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मेडिकल कॉरपोरेशन पर लगे आरोप सिद्ध होने पर होगी कड़ी कार्रवाई: प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी

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Published : Oct 9, 2019, 10:21 PM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी में मेडिकल कॉरपोरेशन पर दवाइयों और इक्विपमेंट की खरीद-फरोख्त में धांधली के आरोप लग रहे हैं. इस पूरे मामले में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी को जांच के आदेश दिए हैं.

मेडिकल कॉरपोरेशन पर लगे आरोप.

लखनऊ: राजधानी में बीते कुछ दिनों से मेडिकल कॉरपोरेशन पर दवाइयों और इक्विपमेंट की खरीद-फरोख्त में धांधली करने के तमाम आरोप लग रहे हैं. वहीं इस बीच एक नया मामला मदर एंड चाइल्ड केयर में मॉनिटर से संबंधित आया है, जिसमें टेंडर प्रक्रिया को गलत तरीके से पास करने के आरोप लगे हैं. इस पूरे मामले में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी को जांच के आदेश दिए हैं.

मेडिकल कॉरपोरेशन पर लगे आरोप.

गड़बड़ी पाए जाने पर की जाएगी कार्रवाई
एक बार फिर से उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन द्वारा तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए एकतरफा फैसला कर एक कंपनी को टेंडर देने की तैयारी है. इस पूरे मामले पर जब प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर जांच कर रहे हैं. यदि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि पूरे मामले में पारदर्शिता बरती जाएगी.

स्वास्थ मंत्री ने दिए थे जांच के आदेश
यह मामला बीते दिनों सामने आया था. इसके बाद स्वास्थ मंत्री ने भी उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन की निदेशक श्रुति सिंह को सभी फाइलों के साथ तलब किया था. वहीं इस पूरे मामले पर प्रमुख सचिव के स्तर से जांच बैठा दी थी, लेकिन अभी भी हालात जस के तस बनी हुई है.

अधिकारी लगा रहे सरकार को चूना
34 जिलों में मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में बीते दिनों मॉनिटर लगने थे, लेकिन यह मॉनिटर लगाने की व्यवस्था अभी भी अधूरी है. दरअसल, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अधिकारी अपने पसंदीदा कंपनी को टेंडर देने की होड़ में लगे हुए हैं. इसके लिए अधिकारियों द्वारा मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में लगाए जाने वाले मॉनिटर की अब तक चार से पांच बार की टेंडर प्रक्रिया की जा चुकी है, लेकिन अभी तक उन्हें टेंडर में काम करने वाली कंपनियां नहीं मिल पाई हैं.

इसे भी पढ़ें:- विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर

अधिकारी टेंडर अपनी मनचाही कंपनी को देना चाहते हैं. अधिकारी ऐसी धांधली कर रहे हैं कि जिस कंपनी से सांठ-गांठ हो जाती है, उसी कंपनी को टेंडर में शामिल कर उसे पूरा कार्य दे दिया जाता है. टेंडर प्रक्रिया में सिर्फ एक कंपनी शामिल होने की वजह से सरकार को घाटा झेलना पड़ता है. टेंडर प्रक्रिया इसी वजह से की जाती है, जिससे कि सरकार को कम खर्चे में बेहतर स्वास्थ सेवाएं मिल पाएं, लेकिन अधिकारी अपने फायदे के लिए सरकार का नुकसान कर रहे हैं.

लखनऊ: राजधानी में बीते कुछ दिनों से मेडिकल कॉरपोरेशन पर दवाइयों और इक्विपमेंट की खरीद-फरोख्त में धांधली करने के तमाम आरोप लग रहे हैं. वहीं इस बीच एक नया मामला मदर एंड चाइल्ड केयर में मॉनिटर से संबंधित आया है, जिसमें टेंडर प्रक्रिया को गलत तरीके से पास करने के आरोप लगे हैं. इस पूरे मामले में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी को जांच के आदेश दिए हैं.

मेडिकल कॉरपोरेशन पर लगे आरोप.

गड़बड़ी पाए जाने पर की जाएगी कार्रवाई
एक बार फिर से उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन द्वारा तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए एकतरफा फैसला कर एक कंपनी को टेंडर देने की तैयारी है. इस पूरे मामले पर जब प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर जांच कर रहे हैं. यदि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि पूरे मामले में पारदर्शिता बरती जाएगी.

स्वास्थ मंत्री ने दिए थे जांच के आदेश
यह मामला बीते दिनों सामने आया था. इसके बाद स्वास्थ मंत्री ने भी उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन की निदेशक श्रुति सिंह को सभी फाइलों के साथ तलब किया था. वहीं इस पूरे मामले पर प्रमुख सचिव के स्तर से जांच बैठा दी थी, लेकिन अभी भी हालात जस के तस बनी हुई है.

