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शिक्षक दिवस पर यूपी के तीन अध्यापकों को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी सम्मानित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिक्षक दिवस के मौके पर 50 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित करेंगी. सम्मान पाने वालों में यूपी के तीन शिक्षक हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 28, 2023, 5:51 PM IST

Updated : Aug 28, 2023, 11:11 PM IST

लखनऊ : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए पूरे देश भर से 50 शिक्षकों की सूची जारी की है. इस सूची में उत्तर प्रदेश के तीन शिक्षकों को भी शामिल किया गया है. इस सूची में मेरठ के सुधांशु शेखर पांडा, बुलंदशहर के चंद्र प्रकाश अग्रवाल और फतेहपुर के आशिया फारूकी शामिल हैं. इन सभी शिक्षकों को 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के अवसर पर राष्ट्रपति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेंगी. उत्तर प्रदेश से जिन शिक्षकों को इस राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है, उन्होंने अपने स्कूलों की तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया है. राष्ट्रपति शिक्षकों को पुरस्कार के तौर पर ₹50 हजार का चेक एक रजक पदक और प्रमाण पत्र प्रदान करेंगी. पुरस्कारों के लिए शिक्षकों का चयन ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत हुआ था. इस प्रक्रिया में सभी शिक्षकों को तीन चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था.

बेटियों को दी जाती है निशुल्क शिक्षा : राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की लिस्ट में सबसे पहला नाम उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के शिक्षक चंद्र प्रकाश अग्रवाल का है. चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सहित देश में अपने काम के बदौलत बड़ी पहचान बनाई है. वह बुलंदशहर के शिवकुमार जनता इंटर कॉलेज में तैनात हैं. यह जिले का पहला हाईटेक स्कूल है, यहां पर बेटियों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है. चंद्र प्रकाश अग्रवाल अपने विद्यालय में छात्र-छात्राओं को खगोलीय ज्ञान की जानकारी देते हैं. इसके अलावा विद्यालय की अपनी एक वेबसाइट भी है. जिसमें कई तरह की जानकारियां उपलब्ध हैं. इसके साथ ही विद्यालय की पुस्तकालय को भी पूरी तरह से ऑनलाइन किया गया है, जिसका लाभ सभी बच्चों को मिलता है.

'हमेशा से बेहतर काम करने की मिलती रही है प्रेरणा' : वहीं मेरठ केएल इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल सुधांशु शेखर को यह पुरस्कार उनके बेहतर कामों के लिए दिया है. उन्होंने 29 वर्षों तक शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है. डॉक्टर सुधांशु शेखर पांडा मूल रूप से भुवनेश्वर के रहने वाले हैं. डॉक्टर पांडे ने बताया कि 'उनकी पढ़ाई मेरठ के ऋषभ एकेडमी से हुई है, यहां बहुत समय पढ़ने के बाद वह कई शिक्षण संस्थानों में रहे. उन्होंने बताया कि अपने गुरुओं से हमेशा से उन्हें कुछ न कुछ आगे सीखने की प्रेरणा मिलती रही है. उन्होंने बताया कि शिक्षा क्षेत्र में काम के दौरान मैंने हमेशा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सोशल और इमोशनल लर्निंग पर फोकस किया है. उन्होंने अपने स्कूल के बच्चों को पढ़ाई में इंटरेस्ट जगाने के लिए कई रोचक चीजों के आविष्कार किये. इसी का परिणाम रहा है कि उनके स्कूल के कई बच्चों ने किताबें तक लिखी हैं.'



आशिया फारूकी ने नवाचार को बढ़ावा देकर विद्यालय की सूरत बदली : फतेहपुर नगर क्षेत्र की प्राथमिक विद्यालय अस्ति की शिक्षिका आशिया फारूकी को साल 2009 में हथगाम ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बुशहरा में बतौर सहायक शिक्षा नियुक्ति मिली थी. इसके बाद साल 2016 में उन्होंने नगर क्षेत्र के अस्ति प्राथमिक विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापिका का कार्यभार ग्रहण किया था. आशिया ने अपने विद्यालय में अपने खर्चों से नवाचार को बढ़ावा दिया. अपने विद्यालय में उन्होंने अकेले ही कक्षाओं का संचालन किया, साथ ही ज्वायफुल लर्निंग के माध्यम से बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि पैदा की. विशेष तौर पर उन्होंने बच्चों को वापस स्कूल में लाने पर बहुत काम किया. इसी का परिणाम था कि जब उन्होंने स्कूल ज्वाइन किया था, तब उनके विद्यालय में छात्रों की संख्या काफी कम थी. 2023 में उन्होंने ढाई सौ बच्चों को दोबारा स्कूल से जोड़ा.

