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कुलियों पर भारी पड़ रही कोरोना महामारी, खाने-पीने के पड़े लाले

लखनऊ में कोरोना महामारी के चलते पिछले काफी दिनों से कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है. जिसके चलते राजधानी में ट्रेनों की संख्या के साथ यात्रियों की संख्या में काफी गिरावट आई है. इसका सबसे ज्यादा असर स्टेशन पर यात्रियों का बोझा उठाने वाले कुलियों पर पड़ा है. उनके सामने पेट भरने के साथ परिवार पालने की समस्या उत्पन्न हो गई है.

कुली.
कुली.
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Published : Jun 1, 2021, 4:54 PM IST

Updated : Jun 1, 2021, 6:44 PM IST

लखनऊ: कोरोना महामारी के चलते देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन या फिर आंशिक कोरोना कर्फ्यू लगा है. राजधानी लखनऊ में पिछले काफी दिनों से कोरोना कर्फ्यू लगा है. ऐसे में तमाम ट्रेनें बेपटरी हो गई हैं. आधे से भी कम ट्रेनें चल रही हैं और यात्रियों की भी संख्या काफी कम है. इन दोनों का असर सीधे तौर पर दूसरों का भार उठाकर जिंदगी की गुजर-बसर करने वाले कुलियों पर पड़ा है. कोरोना से सबसे ज्यादा अगर कोई वर्ग प्रभावित हुआ है तो वह है रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों का भार ढोने वाले कुली. तमाम ट्रेनों के पहिए थम गए हैं तो कुलियों के कदम भी थम गए हैं. उन पर यह आंशिक लॉकडाउन वज्रपात की तरह टूटा है. उनकी जिंदगी आजकल उधारी पर चल रही है. साहूकार से उधार लेकर किसी तरह कुली अपना परिवार पाल रहे हैं. सरकार ने भी अभी उन्हें कोई मदद नहीं दी है.

परेशानियां बताते कुली.

बेपटरी हुई कुलियों की जिंदगी
लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन और लखनऊ जंक्शन पर कुली प्रतीक्षालय बनाया गया है. यहां पर कुली बैठकर यात्रियों का इंतजार करते हैं कि जब यात्री आएं तो उनका सामान लेकर ट्रेन तक पहुंचाएं और इससे जो कमाई हो उससे अपना परिवार पाल सकें. कोरोना महामारी के चलते आज कल इन कुलियों की जिंदगी बेपटरी हो गई है. ट्रेनों की संख्या आधे से भी कम है और यात्री भी पहले की तुलना में कई गुना कम हो गए हैं. लिहाजा, कुलियों की आय का साधन भी खत्म हो गया है. कुलियों को अब अच्छे दिन का इंतजार है. अब वे चाहते हैं कि जल्द कोरोना महामारी खत्म हो और पहले वाले दिन आ जाएं. सभी ट्रेनें पटरी पर लौट सकें और यात्रियों की संख्या भी बढ़ जाए.

लखनऊ मंडल में हैं कुल 383 रजिस्टर्ड कुली
उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के सभी स्टेशनों को मिलाकर कुल 323 रजिस्टर्ड कुली हैं. उत्तर रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में 240 रजिस्टर्ड कुली हैं, वही पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के जनसंपर्क अधिकारी महेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि लखनऊ जंक्शन, ऐशबाग स्टेशन और बादशाह नगर स्टेशन को मिलाकर कुलियों की संख्या 83 है. यानी दोनों मंडलों में 323 रजिस्टर्ड कुली हैं, जिन्हें इन दिनों महामारी के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है.

लखनऊ मंडल से संचालित हो रहीं सिर्फ इतनी ट्रेनें
कोविड-19 के दौर से पहले आम दिनों में ट्रेनों की कोई कमी नहीं थी. चारबाग रेलवे स्टेशन के साथ ही उत्तर रेलवे के स्टेशनों से रोजाना पहले 291 ट्रेनों का आवागमन होता था, लेकिन अब सिर्फ 170 ट्रेनें यहां से चलती हैं और पास होती हैं. पूर्वोत्तर रेलवे के पीआरओ महेश कुमार गुप्ता के मुताबिक लखनऊ मंडल से चलने और यहां के स्टेशनों से गुजरने वाली ट्रेनों को मिलाकर पहले यह संख्या 365 थी, लेकिन कोरोना का ट्रेनों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. वर्तमान में लखनऊ मंडल से सिर्फ 91 ट्रेनें ही संचालित की जा रही हैं.

