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लोकगायिका मां ने गीत सुनाकर बेटे को दी अंतिम विदाई, आप सुनेंगे तो रो पड़ेंगे - लोककलाकार पूनम तिवारी

पूनम तिवारी प्रख्यात लोक कलाकार हैं. उनके बेटे सूरज का निधन हो गया. सूरज भी कलाकार थे. जब सूरज अंतिम सफर पर निकले तो पूनम ने उनका पसंदीदा गाना गाकर विदा किया. इस वाकये ने सबको नि:शब्द कर दिया.

कलाकार सूरज तिवारी का निधन.
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Published : Nov 3, 2019, 7:21 PM IST

राजनांदगांव: न तो इस मां की व्यथा सुनाने के लिए हमारे पास शब्द हैं और न कुछ लिख पाने की हिम्मत. बस इतना जान लीजिए कि इस मां की आत्मा जितना अपने बेटे को खोने के दर्द में रो रही है, उतना ही उसका कंठ तकलीफ में गा रहा है. इतनी ताकत मां कलेजे में कहां से आयी कि वो अपने बेटे को अंतिम बार उसका पसंदीदा गाना सुना पाए.

अपने जिगर के टुकड़े को अपने आंचल में लेकर 22 देशों का सफर करने वाली मां जब उसे मृत्यु की शय्या पर पर देखे, तो उसकी दशा क्या हो सकती है यह अनुमान लगाना भी मुश्किल है. इससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल है अपने जिगर के टुकड़े को उसकी पसंद के गीत सुनाकर अंतिम विदाई देना. भावुक कर देने वाला ये क्षण था थियेटर की दुनिया की जानी-मानी हस्ती पूनम विराट के घर का. उनके बेटे सूरज तिवारी की मृत्यु हो गयी और अंतिम सफर पर निकलने से पहले पूनम ने उन्हें गीत गाकर विदाई दी. पूनम ने सूरज की पसंद का गीत गाया.

अर्थी उठने से पहले लोकगायिका मां ने बेटे को सुनाया उसके पसंद का गीत.

छत्तीसगढ़ लोक कला संस्कृति के थिएटर की जानी-मानी हस्ती पूनम विराट के बेटे सूरज तिवारी का निधन शनिवार को हो गया. सूरज की अंतिम विदाई भी कई लोगों को झकझोर गई. मां पूनम तिवारी ने अपने बेटे को लोक गीत-संगीत के साथ अंतिम विदाई दी. मां होते हुए भी अपने पुत्र के जाने के दर्द को दिल के एक कोने में समेट कर उन्होंने पुत्र की इच्छा पूरी की. पूनम तिवारी ने गीत संगीत के साथ 'चोला माटी के राम एकर का भरोसा, चोला माटी के राम लोकगीत को अपनी आवाज में गा कर विदाई दी'

लोक कला को जीवित रखने के लिए संघर्षरत है परिवार
पूनम विराट थिएटर की कलाकार हैं. हबीब तनवर के साथ देश विदेशों में थिएटर कर चुकी पूनम छत्तीसगढ़ लोक कला और संस्कृति की धरोहर हैं. उनके पुत्र सूरज तिवारी भी छत्तीसगढ़ लोक कला मंच के जबरदस्त कलाकार थे. संगीत, गीत और मंच को लेकर पूरा परिवार समर्पित रहा है. इस बीच सूरज का हृदयघात से निधन हो गया. इस बात से पूरा परिवार स्तब्ध है. परिवार के किसी भी सदस्य को यकीन नहीं हो रहा है कि वह अब इस दुनिया में नहीं हैं. वहीं उनकी अंतिम विदाई को भी उनकी मां पूनम विराट ने कुछ इस कदर की कि उसे कोई नहीं भूल सकता.