यह भी पढ़ें : Mukesh Ambani Speech in Reliance 46th AGM : रिलायंस की AGM में कई घोषणाएं, जानिए क्या-क्या है खास

लखनऊ : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए पूरे देश भर से 50 शिक्षकों की सूची जारी की है. इस सूची में उत्तर प्रदेश के तीन शिक्षकों को भी शामिल किया गया है. इस सूची में मेरठ के सुधांशु शेखर पांडा, बुलंदशहर के चंद्र प्रकाश अग्रवाल और फतेहपुर के आशिया फारूकी शामिल हैं. इन सभी शिक्षकों को 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के अवसर पर राष्ट्रपति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेंगी. उत्तर प्रदेश से जिन शिक्षकों को इस राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है, उन्होंने अपने स्कूलों की तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया है. राष्ट्रपति शिक्षकों को पुरस्कार के तौर पर ₹50 हजार का चेक एक रजक पदक और प्रमाण पत्र प्रदान करेंगी. पुरस्कारों के लिए शिक्षकों का चयन ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत हुआ था. इस प्रक्रिया में सभी शिक्षकों को तीन चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था.

बेटियों को दी जाती है निशुल्क शिक्षा : राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की लिस्ट में सबसे पहला नाम उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के शिक्षक चंद्र प्रकाश अग्रवाल का है. चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सहित देश में अपने काम के बदौलत बड़ी पहचान बनाई है. वह बुलंदशहर के शिवकुमार जनता इंटर कॉलेज में तैनात हैं. यह जिले का पहला हाईटेक स्कूल है, यहां पर बेटियों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है. चंद्र प्रकाश अग्रवाल अपने विद्यालय में छात्र-छात्राओं को खगोलीय ज्ञान की जानकारी देते हैं. इसके अलावा विद्यालय की अपनी एक वेबसाइट भी है. जिसमें कई तरह की जानकारियां उपलब्ध हैं. इसके साथ ही विद्यालय की पुस्तकालय को भी पूरी तरह से ऑनलाइन किया गया है, जिसका लाभ सभी बच्चों को मिलता है.

'हमेशा से बेहतर काम करने की मिलती रही है प्रेरणा' : वहीं मेरठ केएल इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल सुधांशु शेखर को यह पुरस्कार उनके बेहतर कामों के लिए दिया है. उन्होंने 29 वर्षों तक शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है. डॉक्टर सुधांशु शेखर पांडा मूल रूप से भुवनेश्वर के रहने वाले हैं. डॉक्टर पांडे ने बताया कि 'उनकी पढ़ाई मेरठ के ऋषभ एकेडमी से हुई है, यहां बहुत समय पढ़ने के बाद वह कई शिक्षण संस्थानों में रहे. उन्होंने बताया कि अपने गुरुओं से हमेशा से उन्हें कुछ न कुछ आगे सीखने की प्रेरणा मिलती रही है. उन्होंने बताया कि शिक्षा क्षेत्र में काम के दौरान मैंने हमेशा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सोशल और इमोशनल लर्निंग पर फोकस किया है. उन्होंने अपने स्कूल के बच्चों को पढ़ाई में इंटरेस्ट जगाने के लिए कई रोचक चीजों के आविष्कार किये. इसी का परिणाम रहा है कि उनके स्कूल के कई बच्चों ने किताबें तक लिखी हैं.'



आशिया फारूकी ने नवाचार को बढ़ावा देकर विद्यालय की सूरत बदली : फतेहपुर नगर क्षेत्र की प्राथमिक विद्यालय अस्ति की शिक्षिका आशिया फारूकी को साल 2009 में हथगाम ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बुशहरा में बतौर सहायक शिक्षा नियुक्ति मिली थी. इसके बाद साल 2016 में उन्होंने नगर क्षेत्र के अस्ति प्राथमिक विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापिका का कार्यभार ग्रहण किया था. आशिया ने अपने विद्यालय में अपने खर्चों से नवाचार को बढ़ावा दिया. अपने विद्यालय में उन्होंने अकेले ही कक्षाओं का संचालन किया, साथ ही ज्वायफुल लर्निंग के माध्यम से बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि पैदा की. विशेष तौर पर उन्होंने बच्चों को वापस स्कूल में लाने पर बहुत काम किया. इसी का परिणाम था कि जब उन्होंने स्कूल ज्वाइन किया था, तब उनके विद्यालय में छात्रों की संख्या काफी कम थी. 2023 में उन्होंने ढाई सौ बच्चों को दोबारा स्कूल से जोड़ा.

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Last Updated : Aug 28, 2023, 11:11 PM IST
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