लखनऊ: राजधानी के मलिहाबाद इलाके का नाम शायद ही कोई हो जो न जानता हो. मलिहाबाद का दशहरी आम देश ही नहीं दुनिया में भी प्रसिद्ध है. इस बार लॉकडाउन के चलते आम की खेती करने वाले किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ था. लेकिन, अक्सर देखा जाता है कि रोगों के कारण भी आम की फसलें चौपट हो जाती हैं. फसलों को रोगों से बचाने के लिए बागवानों को क्या उपाय करना चाहिए, इस बारे में कृषि रक्षा अधिकारी धनंजय सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
आम की फसल को बीमारियों से ऐसे बचाएं. पहले से ही कर लें तैयारी
कृषि रक्षा अधिकारी धनंजय सिंह ने बताया कि अक्टूबर माह चल रहा है. इस समय हमें बागवान की अच्छे से गुड़ाई कर देनी चाहिए. प्रत्येक पौधे का थाला बना देना चाहिए. थाले का पेजिनेटर दो से ढाई मीटर से ज्यादा होना चाहिए. थाला पेड़ की ऊंचाई व एरिया की कवरिंग देखकर बनाना चाहिए. इस समय पौधे में गोबर की खाद, नाइट्रोजन फास्फोरस, डीएपी की कुछ मात्रा में और कुछ माइक्रोन्यूट्रिएंट्स डालने चाहिए. अच्छी फ्लावरिंग व गुणवत्ता युक्त फलों के लिए इन चीजों की बहुत आवश्यकता होती है.
आम की फसल को ऐसे बनाएं रोग मुक्त. बोरान की मात्रा कम होने से फट सकते हैं फलकृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि इनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कॉपर व बोरान होते हैं. बोरान की मात्रा ठीक से न होने पर फलों के फटने की संभावना होती है, जिससे फलों में सड़न होने लगती है. फलों की गुणवत्ता खराब हो जाती है और किसानों को अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं. सूक्ष्म पोषक तत्व व महत्वपूर्ण मेजर एलिमेंट्स को इसी समय दे देना चाहिए. उन्होंने बताया कि अक्टूबर से लेकर जनवरी माह तक पौधा खुद को फ्लावरिंग के लिए तैयार कर लेता है.
अक्टूबर-नवंबर माह में करें यह प्रक्रियाकृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर देखा जाता है कि अक्टूबर-नवंबर माह में रोगों का प्रकोप हो जाता है. मिलीवर के प्रकोप पर कीड़े निकलते हैं. उसी समय थाला बनाते वक्त मैलिथियान मिलाकर डालने से कीड़े मर जाते हैं. यह प्रक्रिया अक्टूबर-नवंबर माह में कर लेनी चाहिए. प्रत्येक पौधे में एक से डेढ़ मीटर की ऊंचाई पर ग्रीस लगा देनी चाहिए. ग्रीस लगाने के बाद तने पर प्लास्टिक से उसे बांधे दें. इससे जो मिलीवर नीचे से ऊपर चढ़ता है वह उसी में फंस जाएगा, जिसके बाद उसे निकाल कर नष्ट कर सकते हैं.
कोरोना में बागवानों को हुआ था नुकसान. लॉकडाउन के चलते नहीं पाए अच्छे रेट
कृषि रक्षा अधिकारी धनंजय सिंह ने बताया कि इस बार हम लोगों को फील्ड पर जाने के बाद यह जानकारी हो पाई. आम बागवानों को अच्छा रेट नहीं मिल पा रहा है. इस बार जब फसल तैयार हुई तो कोरोना के चलते देश में लॉकडाउन लग गया था. इसके चलते किसानों को बाजार नहीं मिल पाया था. इस बार यह भी पता चला है कि फलों की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं थी.
आम की खेती करने वाले किसान ऐसे करें तैयारी. 40 से 50 हजार हेक्टेयर में हैं आम के बागराजधानी के मलिहाबाद, माल, काकोरी, बख्शी का तालाब व सरोजिनी नगर इन विकास खंडों में आम के बगीचे बहुतायत में हैं. मोहनलालगंज और गोसाईगंज में कुछ हिस्सों में ही बगीचे हैं. पांच विकास खंडों में आम के बाग करीब 40 से 50 हजार हेक्टेयर में हैं. इन क्षेत्रों में सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं.