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लखनऊ: निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों ने दो घंटे किया कार्य बहिष्कार

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Published : Sep 30, 2020, 10:43 PM IST

यूपी की राजधानी लखनऊ में पूर्वांचल डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को बिजली विभाग के कर्मचारियों ने दो घंटे तक कार्य बहिष्कार किया. इस दौरान कर्मियों ने सरकार को चेताया कि अगर बिजली विभाग के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द नहीं होता है, तो कर्मचारी पूर्ण हड़ताल करने को बाध्य होंगे और इसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी.

निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों ने दो घंटे किया कार्य बहिष्कार.
निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों ने दो घंटे किया कार्य बहिष्कार.

लखनऊ: पूर्वांचल डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को लखनऊ में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने दो घंटे तक कार्य बहिष्कार किया. इस दौरान कर्मियों ने सरकार को चेताया कि अगर बिजली विभाग के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द नहीं होता है, तो कर्मचारी पूर्ण हड़ताल करने को बाध्य होंगे और इसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी. बता दें इससे पहले सोमवार को संगठनों ने सहयोग सत्याग्रह चलाकर लगातार 48 घंटे दिन-रात काम किया था. उसके बाद निजीकरण के विरोध में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने फील्ड हॉस्टल से शाम को मशाल जुलूस निकालने का प्लान बनाया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोका और गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद अब मंगलवार को तीन बजे से पांच बजे तक कार्य बहिष्कार किया है.

दरअसल, जब से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण की सुगबुगाहट शुरू हुई है, तभी से बिजली विभाग के कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर सरकार से ऐसा नहीं करने का दबाव बना रहे हैं. मंगलवार को तीन बजे कर्मचारियों ने कार्यालयों में काम ठप कर दिया. उसके बाद बाहर निकलकर सरकार के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में नारेबाजी की. पांच बजे फिर से उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया. प्रदर्शन के दौरान सभी कर्मचारियों ने जोर देकर कहा कि सरकार को किसी कीमत पर निजीकरण की कार्रवाई नहीं करने देंगे. इसके लिए सभी संगठन एकजुट हैं. कर्मचारियों की एकता सरकार को जरूर नजर आएगी और इस तरह का फैसला करने से सरकार जरूर हिचकेगी. विद्युत मज़दूर संगठन ने भी चार से पांच बजे तक प्रदेश व्यापी सत्याग्रह किया. लखनऊ इकाई द्वारा लेसा भवन, रेसीडेंसी पर संगठन के पदाधिकारियों ने निजीकरण के विरोध में अपनी आवाज को बुलंद करते हुए सरकार एवं प्रबंधन से निजीकरण का प्रस्ताव वापस किए जाने की मांग रखी.

संगठन के महामंत्री श्रीचन्द्र ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि निजीकरण के होने से बिजली महंगी दरों पर कंपनियां बेचेंगी. जिसका प्रभाव आम उपभोक्ता पर पड़ना स्वाभाविक है. साथ ही पढ़े-लिखे युवाओं को सरकारी नौकरी से रोजगार के अवसर छिन जाएंगे. मीडिया प्रभारी विमल चंद्र पांडेय ने बताया कि लखनऊ इकाई द्वारा लगातार निजीकरण के विरोध में सत्याग्रह किया जाएगा. यदि निजीकरण के प्रस्ताव को वापस नहीं किया गया तो शीघ्र बड़े आंदोलन का आगाज किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेताओं की प्रशासन ने जो गिरफ्तारी की उसकी संगठन निंदा करता है.

लखनऊ: पूर्वांचल डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को लखनऊ में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने दो घंटे तक कार्य बहिष्कार किया. इस दौरान कर्मियों ने सरकार को चेताया कि अगर बिजली विभाग के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द नहीं होता है, तो कर्मचारी पूर्ण हड़ताल करने को बाध्य होंगे और इसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी. बता दें इससे पहले सोमवार को संगठनों ने सहयोग सत्याग्रह चलाकर लगातार 48 घंटे दिन-रात काम किया था. उसके बाद निजीकरण के विरोध में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने फील्ड हॉस्टल से शाम को मशाल जुलूस निकालने का प्लान बनाया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोका और गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद अब मंगलवार को तीन बजे से पांच बजे तक कार्य बहिष्कार किया है.

दरअसल, जब से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण की सुगबुगाहट शुरू हुई है, तभी से बिजली विभाग के कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर सरकार से ऐसा नहीं करने का दबाव बना रहे हैं. मंगलवार को तीन बजे कर्मचारियों ने कार्यालयों में काम ठप कर दिया. उसके बाद बाहर निकलकर सरकार के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में नारेबाजी की. पांच बजे फिर से उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया. प्रदर्शन के दौरान सभी कर्मचारियों ने जोर देकर कहा कि सरकार को किसी कीमत पर निजीकरण की कार्रवाई नहीं करने देंगे. इसके लिए सभी संगठन एकजुट हैं. कर्मचारियों की एकता सरकार को जरूर नजर आएगी और इस तरह का फैसला करने से सरकार जरूर हिचकेगी. विद्युत मज़दूर संगठन ने भी चार से पांच बजे तक प्रदेश व्यापी सत्याग्रह किया. लखनऊ इकाई द्वारा लेसा भवन, रेसीडेंसी पर संगठन के पदाधिकारियों ने निजीकरण के विरोध में अपनी आवाज को बुलंद करते हुए सरकार एवं प्रबंधन से निजीकरण का प्रस्ताव वापस किए जाने की मांग रखी.

संगठन के महामंत्री श्रीचन्द्र ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि निजीकरण के होने से बिजली महंगी दरों पर कंपनियां बेचेंगी. जिसका प्रभाव आम उपभोक्ता पर पड़ना स्वाभाविक है. साथ ही पढ़े-लिखे युवाओं को सरकारी नौकरी से रोजगार के अवसर छिन जाएंगे. मीडिया प्रभारी विमल चंद्र पांडेय ने बताया कि लखनऊ इकाई द्वारा लगातार निजीकरण के विरोध में सत्याग्रह किया जाएगा. यदि निजीकरण के प्रस्ताव को वापस नहीं किया गया तो शीघ्र बड़े आंदोलन का आगाज किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेताओं की प्रशासन ने जो गिरफ्तारी की उसकी संगठन निंदा करता है.

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