
  • कोविड के 28 अस्पताल, 12 सरकारी और निजी.

क्या कहते हैं जिम्मेदार
राजधानी लखनऊ के सीएमओ डॉ. संजय भटनागर ने बताया कि सरकर ने निजी कोविड अस्पताल के शुल्क तय कर रखे हैं. यदि किसी से अधिक वसूली हो रही है तो वह लिखित शिकायत करे. मामले की जांच कराई जाएगी.

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