लखनऊ : महानिदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से यू-डायस पोर्टल से लिए गए आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में कुल 30 हजार प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जिनकी स्थिति बहुत ही खराब है. इन स्कूलों में भवनों की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है. साथ ही छात्र-छात्राओं के लिए अलग से शौचालय, पेयजल व्यवस्था व चहारदीवारी तक नहीं है. पूरे प्रदेश की अगर बात करें तो सबसे अधिक हरदोई के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति बहुत ही खस्ता हाल पाई गई है. जारी डाटा के अनुसार हरदोई जिले के कुल 742 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय जर्जर अवस्था में हैं. इसके बाद उन्नाव व जौनपुर में 690 विद्यालय, बाराबंकी में 674 विद्यालय, गोरखपुर में 643 विद्यालय, सीतापुर में 641 विद्यालय व बलिया में 633 विद्यालय की स्थिति बहुत ही खराब पाई गई है.
30 दिसंबर तक स्कूलों से मांगा गया था ब्योरा : राज्य परियोजना निदेशालय की ओर से प्रदेश के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के कायाकल्प के लिए विद्यालयों से सूचना मांगी गई थी. विद्यालयों को यू डायस पोर्टल के माध्यम से ऑपरेशन विद्यालय कायाकल्प के अंतर्गत चयनित 19 मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं की जानकारी देनी थी. जिस के बाद यू डायस पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर जिलों में विभाग की ओर से बनाए गए सबसे पुराने विद्यालयों की पहचान कर वहां के छात्र संख्या के अनुसार उन विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए आख्या देनी थी. 30 दिसंबर 2022 तक मिले डाटा के अनुसार प्रदेश में 30 हजार स्कूल ऐसे हैं. जहां जर्जर भवन की समस्या रंगाई पुताई व फर्नीचर की व्यवस्था ना होना, बालक बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय ना होना, बिजली की व्यवस्था ना होना, स्वच्छ पानी की सुविधा ना होना व चहारदीवारी का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है. विभाग अब ऐसे सभी विद्यालयों का जीर्णोद्धार कराने की तैयारी कर रहा है.
10 जिलों के 500 से अधिक विद्यालयों की स्थिति बेहद खराब : प्रदेश के 30 हजार प्राथमिक विद्यालयों में 10 जनपद ऐसे हैं. जहां 500 से अधिक उच्च प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति बेहद खराब है. इसके अलावा दर्जनों 400 से 300 के करीब विद्यालयों की स्थिति खराब हो गई है. इन विद्यालयों में करीब 10 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं. महानिदेशक स्कूली शिक्षा ने इन सभी विद्यालयों से जीर्णोद्धार के लिए पूरी अच्छा बना कर प्रस्तुत करने को कहा है. इस पूरे मामले पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद का कहना है कि भारत सरकार के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की ओर से सभी प्रदेशों उसके जर्जर स्कूलों की सूची मांगी गई थी, जहां मूलभूत सुविधाएं नहीं है. इसके लिए सभी जिलों से ऐसे विद्यालयों की सूचना भेजी गई थी. प्रदेश में कुल 30 हजार विद्यालय ऐसे हैं, जिन्हें जीर्णोद्धार की जरूरत है. यह सूचना हमने भारत सरकार को भेजा था. जिसके बाद भारत सरकार की ओर से 717 करोड़ का बजट जारी किया गया है. जिसके तहत इन सभी विद्यालयों को मरम्मत कार्य व मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति करने के लिए 2.40 लाख रुपये का बजट जारी किया गया.
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