अधूरी रह गई अंतिम इच्छा
सूरज तिवारी की अंतिम इच्छा थी कि वे छत्तीसगढ़ी में शहीद वीर नारायण सिंह पर फिल्म तैयार करें. इसके लिए वे कुछ दिनों से संघर्षरत थे. लगातार फिल्म तैयार करने के लिए वे अलग-अलग लोगों से संपर्क कर रहे थे. फिल्म तैयार करने के लिए कलाकारों के साथ प्रोड्यूसरों से भी संपर्क साध रहे थे. उनकी अंतिम इच्छा थी कि वह खुद इस फिल्म को तैयार करें और छत्तीसगढ़ के लोगों को शहीद वीर नारायण सिंह के जीवन से अवगत कराएं.

शब्दों में बयां नहीं कर सकते दर्द
सूरज तिवारी के मित्र पी कलिहारी का कहना है कि आज लोक कलाकार सूरज तिवारी को जिस तरीके से उनकी मां पूनम विराट ने विदाई दी है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. लोक कलाकारों की पूरी फौज आज उनके अंतिम बेला में शामिल हुई लेकिन जो गाने सूरज तिवारी को पसंद थे, वो उनकी मां पूनम ने गाए.

अलग दुनिया में खो जाते थे मां-बेटे
पूनम विराट का कहना है कि सूरज तिवारी बहुत ही जीवट कलाकार थे और एक कलाकार होने के नाते उसे अंतिम विदाई गाकर ही दी जा सकती थी. उन्होंने कहा कि, 'एक मां होने के बाद भी मैंने अपने दर्द को एक किनारे रख कर एक कलाकार होने के नाते अपने पुत्र को अंतिम विदाई दी है'. उनका कहना है कि, 'सूरज तिवारी टीम का लीडर रहा है. वह काफी मजे लेकर गाता और बजाता था. जब हम मां और बेटे एक साथ गाते और बजाते थे, तो अलग ही दुनिया में खो जाते थे. कभी महसूस नहीं होता कि एक मां और एक बेटे की भूमिका में हैं इसलिए सूरज को अंतिम विदाई शब्द या आंसू से नहीं बल्कि संगीत से दी जा सकती थी. मैंने अपने मां होने के दर्द को दिल में समेटकर सूरज को संगीत से अंतिम विदाई दी है ताकि उसे भी यह महसूस न हो कि मुझे अंतिम विदाई संगीत से नहीं दी गई'.

राजनांदगांव: न तो इस मां की व्यथा सुनाने के लिए हमारे पास शब्द हैं और न कुछ लिख पाने की हिम्मत. बस इतना जान लीजिए कि इस मां की आत्मा जितना अपने बेटे को खोने के दर्द में रो रही है, उतना ही उसका कंठ तकलीफ में गा रहा है. इतनी ताकत मां कलेजे में कहां से आयी कि वो अपने बेटे को अंतिम बार उसका पसंदीदा गाना सुना पाए.

अपने जिगर के टुकड़े को अपने आंचल में लेकर 22 देशों का सफर करने वाली मां जब उसे मृत्यु की शय्या पर पर देखे, तो उसकी दशा क्या हो सकती है यह अनुमान लगाना भी मुश्किल है. इससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल है अपने जिगर के टुकड़े को उसकी पसंद के गीत सुनाकर अंतिम विदाई देना. भावुक कर देने वाला ये क्षण था थियेटर की दुनिया की जानी-मानी हस्ती पूनम विराट के घर का. उनके बेटे सूरज तिवारी की मृत्यु हो गयी और अंतिम सफर पर निकलने से पहले पूनम ने उन्हें गीत गाकर विदाई दी. पूनम ने सूरज की पसंद का गीत गाया.

अर्थी उठने से पहले लोकगायिका मां ने बेटे को सुनाया उसके पसंद का गीत.

