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संसद में सांसदों की उपस्थिति पर सवाल, कैसे उठाएंगे जनता की आवाज !

भारतीय जनता पार्टी के तमाम सांसद जिनकी संसद में उपस्थिति 80 फीसदी से कम है. उन सांसदों को लेकर सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ये लोग अपने क्षेत्र की जनता के मुद्दों को संसद तक कैसे पहुंचाते होंगे, जबकि ये खुद संसद नहीं पहुंच पाते.

संसद में सांसदों की उपस्थिति पर उठ रहे सवाल.
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Published : Mar 13, 2019, 11:41 PM IST

लखनऊ: देश की सबसे बड़ी सियासी पंचायत यानी संसद में उत्तर प्रदेश के जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति काफी कम रही. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के सांसद भी संसद से काफी गायब रहे. बीजेपी के कई ऐसे चर्चित चेहरे रहे जो संसद में उपस्थिति के राष्ट्रीय औसत 80 फीसद से भी कम संसद पहुंचे. ऐसे में सवाल उठता है कि यह सभी सांसद अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं और विकास कार्यों को लेकर संसद में आवाज बुलंद नहीं कर पाए.

संसद में सांसदों की उपस्थिति पर उठ रहे सवाल.


मथुरा से सांसद और फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी की संसद में उपस्थिति मात्र 39 फीसद रही. ऐसे में समझा जा सकता है कि हेमा मालिनी ने अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा के जनहित से जुड़े मुद्दे या अन्य समस्याओं को लेकर किस प्रकार से आवाज बुलंद की होगी. जब वह संसद में ठीक ढंग से अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाईं, तो समस्याओं को लेकर वह किस प्रकार से आवाज बुलंद कर पाई होंगी.


इसी तरह सुल्तानपुर से भाजपा के फायर ब्रांड नेता वरुण गांधी की संसद में उपस्थिति मात्र 75 फीसद ही रही. वरुण गांधी बीजेपी के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं और वह बीजेपी राष्ट्रीय युवा मोर्चा के महामंत्री जैसे तमाम पदों पर भी रह चुके हैं. वरुण गांधी भी तमाम मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं और अपनी अलग राय रखते रहे हैं लेकिन संसद में उपस्थित होने के मामले में फिसड्डी साबित हो गए.


वहीं आगरा से भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया भी संसद में उपस्थिति के मामले में फिसड्डी साबित हुए. रामशंकर कठेरिया की संसद में उपस्थिति मात्र 72 फीसद है. बहराइच से बीजेपी सांसद साध्वी सावित्रीबाई फुले ने भी संसद में अपनी उपस्थिति काफी कम दर्ज कराई. वह मात्र 71 फीसद ही संसद में उपस्थित हुईं.


राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री का कहना है कि संसद में सांसदों की उपस्थिति का ठीक ढंग से न होना बिल्कुल सही नहीं है. राजनीतिक दलों को इस बारे में मंथन करना होगा कि वह अपने पार्टी के सांसदों की उपस्थिति संसद में सुनिश्चित कराएं, जिससे क्षेत्र की जनता के जनहित से जुड़े मुद्दों पर वह संसद में आवाज उठाएं और जनता की आवाज बन सकें.


वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि संसद सदस्यों पर नजर रखने के लिए पार्टी का पार्लियामेंट बोर्ड भी है. वह इन सब मामलों पर चर्चा करके समय-समय पर उचित निर्णय लेता रहता है.

लखनऊ: देश की सबसे बड़ी सियासी पंचायत यानी संसद में उत्तर प्रदेश के जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति काफी कम रही. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के सांसद भी संसद से काफी गायब रहे. बीजेपी के कई ऐसे चर्चित चेहरे रहे जो संसद में उपस्थिति के राष्ट्रीय औसत 80 फीसद से भी कम संसद पहुंचे. ऐसे में सवाल उठता है कि यह सभी सांसद अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं और विकास कार्यों को लेकर संसद में आवाज बुलंद नहीं कर पाए.

संसद में सांसदों की उपस्थिति पर उठ रहे सवाल.


मथुरा से सांसद और फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी की संसद में उपस्थिति मात्र 39 फीसद रही. ऐसे में समझा जा सकता है कि हेमा मालिनी ने अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा के जनहित से जुड़े मुद्दे या अन्य समस्याओं को लेकर किस प्रकार से आवाज बुलंद की होगी. जब वह संसद में ठीक ढंग से अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाईं, तो समस्याओं को लेकर वह किस प्रकार से आवाज बुलंद कर पाई होंगी.