रह गए सिर्फ इतने यात्री
बात अगर लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन और लखनऊ जंक्शन की करें तो जब कोरोना वायरस का प्रकोप नहीं था तब प्लेटफार्म यात्रियों से खचाखच भरे रहते थे. अब स्थिति यह है कि जहां चारबाग स्टेशन से पहले रोजाना करीब ढाई लाख यात्रियों का आवागमन होता था जो अब सिर्फ 90 हजार तक ही सीमित रह गया है. लखनऊ जंक्शन के साथ ही अन्य स्टेशनों को मिलाकर जहां पहले 80,000 से 1 लाख के बीच रोजाना यात्री सफर करते थे. यह संख्या घटकर अब सिर्फ 21 हजार रह गई है.

पेट पालना हो रहा है मुश्किल
ट्रेनों और यात्रियों की संख्या आधे से भी कम रह जाने से कुलियों की जिंदगी पर इसका असर साफ नजर आ रहा है. कुली शिवराम विश्वकर्मा बताते हैं कि बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. घर में 8 लोग हैं. कुछ खेती से काम चलता है तो कुछ मेहनत मजदूरी करके काम चल पा रहा है. इस समय बहुत ज्यादा दिक्कत है. जब मजदूरी नहीं हो पाती है तो उधार लेकर काम चलाना पड़ता है. घर के खर्चे हैं, शादी विवाह में भी जाना होता है, लेकिन अभी तक सरकार और रेलवे ने कुलियों की किसी तरह की मदद नहीं की है. अब पेट के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता है.

कोरोना के डर से सेवा नहीं ले रहे यात्री
कुली संतोष कुमार को भी कोरोना ने बुरी तरह प्रभावित किया है. स्टेशन पर बैठे-बैठे दिन कट जाता है लेकिन यात्री नहीं मिलते हैं, जिससे कमाई का जरिया खत्म सा होता लग रहा है. संतोष बताते हैं कि काफी दिक्कत हो रही है. जान बचाने की भी दिक्कत है. कोरोना वायरस फैलता है इस डर से यात्री अपना सामान भी कुलियों को देने से कतराते हैं. सेवा ही नहीं ले रहे हैं. घर में 5 लोग हैं. खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा है. बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी है. लॉकडाउन में पढ़ाई भी नहीं हुई और फीस भी ले ली गई. बहुत दिक्कत हो रही है.

नहीं निकल रही पब्लिक, उधार लेकर चला रहे काम
रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के इंतजार में बैठे कुली सादिक बताते हैं कि ट्रेन तो चल रही हैं, लेकिन पब्लिक नहीं निकल रही. खर्चा नहीं चल पा रहा है क्योंकि सामान की लोडिंग ही नहीं हो रही है. किसी भी तरह गाड़ी खिसक रही है. बस परिवार चल रहा है. रोजी रोटी का बहुत ज्यादा संकट खड़ा हो गया है. उधार लेकर कैसे भी खर्च चल रहा है. जब ट्रेन पटरी पर लौटेगी तब कमाई करके उधारी वापस निबटाएंगे. अभी तक किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है.

कुलियों को सरकार से मदद की उम्मीद
चारबाग रेलवे स्टेशन पर सभी कुलियों की समस्याओं से इतर बुजुर्ग कुली मुजीबुल्लाह को किसी तरह की कोई समस्या नहीं है. वे अब तक मिली सरकार की मदद से भी खुश हैं और अभी जो स्थितियां हैं उनसे भी उन्हें कोई खास दिक्कत नहीं है. कुली मुजीबुल्लाह बताते हैं कि ट्रेन कम जरूर चल रही हैं. स्पेशल चलाई जा रही हैं. यात्री आ जा रहे हैं. दो पैसे की कमाई हो जा रही है. बस यह दौर है कि हमें सुरक्षित रहने की जरुरत है. वे कहते हैं कि एक दो तीन चार, कोरोना की होगी हार. कुली मुजीबुल्लाह का यह भी कहना है कि पिछले लॉकडाउन में सरकार ने खूब मदद की थी. कई बार राशन घर पहुंचाया था. रुपए पैसे से भी मदद हुई थी. इस बार भी सरकार सभी कुलियों की मदद जरूर करेगी.