छत्तीसगढ़ लोक कला संस्कृति के थिएटर की जानी-मानी हस्ती पूनम विराट के बेटे सूरज तिवारी का निधन शनिवार को हो गया. सूरज की अंतिम विदाई भी कई लोगों को झकझोर गई. मां पूनम तिवारी ने अपने बेटे को लोक गीत-संगीत के साथ अंतिम विदाई दी. मां होते हुए भी अपने पुत्र के जाने के दर्द को दिल के एक कोने में समेट कर उन्होंने पुत्र की इच्छा पूरी की. पूनम तिवारी ने गीत संगीत के साथ 'चोला माटी के राम एकर का भरोसा, चोला माटी के राम लोकगीत को अपनी आवाज में गा कर विदाई दी'

लोक कला को जीवित रखने के लिए संघर्षरत है परिवार
पूनम विराट थिएटर की कलाकार हैं. हबीब तनवर के साथ देश विदेशों में थिएटर कर चुकी पूनम छत्तीसगढ़ लोक कला और संस्कृति की धरोहर हैं. उनके पुत्र सूरज तिवारी भी छत्तीसगढ़ लोक कला मंच के जबरदस्त कलाकार थे. संगीत, गीत और मंच को लेकर पूरा परिवार समर्पित रहा है. इस बीच सूरज का हृदयघात से निधन हो गया. इस बात से पूरा परिवार स्तब्ध है. परिवार के किसी भी सदस्य को यकीन नहीं हो रहा है कि वह अब इस दुनिया में नहीं हैं. वहीं उनकी अंतिम विदाई को भी उनकी मां पूनम विराट ने कुछ इस कदर की कि उसे कोई नहीं भूल सकता.

अधूरी रह गई अंतिम इच्छा
सूरज तिवारी की अंतिम इच्छा थी कि वे छत्तीसगढ़ी में शहीद वीर नारायण सिंह पर फिल्म तैयार करें. इसके लिए वे कुछ दिनों से संघर्षरत थे. लगातार फिल्म तैयार करने के लिए वे अलग-अलग लोगों से संपर्क कर रहे थे. फिल्म तैयार करने के लिए कलाकारों के साथ प्रोड्यूसरों से भी संपर्क साध रहे थे. उनकी अंतिम इच्छा थी कि वह खुद इस फिल्म को तैयार करें और छत्तीसगढ़ के लोगों को शहीद वीर नारायण सिंह के जीवन से अवगत कराएं.

शब्दों में बयां नहीं कर सकते दर्द
सूरज तिवारी के मित्र पी कलिहारी का कहना है कि आज लोक कलाकार सूरज तिवारी को जिस तरीके से उनकी मां पूनम विराट ने विदाई दी है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. लोक कलाकारों की पूरी फौज आज उनके अंतिम बेला में शामिल हुई लेकिन जो गाने सूरज तिवारी को पसंद थे, वो उनकी मां पूनम ने गाए.

अलग दुनिया में खो जाते थे मां-बेटे
पूनम विराट का कहना है कि सूरज तिवारी बहुत ही जीवट कलाकार थे और एक कलाकार होने के नाते उसे अंतिम विदाई गाकर ही दी जा सकती थी. उन्होंने कहा कि, 'एक मां होने के बाद भी मैंने अपने दर्द को एक किनारे रख कर एक कलाकार होने के नाते अपने पुत्र को अंतिम विदाई दी है'. उनका कहना है कि, 'सूरज तिवारी टीम का लीडर रहा है. वह काफी मजे लेकर गाता और बजाता था. जब हम मां और बेटे एक साथ गाते और बजाते थे, तो अलग ही दुनिया में खो जाते थे. कभी महसूस नहीं होता कि एक मां और एक बेटे की भूमिका में हैं इसलिए सूरज को अंतिम विदाई शब्द या आंसू से नहीं बल्कि संगीत से दी जा सकती थी. मैंने अपने मां होने के दर्द को दिल में समेटकर सूरज को संगीत से अंतिम विदाई दी है ताकि उसे भी यह महसूस न हो कि मुझे अंतिम विदाई संगीत से नहीं दी गई'.

