लखनऊ: शहर में एक इलाका है, न्यू हैदराबाद. इस इलाके में एक कॉलोनी है कालाकांकर. यहां रहने वाले कई लोगों ने अपने घर पर एक पोस्टर लगा रखा है..' यह मकान बिकाऊ है'. कॉलोनी वालों ने यह पोस्टर इसलिए लगा रखा है क्योंकि वे कॉलोनी के पास बसी झुग्गियों से परेशान हैं. झुग्गी भी नई नहीं है, पक्की है. यहां भी 40-45 साल से लोग रह रहे हैं. वह लोग एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
कॉलोनी वालों का कहना है कि झुग्गी में रहने वालों ने न सिर्फ अतिक्रमण कर रखा है बल्कि सफाई और सुरक्षा के लिए खतरा बन गए है. झुग्गीवालों की अपनी व्यथा है. उनका कहना है कि कालाकांकर कॉलोनी वाले आए दिन उन्हें हटाने की बात कहते हैं, जबकि वह चार दशक से नगर निगम को हाउस टैक्स और वॉटर टैक्स दे रहे हैं. उन्होंने बिजली का बिल भी भरते हैं. ऐसे में उनका रहना गैरकानूनी कैसे हैं ?
कॉलोनी वालों को सुरक्षा की चिंता, दिक्कत झुग्गीवालों से
कालाकांकर कॉलोनी में करीब 36 मकान है यानी इतने ही फैमिली यहां रहती है . यह एक गेटेट सोसायटी है और पॉश इलाकों में शुमार है. यहां के बाशिंदों ने कॉलोनी के विकास के लिए जन कल्याण समिति बना रखी है. समिति के सचिव डॉ रवि शंकर ने बताया कि कॉलोनी से सटे नालों पर झुग्गीवालों ने कब्जा कर लिया है. नालों पर 200 से अधिक परिवार रहते हैं. यहां रहने वालों के कारण न तो इलाके में सफाई रहती है और न ही हम सुरक्षित हैं. सोसायटी के लोग 5 साल से नगर निगम और प्रशासन से शिकायत कर रहे हैं, मगर कोई एक्शन नहीं हुआ. रविशंकर का कहना है कि अराजकता से परेशान होकर उन्होंने अपने घरों को बेचने का फैसला किया है. इसलिए ' यह मकान बिकाऊ है' के पोस्टर लगाए गए हैं.
आरोप, बहन-बेटियों का घर से निकलना हुआ मुश्किल
कॉलोनी के ही रहने वाले मयंक श्रीवास्तव का कहना है कि 25 वर्षों से वह इस कॉलोनी में रह रहे हैं. उनकी शिकायत है कि पिछले कुछ वर्षों से यहां रहने वालों का जीना दूभर हो गया है. नालों पर अतिक्रमण कर लोग कब्जा कर रहे हैं. कॉलोनी वालों की बहन-बेटियों का निकलना दूभर हो गया है. शासन प्रशासन से मदद नहीं मिली, इस कारण उन्होंने अपने घर को बेचने का फैसला लिया है.
हाउस टैक्स देते हैं झुग्गीवाले, अब कहां जाएं?
कालाकांकर कॉलोनी के पास झुग्गी रहने वाले संतोष कश्यप का कहना है कि यहां पर लोग 40-45 वर्षों से रह रहे हैं. कॉलोनी वाले लगातार झुग्गीवालों का विरोध कर रहे हैं. यहां रहने वाले नगर निगम का वाटर और हाउस टैक्स अदा करते हैं. 40 साल से झुग्गी में रहने वाले इसरार अहमद का कहना है कि आए दिन कॉलोनी वाले हम लोगों को हटाने की बात करते हैं. उन्हें कहीं मकान दे दिया जाए तो वे हट जाएंगे.
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सुरक्षा के लिए 2 शिफ्टों में पुलिस तैनात
वह इस बारे में उत्तरी डीसीपी रईस अख्तर का कहना है कि सरकारी नाले पर सबसे अधिक पक्की झुग्गी-झोपड़ी बनी हुई है. इनमें 30-35 वर्षों से लोग रह रहे हैं. सुरक्षा व्यवस्था के लिए यहां पर 24 घंटे निगरानी की जाती है. 2 शिफ्टों में पुलिस की ड्यूटी लगाई गई है. यदि कोई भी अराजकता करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
महापौर बोली, नाले को कब्जामुक्त कराया जाएगा
लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया का कहना है कि हमारे पास अभी तक इस मामले को लेकर कोई नहीं आया है. नाले पर अतिक्रमण के बारे में कुछ लोगों ने बताया था. नगर आयुक्त अजय द्विवेदी को निर्देश दे दिया गया है कि वह इस पूरे मामले की जांच कराएं. महापौर का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण अभी किसी को विस्थापित नहीं किया जा सकता. मगर जल्द ही नाले को कब्जे से मुक्त कराया जाएगा.