इसे भी पढे़ं- ओवैसी पर भड़के योगी के मंत्री, कहा- बंद करें मुजफ्फरनगर में दंगा भड़काने की कोशिश

लखनऊ: कोरोना महामारी के चलते देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन या फिर आंशिक कोरोना कर्फ्यू लगा है. राजधानी लखनऊ में पिछले काफी दिनों से कोरोना कर्फ्यू लगा है. ऐसे में तमाम ट्रेनें बेपटरी हो गई हैं. आधे से भी कम ट्रेनें चल रही हैं और यात्रियों की भी संख्या काफी कम है. इन दोनों का असर सीधे तौर पर दूसरों का भार उठाकर जिंदगी की गुजर-बसर करने वाले कुलियों पर पड़ा है. कोरोना से सबसे ज्यादा अगर कोई वर्ग प्रभावित हुआ है तो वह है रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों का भार ढोने वाले कुली. तमाम ट्रेनों के पहिए थम गए हैं तो कुलियों के कदम भी थम गए हैं. उन पर यह आंशिक लॉकडाउन वज्रपात की तरह टूटा है. उनकी जिंदगी आजकल उधारी पर चल रही है. साहूकार से उधार लेकर किसी तरह कुली अपना परिवार पाल रहे हैं. सरकार ने भी अभी उन्हें कोई मदद नहीं दी है.

परेशानियां बताते कुली.

बेपटरी हुई कुलियों की जिंदगी
लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन और लखनऊ जंक्शन पर कुली प्रतीक्षालय बनाया गया है. यहां पर कुली बैठकर यात्रियों का इंतजार करते हैं कि जब यात्री आएं तो उनका सामान लेकर ट्रेन तक पहुंचाएं और इससे जो कमाई हो उससे अपना परिवार पाल सकें. कोरोना महामारी के चलते आज कल इन कुलियों की जिंदगी बेपटरी हो गई है. ट्रेनों की संख्या आधे से भी कम है और यात्री भी पहले की तुलना में कई गुना कम हो गए हैं. लिहाजा, कुलियों की आय का साधन भी खत्म हो गया है. कुलियों को अब अच्छे दिन का इंतजार है. अब वे चाहते हैं कि जल्द कोरोना महामारी खत्म हो और पहले वाले दिन आ जाएं. सभी ट्रेनें पटरी पर लौट सकें और यात्रियों की संख्या भी बढ़ जाए.

लखनऊ मंडल में हैं कुल 383 रजिस्टर्ड कुली
उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के सभी स्टेशनों को मिलाकर कुल 323 रजिस्टर्ड कुली हैं. उत्तर रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में 240 रजिस्टर्ड कुली हैं, वही पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के जनसंपर्क अधिकारी महेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि लखनऊ जंक्शन, ऐशबाग स्टेशन और बादशाह नगर स्टेशन को मिलाकर कुलियों की संख्या 83 है. यानी दोनों मंडलों में 323 रजिस्टर्ड कुली हैं, जिन्हें इन दिनों महामारी के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है.

लखनऊ मंडल से संचालित हो रहीं सिर्फ इतनी ट्रेनें
कोविड-19 के दौर से पहले आम दिनों में ट्रेनों की कोई कमी नहीं थी. चारबाग रेलवे स्टेशन के साथ ही उत्तर रेलवे के स्टेशनों से रोजाना पहले 291 ट्रेनों का आवागमन होता था, लेकिन अब सिर्फ 170 ट्रेनें यहां से चलती हैं और पास होती हैं. पूर्वोत्तर रेलवे के पीआरओ महेश कुमार गुप्ता के मुताबिक लखनऊ मंडल से चलने और यहां के स्टेशनों से गुजरने वाली ट्रेनों को मिलाकर पहले यह संख्या 365 थी, लेकिन कोरोना का ट्रेनों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. वर्तमान में लखनऊ मंडल से सिर्फ 91 ट्रेनें ही संचालित की जा रही हैं.

