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श्री अंगद देव जी का मनाया गया प्रकाश पर्व, ऑनलाइन हुआ प्रसारण

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Published : May 12, 2021, 10:40 PM IST

लखनऊ में ऐतिहासिक श्री तेग बहादुर साहिब गुरूद्वारे की ओर से कोरोना मरीजों के तिमारदारों के लिए लंगर की व्यवस्था की गई.

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लखनऊ : राजधानी के नाका और गुरुद्वारा सहित अन्य गुरुद्वारों में 12 मई को सिक्खों के दूसरे गुरु साहिब श्री अंगद देव जी का प्रकाश पर्व और सरहिंद फतेह दिवस मनाया गया. इस अवसर पर गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन हुआ और गुरु साहिब के जीवन पर प्रकाश डाला गया. प्रकाश पर्व का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर किया गया.

यह भी पढ़ें: अपने ही आईटी और करामत कॉलेज जैसी भी NAAC ग्रेडिंग नहीं पा सका लखनऊ विश्वविद्यालय

शबद कीर्तन का किया गया गायन

ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिन्डोला में गुरु अंगद देव साहिब का प्रकाश पर्व व सरहिंद फतेह दिवस बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया गया. हुजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने शबद कीर्तन का गायन कर संगत को निहाल किया.

श्रीगुरु अंगद देव जी के जीवन पर डाला प्रकाश

ज्ञानी सुखदेव सिंह ने बताया कि गुरू अंगद देव जी का जीवन बहुत रहस्यमयी था. इनका पहला नाम भाई लाहिणा था. वह देवी के पुजारी थे. वह श्री गुरू नानक देव जी की वाणी सुनकर मुग्ध हो गये. उनके हृदय में गुरू जी के दर्शनों की लालसा जग गई. उन्होंने करतारपुर आकर गुरू जी के दर्शन किए. उन्हें दर्शन करके इतना आनन्द आया कि उन्होंने अपने आप को गुरू जी के हवाले कर दिया. दिन रात सेवा सिमरन में जुटे रहना इनके जीवन का मुख्य उद्देश्य बन गया.

गुरु नानक देव ने ली थी कई बार परीक्षा

श्री गुरू नानक देव जी ने कई बार अंगद देव जी की परीक्षा ली. वे हर बार परीक्षा में सफल होते रहे. इनकी विनम्रता और सेवा सिमरन को देखते हुए श्री गुरूनानक देव जी ने अपने दोनों पुत्रों को छोड़कर भाई लाहिणा जी को गुरू गद्दी सौंप दी. भाई लाहिणा से गुरू अंगद देव बना दिया. गुरु अंगद देव जी के 62 शबद श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं. उन्होंने गुरूमुखी लिपि की एक वर्णमाला को प्रस्तुत किया. वह लिपि बहुत जल्द लोगों में लोकप्रिय हो गई.

साहित्य केंद्रों की हुई स्थापना

उन्होंने बच्चों की शिक्षा में विशेष रूचि ली. उन्होंने विद्यालय और साहित्य केंद्रों की स्थापना की. नवयुवकों के लिए उन्होंने मल्ल-अखाड़ा की प्रथा शुरू की. गुरू जी के जीवन से हमको यह प्रेरणा मिलती है कि सेवा और सिमरन करने से मनुष्य बहुत ऊंचा बन जाता है. गुरू जी के दरबार में जहां आत्मा की खुराक के लिए भक्ति के लंगर चलते थे, वहीं शारीरिक खुराक के लिये भी आये अतिथियों के लिए चौबीस घंटे गुरू का लंगर भी चलता था. इसके बाद ज्ञानी जी ने सरहिंद फतेह दिवस पर व्याख्यान दिया.

अध्यक्ष ने दी बधाई

अंत में लखनऊ गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने साहिब श्री गुरू अंगद देव जी के प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) की बधाई देते हुए अपील की कि कोरोना बीमारी में सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें. घरों में ही वाहिगुरु का सिमरन कर इस पर्व को मनाएं. गुरुद्वारा के बाहर हरमिंदर सिंह टीटू, सतपाल सिंह मीत एवं हरविंदरपाल सिंह नीटा की देखरेख में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों ने गुरू का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया.

आयोजन का किया गया ऑनलाइन प्रसारण

गुरुद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने भक्तों की सुविधा को देखते पर्व का ऑनलाइन प्रसारण भी किया. पर्व का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल को देखते हुए किया गया. अध्यक्ष डाॅ. गुरुमीत सिंह ने सभी को पर्व की बधाई दी.

कोरोना मरीजों को दी सहायता

गुरद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि इस कोरोना महामारी के संकट के दौर में गुरुद्वारे में कोरोना मरीजों के तीमारदारों के लिए रोज लंगर की व्यवस्था की गई है. सचिव ने बताया कि गुरुद्वारा अध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह के नेतृत्व में गुरुद्वारा साहब से 10 हजार रोटियां एवं लंगर की सेवाएं ट्रामा सेंटर, शताब्दी अस्पताल, क्वीन मैरी अस्पताल, चारबाग स्टेशन, मेन चारबाग, ऐशबाग पुल पर करोना मरीजों के तीमारदारों के लिए लंगर दिया जा रहा है. इसके अलावा आवश्यकता अनुसार यथासंभव सेवाएं दी जा रहीं हैं.

