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पंचायत चुनाव के नतीजों ने निकाली कांग्रेस की हवा, 80 सीटों पर सिमटी

यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों की घोषणा हो चुकी है. इन चुनावों में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई है. इससे उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है. प्रदेश भर में जिला पंचायत सदस्य की कुल 3050 सीटों में से पार्टी 80 सीट पर ही चुनाव जीत पाई.

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Published : May 4, 2021, 4:35 PM IST

पंचायत चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस की विधानसभा जीतने की उम्मीद को दिया झटका
पंचायत चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस की विधानसभा जीतने की उम्मीद को दिया झटका

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में इस बार कांग्रेस पार्टी ने पूरा जोर लगाया है. किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों को चुनाव में खर्च के लिए पैसे नहीं दिए, लेकिन कांग्रेस ने प्रत्याशियों की जीत के लिए पैसे भी खर्च किए. हर प्रकार से पार्टी पंचायत चुनाव में परचम लहराना चाहती थी, जिससे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मजबूती के साथ पार्टी जनता के बीच संदेश लेकर जा सके, लेकिन पार्टी का हर दांव उल्टा ही पड़ा. पैसे भी खर्च हुए और मनमाफिक सफलता भी नहीं मिल पाई. इससे उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है. प्रदेश भर में जिला पंचायत सदस्य की कुल 3050 सीटों में से पार्टी 80 सीट पर ही चुनाव जीत पाई.

पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं

पंचायत चुनाव के नतीजे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के भविष्य के लिए शुभ संकेत देने वाले बिल्कुल भी नहीं कहे जा सकते हैं. पार्टी को जितनी सीटों की उम्मीद थी उसके चौथाई सीटें भी न मिल पाईं. पार्टी दावा कर रही थी कि पंचायत चुनाव में बहुत बेहतर प्रदर्शन करेंगे. इसके लिए पार्टी ने काफी समय पहले से ही तैयारी भी की थी. बड़े नेताओं को गांव में रात्रि विश्राम के लिए भी भेजा गया था. लेकिन जब तीन मई को फाइनल नतीजे आए तो पार्टी के नेताओं की मेहनत पर पानी फिर गया. आलम यह है कि प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में तो पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई.

प्रत्याशी को खर्च के लिए दी धनराशि

पंचायत चुनाव के इतिहास में कांग्रेस पार्टी ने ऐसा पहली बार किया है कि चुनाव लड़ाने के लिए जिन प्रत्याशियों को उतारा उन पर धनराशि भी खर्च की. पार्टी के नेता बताते हैं कि एक जिला पंचायत सदस्य पर कुल 50 हजार रुपये खर्च किए गए, जिसमें हर प्रत्याशी को 40 हजार रुपये पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए दिए. 10 हजार रुपये जिले पर संगठन के सदस्यों को दिए गए, लेकिन यह भी पानी में ही बह गए. नतीजा कुछ भी नहीं निकला. चुनाव परिणाम पार्टी नेताओं के माथे पर चिंता की लकीर जरूर खींच गए हैं.

लखनऊ में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक

कांग्रेस पार्टी के नेताओं को उम्मीद थी कि लखनऊ में पार्टी का खाता जरूर खुलेगा, लेकिन हुआ इसके विपरीत. यहां पर समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशियों ने तो बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन कांग्रेस पूरी तरह से जमीन चाट गई. लखनऊ में कांग्रेस पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया.

प्रदेश अध्यक्ष के दावे की निकली हवा

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के दावों की पंचायत चुनाव के नतीजों ने हवा निकाल दी है. इन चुनावों में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी. इसके लिए उन्होंने तमाम क्षेत्रों में जाकर प्रचार-प्रसार भी किया. प्रत्याशियों के साथ मैदान में भी उतरे, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं. 1000 सीट का जीतने का दावा करने वाले प्रदेश अध्यक्ष के दावों की कलई खुल गई. 80 सीट जीतकर पार्टी नेता चुपचाप घरों में बैठ गए.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में इस बार कांग्रेस पार्टी ने पूरा जोर लगाया है. किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों को चुनाव में खर्च के लिए पैसे नहीं दिए, लेकिन कांग्रेस ने प्रत्याशियों की जीत के लिए पैसे भी खर्च किए. हर प्रकार से पार्टी पंचायत चुनाव में परचम लहराना चाहती थी, जिससे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मजबूती के साथ पार्टी जनता के बीच संदेश लेकर जा सके, लेकिन पार्टी का हर दांव उल्टा ही पड़ा. पैसे भी खर्च हुए और मनमाफिक सफलता भी नहीं मिल पाई. इससे उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है. प्रदेश भर में जिला पंचायत सदस्य की कुल 3050 सीटों में से पार्टी 80 सीट पर ही चुनाव जीत पाई.

पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं

पंचायत चुनाव के नतीजे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के भविष्य के लिए शुभ संकेत देने वाले बिल्कुल भी नहीं कहे जा सकते हैं. पार्टी को जितनी सीटों की उम्मीद थी उसके चौथाई सीटें भी न मिल पाईं. पार्टी दावा कर रही थी कि पंचायत चुनाव में बहुत बेहतर प्रदर्शन करेंगे. इसके लिए पार्टी ने काफी समय पहले से ही तैयारी भी की थी. बड़े नेताओं को गांव में रात्रि विश्राम के लिए भी भेजा गया था. लेकिन जब तीन मई को फाइनल नतीजे आए तो पार्टी के नेताओं की मेहनत पर पानी फिर गया. आलम यह है कि प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में तो पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई.

प्रत्याशी को खर्च के लिए दी धनराशि

पंचायत चुनाव के इतिहास में कांग्रेस पार्टी ने ऐसा पहली बार किया है कि चुनाव लड़ाने के लिए जिन प्रत्याशियों को उतारा उन पर धनराशि भी खर्च की. पार्टी के नेता बताते हैं कि एक जिला पंचायत सदस्य पर कुल 50 हजार रुपये खर्च किए गए, जिसमें हर प्रत्याशी को 40 हजार रुपये पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए दिए. 10 हजार रुपये जिले पर संगठन के सदस्यों को दिए गए, लेकिन यह भी पानी में ही बह गए. नतीजा कुछ भी नहीं निकला. चुनाव परिणाम पार्टी नेताओं के माथे पर चिंता की लकीर जरूर खींच गए हैं.

लखनऊ में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक

कांग्रेस पार्टी के नेताओं को उम्मीद थी कि लखनऊ में पार्टी का खाता जरूर खुलेगा, लेकिन हुआ इसके विपरीत. यहां पर समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशियों ने तो बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन कांग्रेस पूरी तरह से जमीन चाट गई. लखनऊ में कांग्रेस पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया.

प्रदेश अध्यक्ष के दावे की निकली हवा

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के दावों की पंचायत चुनाव के नतीजों ने हवा निकाल दी है. इन चुनावों में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी. इसके लिए उन्होंने तमाम क्षेत्रों में जाकर प्रचार-प्रसार भी किया. प्रत्याशियों के साथ मैदान में भी उतरे, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं. 1000 सीट का जीतने का दावा करने वाले प्रदेश अध्यक्ष के दावों की कलई खुल गई. 80 सीट जीतकर पार्टी नेता चुपचाप घरों में बैठ गए.

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