लखनऊ : दरगाह दादा मियां में सोमवार को परचम कुशाई का आयोजन किया गया. परचम कुशाई के साथ ही दादा मियां के उर्स मुबारक की तैयारियां शुरू हो गई हैं. हजारों के मजमे के बीच परचम को दरगाह के ऊपर लहराया गया. हज़रत ख्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह उर्फ दादा मियां के उर्स से पहले हुजूर पाक की पैदाइश वाले महीने रवीउल अव्वल की पहली तारीख को दरगाह दादा मियां में परचम कुशाई का प्रोग्राम होता है.
हर साल की तरह इस साल भी 21 से 25 रबीउल अव्वल (8 से 12 अक्टूबर) तक उर्स मुबारक होगा. 116वें उर्स मुबारक पर राष्ट्रीय एकता के आधार पर परंपरागत ढंग से परचम कुशाई का आयोजन हुआ. इसी के साथ उर्स की सभी तैयारियां शुरू हो गईं. हर साल की तरह इस साल भी सूफी नूर मोहम्मद फसाहती कानपुर से अपने मुरीदों के साथ परचम लेकर आए. हज़रत ख्वाजा मोहम्मद सबाहत हसन शाह सज्जादा नशीन व मुतव्वली दरगाह दादा मियां के मुबारक हाथों से लगाया गया. उन्होंने कहा कि उर्स की तैयारियों का सिलसिला शुरू हो गया है. हर साल की तरह इस साल भी पूरी शान के साथ उर्स मनाया जाएगा. उर्स में पूरे देशभर से अकीदतमंद आते हैं. उर्स में अकीदतमंद चादर चढ़ाते हैंं, मुरादे मांगते हैं. दरगाह में आने वाला खाली हाथ नहीं जाता.
परचम कुशाई से पहले महफिले सम़ा का आयोजन हुआ. जिसमें कव्वालों ने सूफियाना कलाम पेश किए. इससे पहले मस्जिद शाहे रज़ा के इमाम कारी ने परचम कुशाई के महत्व के बारे में लोगों को बताया. इस अवसर पर दरगाह शरीफ के मो. आरिफ ने खुशी का इज़हार करते हुए माहे रबीउल अव्वल की मुबारक बाद पेश की और शासन व प्रशासन से अपील की है कि उर्स के सभी कार्यक्रमों मे अपना पूरा सहयोग देने की कृपा करें. जिससे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक इस उर्स का आयोजन सही ढंग से हो सके.
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