लखनऊ : राजधानी के नाका और गुरुद्वारा सहित अन्य गुरुद्वारों में 12 मई को सिक्खों के दूसरे गुरु साहिब श्री अंगद देव जी का प्रकाश पर्व और सरहिंद फतेह दिवस मनाया गया. इस अवसर पर गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन हुआ और गुरु साहिब के जीवन पर प्रकाश डाला गया. प्रकाश पर्व का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर किया गया.

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शबद कीर्तन का किया गया गायन

ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिन्डोला में गुरु अंगद देव साहिब का प्रकाश पर्व व सरहिंद फतेह दिवस बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया गया. हुजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने शबद कीर्तन का गायन कर संगत को निहाल किया.

श्रीगुरु अंगद देव जी के जीवन पर डाला प्रकाश

ज्ञानी सुखदेव सिंह ने बताया कि गुरू अंगद देव जी का जीवन बहुत रहस्यमयी था. इनका पहला नाम भाई लाहिणा था. वह देवी के पुजारी थे. वह श्री गुरू नानक देव जी की वाणी सुनकर मुग्ध हो गये. उनके हृदय में गुरू जी के दर्शनों की लालसा जग गई. उन्होंने करतारपुर आकर गुरू जी के दर्शन किए. उन्हें दर्शन करके इतना आनन्द आया कि उन्होंने अपने आप को गुरू जी के हवाले कर दिया. दिन रात सेवा सिमरन में जुटे रहना इनके जीवन का मुख्य उद्देश्य बन गया.

गुरु नानक देव ने ली थी कई बार परीक्षा

श्री गुरू नानक देव जी ने कई बार अंगद देव जी की परीक्षा ली. वे हर बार परीक्षा में सफल होते रहे. इनकी विनम्रता और सेवा सिमरन को देखते हुए श्री गुरूनानक देव जी ने अपने दोनों पुत्रों को छोड़कर भाई लाहिणा जी को गुरू गद्दी सौंप दी. भाई लाहिणा से गुरू अंगद देव बना दिया. गुरु अंगद देव जी के 62 शबद श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं. उन्होंने गुरूमुखी लिपि की एक वर्णमाला को प्रस्तुत किया. वह लिपि बहुत जल्द लोगों में लोकप्रिय हो गई.

साहित्य केंद्रों की हुई स्थापना

उन्होंने बच्चों की शिक्षा में विशेष रूचि ली. उन्होंने विद्यालय और साहित्य केंद्रों की स्थापना की. नवयुवकों के लिए उन्होंने मल्ल-अखाड़ा की प्रथा शुरू की. गुरू जी के जीवन से हमको यह प्रेरणा मिलती है कि सेवा और सिमरन करने से मनुष्य बहुत ऊंचा बन जाता है. गुरू जी के दरबार में जहां आत्मा की खुराक के लिए भक्ति के लंगर चलते थे, वहीं शारीरिक खुराक के लिये भी आये अतिथियों के लिए चौबीस घंटे गुरू का लंगर भी चलता था. इसके बाद ज्ञानी जी ने सरहिंद फतेह दिवस पर व्याख्यान दिया.

अध्यक्ष ने दी बधाई

अंत में लखनऊ गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने साहिब श्री गुरू अंगद देव जी के प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) की बधाई देते हुए अपील की कि कोरोना बीमारी में सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें. घरों में ही वाहिगुरु का सिमरन कर इस पर्व को मनाएं. गुरुद्वारा के बाहर हरमिंदर सिंह टीटू, सतपाल सिंह मीत एवं हरविंदरपाल सिंह नीटा की देखरेख में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों ने गुरू का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया.

आयोजन का किया गया ऑनलाइन प्रसारण

गुरुद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने भक्तों की सुविधा को देखते पर्व का ऑनलाइन प्रसारण भी किया. पर्व का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल को देखते हुए किया गया. अध्यक्ष डाॅ. गुरुमीत सिंह ने सभी को पर्व की बधाई दी.

कोरोना मरीजों को दी सहायता

गुरद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि इस कोरोना महामारी के संकट के दौर में गुरुद्वारे में कोरोना मरीजों के तीमारदारों के लिए रोज लंगर की व्यवस्था की गई है. सचिव ने बताया कि गुरुद्वारा अध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह के नेतृत्व में गुरुद्वारा साहब से 10 हजार रोटियां एवं लंगर की सेवाएं ट्रामा सेंटर, शताब्दी अस्पताल, क्वीन मैरी अस्पताल, चारबाग स्टेशन, मेन चारबाग, ऐशबाग पुल पर करोना मरीजों के तीमारदारों के लिए लंगर दिया जा रहा है. इसके अलावा आवश्यकता अनुसार यथासंभव सेवाएं दी जा रहीं हैं.

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