लखनऊः दो दिन पहले आई एनसीआरबी की रिपोर्ट में अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा. कई लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए इस रिपोर्ट पर टिप्पणी की थी, जिसके चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह से एनसीआरबी की रिपोर्ट की ब्रीफिंग देने को कहा था. इसी क्रम में बुधवार को राज्य सरकार की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें कैबिनेट मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने रिपोर्ट की ब्रीफिंग की.
एनसीआरबी की रिपोर्ट की ब्रीफिंग
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद बुधवार को कैबिनेट मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने एनसीआरबी की रिपोर्ट की ब्रीफिंग मीडिया वालों के समक्ष प्रस्तुत की. उन्होंने तीन उदाहरण देते हुए कहा कि 2017 से पहले का उत्तर प्रदेश और 2017 के बाद के प्रदेश में बहुत अंतर देखने को मिला है. पहला उदाहरण उपचुनाव के दौरान प्रदेश में कहीं भी और किसी भी बूथ पर कोई घटना नहीं हुई. दूसरा उदाहरण कुंभ मेले का भी आयोजन सफल रहा था और तीसरा प्रदेश में सभी धर्मों के त्योहार सकुशल और शांतिपूर्ण तरीके से मनाए गए हैं.
रिपोर्ट की ब्रीफिंग करते हुए कैबिनेट मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा कि एनसीआरबी की रिपोर्ट में क्राइम इन इंडिया 2017 के अनुसार भारत वर्ष में कुल 30,62,579 आईपीसी के अपराध पंजीकृत हुए हैं, जिसमें से 3,10,084 आईपीसी के अपराध उत्तर प्रदेश में घटित हुए हैं. यह अपराध देश में पंजीकृत अपराधों का 10.1 फीसदी है.
उक्त रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश की जनसंख्या अधिक है, जिस वजह से वहां अपराध की अधिक घटना पंजीकृत होती है. कैबिनेट मंत्री ने कहा कि एनसीआरबी के मुताबिक एक लाख की आबादी पर जो घटना घटित होती है. वह क्राइम रेट है.
एनसीआरबी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में लूट के 1.8 फीसदी क्राइम रेट में 16 स्थान, हत्या के मामले में देश में 22वां स्थान, दुष्कर्म मामले में 22वां स्थान, महिला संबंधी अपराध में 16वां स्थान रहा.
2017 की एनसीआरबी रिपोर्ट
एनसीआरबी की रिपोर्ट के आधार पर 2017 में पुलिस द्वारा कार्रवाई की गई है. उसमें देश के अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सापेक्ष उत्तर प्रदेश की तत्कालीन स्थिति के आधार पर गिरफ्तारी में प्रदेश का तीसरा, गिरफ्तार अभियुक्तों में दोष सिद्धी में तीसरा, महिला सम्बंधित दोष सिद्धी अपराधों में पहला और साइबर अपराध दोष सिद्धी में पहला स्थान उत्तर प्रदेश का रहा था.
2016 में राज्य में कुल 65 हजार 90 हिंसात्मक अपराधों की तुलना में 2017 में 64 हजार 450 मामले दर्ज किए गए थे. 2015 और 2016 की तुलना में कुल 27 प्रतिशत अपराधों की वृद्धी हुई थी. वर्तमान समय में सरकार के कार्यकाल में शत प्रतिशत मामले दर्ज किए जा रहे हैं. वहीं गम्भीर अपराधों में गिरावट आई है.
अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने कहा कि सोशल मीडिया की निगरानी की जा रही है. जो लोग माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.