इसी तरह सुल्तानपुर से भाजपा के फायर ब्रांड नेता वरुण गांधी की संसद में उपस्थिति मात्र 75 फीसद ही रही. वरुण गांधी बीजेपी के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं और वह बीजेपी राष्ट्रीय युवा मोर्चा के महामंत्री जैसे तमाम पदों पर भी रह चुके हैं. वरुण गांधी भी तमाम मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं और अपनी अलग राय रखते रहे हैं लेकिन संसद में उपस्थित होने के मामले में फिसड्डी साबित हो गए.


वहीं आगरा से भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया भी संसद में उपस्थिति के मामले में फिसड्डी साबित हुए. रामशंकर कठेरिया की संसद में उपस्थिति मात्र 72 फीसद है. बहराइच से बीजेपी सांसद साध्वी सावित्रीबाई फुले ने भी संसद में अपनी उपस्थिति काफी कम दर्ज कराई. वह मात्र 71 फीसद ही संसद में उपस्थित हुईं.


राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री का कहना है कि संसद में सांसदों की उपस्थिति का ठीक ढंग से न होना बिल्कुल सही नहीं है. राजनीतिक दलों को इस बारे में मंथन करना होगा कि वह अपने पार्टी के सांसदों की उपस्थिति संसद में सुनिश्चित कराएं, जिससे क्षेत्र की जनता के जनहित से जुड़े मुद्दों पर वह संसद में आवाज उठाएं और जनता की आवाज बन सकें.


वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि संसद सदस्यों पर नजर रखने के लिए पार्टी का पार्लियामेंट बोर्ड भी है. वह इन सब मामलों पर चर्चा करके समय-समय पर उचित निर्णय लेता रहता है.

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लखनऊ। देश की सबसे बड़ी सियासी पंचायत यानी संसद में उत्तर प्रदेश के जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति काफी कम रही। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के सांसद भी खूब संसद से गायब रहे। बीजेपी के कई चर्चित चेहरे रहे जो संसद में उपस्थिति के राष्ट्रीय औसत 80 फीसद से भी कम संसद पहुंचे। ऐसे में सवाल उठता है कि यह सब सांसद अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं और विकास कार्यों को लेकर संसद में आवाज बुलंद नहीं कर पाए।



Body:उत्तर प्रदेश के मथुरा से सांसद फिल्म अभिनेत्री और बीजेपी के बड़े चेहरों में शुमार हेमा मालिनी की संसद में उपस्थिति मात्र 39 फीसद ही रही। ऐसे में समझा जा सकते है कि हेमा मालिनी ने अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा के जनहित से जुड़े मुद्दे या फिर अन्य समस्याओं को लेकर किस प्रकार से आवाज बुलंद की होगी जब वह संसद में ठीक ढंग से अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाईं तो फिर किस प्रकार से समस्याओं को लेकर वह आवाज बुलंद कर पाई होंगी कि यह अपने आप में समझा जा सकता है।
इसी प्रकार सुल्तानपुर से भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता वरुण गांधी की देश की संसद में उपस्थिति मात्र 75 फीसद ही रही वरुण गांधी बीजेपी के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं और वह बीजेपी राष्ट्रीय युवा मोर्चा के महामंत्री जैसे तमाम पदों पर भी रह चुके हैं वरुण गांधी भी तमाम मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं और अपनी अलग राय रखते रहे हैं लेकिन संसद में उपस्थित होने के मामले में फिसड्डी साबित हो गए।
आगरा से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर संसद तक पहुंचे रामशंकर कठेरिया भी उपस्थिति के मामले में फिसड्डी साबित हुए वह भी मात्र 72 फीसद संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कर पाएं
बहराइच से बीजेपी के टिकट पर संसद पहुंचने वाली भगवाधारी साध्वी सावित्रीबाई फुले भी काफी कम संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई वह मात्र 71 फीसद ही संसद पहुंची। सावित्रीबाई फुले बीजेपी नेता को लेकर भी तमाम तरह के आरोप भी लगाती रही है हालांकि वह अपने क्षेत्र की जनता की आवाज बुलंद करने और उनकी समस्याओं को लेकर संसद में आवाज उठाने में फिसड्डी साबित हुई लोकसभा चुनाव के ठीक पहले वह बीजेपी से बागी होकर कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
बाईट
राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि संसद में सांसदों की उपस्थिति ठीक ढंग से ना होना यह बिल्कुल ठीक नहीं है राजनीतिक दलों को इस बारे में मंथन करना होगा कि वह अपने पार्टी के सांसदों की उपस्थिति संसद में सुनिश्चित कराएं जिससे क्षेत्र की जनता के जनहित से जुड़े मुद्दों पर वह संसद में आवाज उठाएं और जनता की आवाज बन सकें।
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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने ईटीवी से बात करते हुए कहा कि संसद सदस्यों पर नजर रखने के लिए पार्टी का पार्लियामेंट बोर्ड भी है वह इन सब मामलों पर चर्चा करके समय समय पर उचित निर्णय लेता रहता है।




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