लखनऊ: कैंसर के मरीजों की संख्या प्रदेश में बढ़ती जा रही है. वहीं राजधानी के अस्पतालों में सरकारी पेट स्कैन की मशीनें दो ही हैं. ऐसे में जांच कराने के लिए महीनों की वेंटिंग है. ऐसे में अब केजीएमयू में तीसरी मशीन लगाई जाएगी. इससे मरीजों को भी काफी राहत मिलेगी.
राज्य में एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान में ही सीटी (PET) पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी स्कैन मशीन है. सिर्फ दो ही मशीन होने से अभी एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान में दो-दो महीने की वेंटिंग चल रही है. ऐसे में सरकार ने अब केजीएमयू में भी पेट स्कैन मशीन लगाने का फैसला किया है. सरकारी क्षेत्र में राज्य में यह तीसरी पेट स्कैन होगी. पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी स्कैन मशीन के जरिये शरीर के किसी भी अंग में छिपे कैंसर का आसानी से पता लगाया जा सकता है. साथ ही मौजूद कैंसर सेल किन-किन अंगों तक पहुंच बना चुके हैं, इस मशीन के जरिए इसका भी सटीक पता लगाया जा सकता है. कैंसर का पता लगने के बाद डॉक्टरों को इलाज की प्लानिंग करना आसान हो जाता है. वह कैंसर की सर्जरी, कीमोथेरेपी या फिर रेडियोथेरेपी से सफाए का फैसला ले सकते हैं.
13 करोड़ की होगी मशीन
केजीएमयू के कुलपति डॉ विपिन पुरी के मुताबिक, पेट स्कैन मशीन करीब 13 करोड़ की है. यह संस्थान के शताब्दी भवन में लगाई जाएगी. इसके लिए बंकर का निर्माण शुरू हो गया है. ऐसे में संस्थान में कैंसर के इलाज के लिए आने वाले मरीजों को पेट स्कैन जांच के लिए एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान नहीं भटकना होगा.
रेडियोट्रेसर की डोज से कैंसर सेल्स की पहचान
पेट स्कैन को पोजीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी कहते हैं. इस मशीन से शरीर में सेल्युलर लेवल पर हो रहे बदलाव का पता लगाया जा सकता है. इसके लिए मरीज की जांच से पहले एक रेडियो ट्रेसर इंजेक्शन की डोज दी जाती है. इसमें कम मात्रा में रेडियोएक्टिव पदार्थ भी होता है. यह पदार्थ शरीफ के कैंसर सेल में ही जाकर चिपक जाता है. इससे जब मरीज मशीन में शिफ्ट किया जाता है तो इसकी इमेजिंग हो जाती है. इससे शुरुआती कैंसर का भी आसानी से पता लग जाता है.
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