लखनऊ: योगी कैबिनेट के विस्तार की चर्चा तेज हो गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की शुक्रवार को दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ हुई मीटिंग के बाद यह चर्चा और भी तेज हो गई है. कयास लगाया जा रहा है कि अगले सप्ताह में सीएम योगी मंत्रिमंडल को विस्तार दे सकते हैं. इसमें यूपी बीजेपी के कई महत्वपूर्ण चेहरों को शामिल किया जाएगा.
आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संगठन और सरकार सरकार में सामाजिक संतुलन बनाया जाएगा. इसका भी ध्यान रखना है कि सरकार में ऐसे चेहरों को शामिल किया किया जाए जो परिणाम देने वाले हैं. उन पर कोई दाग न हो.
संतुलन बनाने में जुटी बीजेपी
उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जीत मिली. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में 45 चेहरों को शामिल किया गया, जोकि विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर करीब एक दर्जन चेहरे कम थे. या फिर यूं कहें कि करीब एक दर्जन और चेहरों को शामिल किए जाने की पूरी गुंजाइश थी.
इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में चार मंत्रियों एसपी सिंह बघेल, मुकुट बिहारी वर्मा, प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी और सत्यदेव पचौरी को चुनाव लड़ाया गया. मुकुट बिहारी वर्मा चुनाव हार गए. बाकी तीन मंत्री लोकसभा पहुंच गए. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से सीएम योगी और भाजपा नेतृत्व की अनबन होने के बाद मंत्रिमंडल से उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया गया.ऐसे में चार मंत्रियों के स्थान रिक्त हो गए. इनकी रिक्त जगह भरने की कवायद तेज हो गयी है.
भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश महासचिव विद्या सागर सोनकर, विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया के अलावा सीएम योगी अपनी पसंद के कुछ चेहरों को शामिल करेंगे. विद्यासागर सोनकर की सक्रियता अच्छी है. दलित समाज से आते हैं. पूर्वांचल के जौनपुर से आने वाले सोनकर को मंत्री बनाये जाने से सोनकर समाज के बीच अच्छा संदेश जाएगा. दलित जातियों में से सोनकर समाज का भाजपा से जुड़ाव अच्छा है. पूर्वांचल की जातीय राजनीति को साधने में भी भाजपा को मदद मिलेगी.
अशोक कटारिया योगी मंत्रिमंडल में हो सकते हैं शामिल
पश्चिम उत्तर प्रदेश से गुर्जर विरादरी से आने वाले अच्छे वक्ता और कुशल संगठक अशोक कटारिया को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की प्रबल संभावनाएं हैं. सरकार में शामिल किए जाने से पश्चिम उत्तर प्रदेश में गुर्जर समाज को साधने में मदद मिलेगी. कटारिया के पास विद्यार्थी परिषद में लंबे समय तक काम करने का भी अनुभव है. इसका भी उन्हें लाभ मिलेगा.
विजय बहादुर पाठक को बीजेपी ला सकती है मंत्रिमंडल में
विजय बहादुर पाठक पार्टी के प्रदेश महासचिव हैं. पूर्वांचल के ब्राह्मण चेहरों में शामिल हैं. पाठक पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मौजूदा समय में हिमाचल के राज्यपाल कलराज मिश्र के बेहद करीबी माने जाते हैं. संगठन पर उनकी अच्छी पहुंच समझ मानी जाती है. यूपी बीजेपी के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल इन पर भरोसा करते हैं. इतनी बातें इनके साथ सकारात्मक हैं. कलराज मिश्र का करीबी होने का ठप्पा इनके लिए नकारात्मक पहलू है.
अनिल राजभर को कैबिनेट मंत्री का मिल सकता है दर्जा
ओमप्रकाश राजभर के स्थान पर योगी सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अनिल राजभर को कैबिनेट का दर्जा मिल सकता है. बीजेपी चाहती है कि ओमप्रकाश राजभर के अलग होने से पार्टी पर कोई असर न पड़े, इसके लिए जरूरी है कि अनिल राजभर का कद बढ़ाया जाए. अनिल राजभर बीजेपी से विधायक हैं. ओमप्रकाश राजभर के हटाए जाने के बाद उनके सभी दायित्वों की जिम्मेदारी अनिल राजभर को दे दी गई थी. कैबिनेट विस्तार के दौरान उन्हें कैबिनेट का दर्जा दिया जाना बाकी है. इसके अलावा कुछ पिछड़े चेहरों को शामिल किया जा सकता है. इसके अलावा ग्राम्य विकास मंत्री महेंद्र सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया जाना लगभग तय माना जा रहा है. सीएम योगी उन्हें बेहतर काम करने का तोहफा देंगे.
राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी का कहना है कि मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है कि वह अपने मंत्रिमंडल में किन चेहरों को शामिल करेंगे. योगी सरकार बनने के छह महीने बाद से ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि मंत्रिमंडल विस्तार किया जाना है, लेकिन अभी तक नहीं हो पाया. अब देखना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार कब करते हैं. सरकार के अस्तित्व में आने के साथ ही करीब एक दर्जन पद रिक्त थे और चार अन्य मंत्रियों के पद भी रिक्त हो गए. ऐसे में सरकार के अन्य मंत्रियों और मुख्यमंत्री पर कार्य का दबाव बढ़ा है. इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार जरूरी हो गया है.
अगले सप्ताह हो सकता है मंत्रिमंडल का विस्तार
कयास लगाया जा रहा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार अगले सप्ताह कर दिया जाएगा लेकिन इसमें उपचुनाव का पेच फस रहा है. प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. उप चुनाव से पहले मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद सरकार और संगठन पर पड़ने वाले नकारात्मक और सकारात्मक पहलुओं पर विचार किया जा रहा है. यदि संगठन को विस्तार से नकारात्मक पहलू भारी पड़ा पड़ता दिखा तो मंत्रिमंडल विस्तार रोका जा सकता है और यदि इसका असर सकारात्मक होता दिखा तो निश्चित तौर पर संगठन की तरफ से हरी झंडी दे दी जाएगी.