अधिकारी लगा रहे सरकार को चूना
34 जिलों में मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में बीते दिनों मॉनिटर लगने थे, लेकिन यह मॉनिटर लगाने की व्यवस्था अभी भी अधूरी है. दरअसल, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अधिकारी अपने पसंदीदा कंपनी को टेंडर देने की होड़ में लगे हुए हैं. इसके लिए अधिकारियों द्वारा मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में लगाए जाने वाले मॉनिटर की अब तक चार से पांच बार की टेंडर प्रक्रिया की जा चुकी है, लेकिन अभी तक उन्हें टेंडर में काम करने वाली कंपनियां नहीं मिल पाई हैं.

इसे भी पढ़ें:- विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर

अधिकारी टेंडर अपनी मनचाही कंपनी को देना चाहते हैं. अधिकारी ऐसी धांधली कर रहे हैं कि जिस कंपनी से सांठ-गांठ हो जाती है, उसी कंपनी को टेंडर में शामिल कर उसे पूरा कार्य दे दिया जाता है. टेंडर प्रक्रिया में सिर्फ एक कंपनी शामिल होने की वजह से सरकार को घाटा झेलना पड़ता है. टेंडर प्रक्रिया इसी वजह से की जाती है, जिससे कि सरकार को कम खर्चे में बेहतर स्वास्थ सेवाएं मिल पाएं, लेकिन अधिकारी अपने फायदे के लिए सरकार का नुकसान कर रहे हैं.

Intro:उत्तर प्रदेश में बीते दिनों मेडिकल कॉर्पोरेशन के ऊपर दवाइयों से लेकर इक्विपमेंट की ख़रीद फ़रोख़्त मे धांधली के तमाम आरोप लग रहे हैं। वहीं इस बीच एक नया मामला मदर एंड चाइल्ड केयर में मॉनिटर संबंधित मामला आया है।जिसमें टेंडर प्रक्रिया से लेकर गलत कंपनी को टेंडर में नियमों की अनदेखी कर एक कंपनी को टेंडर मे शामिल करने की बात सामने आई है। इस पूरे मामले पर भी स्वास्थ्य मंत्री द्वारा बीते दिनों प्रमुख सचिव स्तर से जांच की बात कही गई थी।




Body:उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपए की लागत से मदर एंड चाइल्ड बैंक के लिए खरीदे जा रहे हैं।मॉनिटर नवजातों के लिए कारगर नहीं होंगे इन 1 से 30 दिन तक के बच्चों के लिए खरीदा जाना है। लेकिन मॉनिटर 1 माह से ऊपर के बच्चों पर ही काम करेंगे। कॉपरेशन के माध्यम से करीब 34 जिलों में 500 multi-parameter विदेशी खरीदनी है। उसके लिए करीब 15 करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया।वहीं इस पूरे मामले पर आरोप है कि ऑपरेशन के अधिकारी अपनी कंपनी को देने की तैयारी है। उन्होंने इस पूरे मामले पर जांच करने की बात कही गई है वही इस बीच एक बार फिर से इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन द्वारा तेजी दिखाते हुए तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए एक तरफा फैसला कर एक कंपनी को टेंडर देने की तैयारी में है।इस पूरे मामले पर जब हमने प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी से बातचीत करी तो उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर जांच कर रहे हैं। यदि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।उन्होंने कहा कि पूरे मामले में पारदर्शिता भी बरती जाएगी।बताते चलें यह मामला बीते दिनों सामने आया था इसके बाद स्वास्थ मंत्री ने भी उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन के निदेशक श्रुति सिंह को सभी फाइलों के साथ तलब किया था। तो वहीं इस पूरे मामले पर प्रमुख सचिव के स्तर से जांच बैठा दी थी। लेकिन अभी भी हालात जस के तस बने हुए हैं।

अधिकारी लगा रहे सरकार को चूना

34 जिलों में मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में बीते दिनों मॉनिटर लगने थे।लेकिन यह मॉनिटर लगाने की व्यवस्था अधर में है। दरअसल ऐसा इसलिए अधिकारी अपने पसंदीदा कंपनी को टेंडर देने की होड़ में लगे हुए। इसके लिए अधिकारियों द्वारा मदर एंड चाइल्ड के यूनिट में लगाए जाने वाले मॉनिटर की अब तक चार से पांच बार की टेंडर प्रक्रिया की जा चुकी है।लेकिन अभी तक उन्हें टेंडर मे काम करने वाली कंपनियों नहीं मिल पाई।अधिकारी टेंडर प्रक्रिया कंपनी में शामिल करना चाहते हैं।वही पांचवी बार की टेंडर प्रक्रिया में भी रातों रात टेंडर खुल जाता है और एक कंपनी को टेंडर में शामिल कर उसे पूरा कार्य दे दिया जाता है। टेंडर प्रक्रिया में सिर्फ एक कंपनी शामिल होने की वजह से सरकार को भी इस पूरे मामले में घाटा झेलना पड़ता है।टेंडर प्रक्रिया इसी वजह से लगाई जाती है जिससे कि सरकार को कम खर्चे में बेहतर स्वास्थ सेवाएं मिल पाए।लेकिन अधिकारी अपने फायदे के लिए सरकार का नुकसान करा रहे हैं।


बाइट- जय प्रताप सिंह, स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार


बाइट- देवेश चतुर्वेदी,प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य, उत्तर प्रदेश




Conclusion:एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
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