रह गए सिर्फ इतने यात्री
बात अगर लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन और लखनऊ जंक्शन की करें तो जब कोरोना वायरस का प्रकोप नहीं था तब प्लेटफार्म यात्रियों से खचाखच भरे रहते थे. अब स्थिति यह है कि जहां चारबाग स्टेशन से पहले रोजाना करीब ढाई लाख यात्रियों का आवागमन होता था जो अब सिर्फ 90 हजार तक ही सीमित रह गया है. लखनऊ जंक्शन के साथ ही अन्य स्टेशनों को मिलाकर जहां पहले 80,000 से 1 लाख के बीच रोजाना यात्री सफर करते थे. यह संख्या घटकर अब सिर्फ 21 हजार रह गई है.

पेट पालना हो रहा है मुश्किल
ट्रेनों और यात्रियों की संख्या आधे से भी कम रह जाने से कुलियों की जिंदगी पर इसका असर साफ नजर आ रहा है. कुली शिवराम विश्वकर्मा बताते हैं कि बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. घर में 8 लोग हैं. कुछ खेती से काम चलता है तो कुछ मेहनत मजदूरी करके काम चल पा रहा है. इस समय बहुत ज्यादा दिक्कत है. जब मजदूरी नहीं हो पाती है तो उधार लेकर काम चलाना पड़ता है. घर के खर्चे हैं, शादी विवाह में भी जाना होता है, लेकिन अभी तक सरकार और रेलवे ने कुलियों की किसी तरह की मदद नहीं की है. अब पेट के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता है.

कोरोना के डर से सेवा नहीं ले रहे यात्री
कुली संतोष कुमार को भी कोरोना ने बुरी तरह प्रभावित किया है. स्टेशन पर बैठे-बैठे दिन कट जाता है लेकिन यात्री नहीं मिलते हैं, जिससे कमाई का जरिया खत्म सा होता लग रहा है. संतोष बताते हैं कि काफी दिक्कत हो रही है. जान बचाने की भी दिक्कत है. कोरोना वायरस फैलता है इस डर से यात्री अपना सामान भी कुलियों को देने से कतराते हैं. सेवा ही नहीं ले रहे हैं. घर में 5 लोग हैं. खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा है. बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी है. लॉकडाउन में पढ़ाई भी नहीं हुई और फीस भी ले ली गई. बहुत दिक्कत हो रही है.

नहीं निकल रही पब्लिक, उधार लेकर चला रहे काम
रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के इंतजार में बैठे कुली सादिक बताते हैं कि ट्रेन तो चल रही हैं, लेकिन पब्लिक नहीं निकल रही. खर्चा नहीं चल पा रहा है क्योंकि सामान की लोडिंग ही नहीं हो रही है. किसी भी तरह गाड़ी खिसक रही है. बस परिवार चल रहा है. रोजी रोटी का बहुत ज्यादा संकट खड़ा हो गया है. उधार लेकर कैसे भी खर्च चल रहा है. जब ट्रेन पटरी पर लौटेगी तब कमाई करके उधारी वापस निबटाएंगे. अभी तक किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है.

कुलियों को सरकार से मदद की उम्मीद
चारबाग रेलवे स्टेशन पर सभी कुलियों की समस्याओं से इतर बुजुर्ग कुली मुजीबुल्लाह को किसी तरह की कोई समस्या नहीं है. वे अब तक मिली सरकार की मदद से भी खुश हैं और अभी जो स्थितियां हैं उनसे भी उन्हें कोई खास दिक्कत नहीं है. कुली मुजीबुल्लाह बताते हैं कि ट्रेन कम जरूर चल रही हैं. स्पेशल चलाई जा रही हैं. यात्री आ जा रहे हैं. दो पैसे की कमाई हो जा रही है. बस यह दौर है कि हमें सुरक्षित रहने की जरुरत है. वे कहते हैं कि एक दो तीन चार, कोरोना की होगी हार. कुली मुजीबुल्लाह का यह भी कहना है कि पिछले लॉकडाउन में सरकार ने खूब मदद की थी. कई बार राशन घर पहुंचाया था. रुपए पैसे से भी मदद हुई थी. इस बार भी सरकार सभी कुलियों की मदद जरूर करेगी.

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Last Updated : Jun 1, 2021, 6:44 PM IST
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