Intro:राजनांदगांव. अपने जिगर के टुकड़े को अपने आंचल में लेकर 22 देशों का सफर करने वाली मां जब उसे मृत्यु शय्या पर पर देखें तो उसकी दशा क्या हो सकती है या अनुमान लगाना भी मुश्किल है लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल है अपने उस जिगर के टुकड़े को उसकी पसंद के गीत सुना कर अंतिम विदाई देना पर यह नजारा हमें देखने को मिला थियेटर की दुनिया की जानी मानी हस्ती पूनम विराट के सुपुत्र सूरज तिवारी के अंतिम संस्कार के अवसर पर यह देख कर हम खुद भी चकित थे कि आखिर एक मां अपने पुत्र के जाने के दर्द को एक किनारे समेटकर उसे उसकी ही पसंद के गीत अपनी आवाज में सुना रही है.


Body:छत्तीसगढ़ लोक कला संस्कृति के थिएटर की जानी मानी हस्ती पूनम विराट के सुपुत्र सूरज तिवारी का निधन आज तड़के सुबह 5:00 हो गया उनका अंतिम संस्कार उनके निज निवास ममता नगर से किया गया लेकिन सूरज की अंतिम विदाई भी कई लोगों को झकझोर गई मां पूनम तिवारी ने सुपुत्र सूरज तिवारी को लोक गीतसंगीत के साथ अंतिम विदाई दी मां होते हुए भी अपने पुत्र के जाने के दर्द को दिल के एक कोने में समेट कर उन्होंने पुत्र की इच्छा पूरी की सुपुत्र सूरज तिवारी को गीत संगीत के साथ चोला माटी के राम एकर का भरोसा चोला माटी के राम लोकगीत को अपनी आवाज में सुना कर विदाई दी.
लोक कला को जीवित रखने संघर्षरत है परिवार
पूनम विराट पेशे से थिएटर की कलाकार है हबीब तनवर के साथ देश विदेशों में थिएटर कर चुकी श्रीमती पूनम छत्तीसगढ़ लोक कला संस्कृति की अपनी ही धरोहर है उनके पुत्र सूरज तिवारी भी छत्तीसगढ़ लोक कला मंच के जबरदस्त कलाकार थे संगीत गीत और मंच को लेकर पूरा परिवार समर्पित रहा है इस बीच सूरज का आज सुबह तड़के हृदयाघात से निधन हो गया इस बात से पूरा परिवार स्तब्ध है परिवार के किसी भी सदस्य को यकीन नहीं हो रहा है कि वह अब इस दुनिया में नहीं है वही उनकी अंतिम विदाई को भी उनकी मां पूनम विराट ने कुछ इस कदर की कि अब वे लोगों की जहन में उतर चुके हैं.
अधूरी रह गई अंतिम इच्छा
सूरज तिवारी की अंतिम इच्छा थी कि वे छत्तीसगढ़ी में शहीद वीर नारायण सिंह पर फिल्म तैयार करें इसके लिए वे कुछ दिनों से संघर्षरत थे लगातार फिल्म तैयार करने के लिए वे अलग-अलग लोगों से संपर्क कर रहे थे और फिल्म तैयार करने के लिए कलाकारों के साथ प्रोड्यूसर रो से भी संपर्क साध रहे थे उनकी अंतिम इच्छा थी कि वह खुद इस फिल्म को तैयार करें और छत्तीसगढ़ के लोगों को शहीद वीर नारायण सिंह के जीवन से अवगत कराएं.
शब्दों में बयां नहीं कर सकते
सूरज तिवारी के मित्र पी कलिहारी का कहना है कि आज लोक कलाकार सूरज तिवारी को जिस तरीके से उनकी मां पूनम विराट ने विदाई दी है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता लोक कलाकारों की पूरी फौज आज उनके अंतिम बेला में शामिल हुई लेकिन जो गाने सूरज तिवारी को पसंद थे उनकी माता ने खुद संगीत और गीत से अपनी आवाज में गाकर उन्हें अंतिम विदाई दी है.



Conclusion:अलग दुनिया में खो जाते थे मां बेटे
श्रीमती पूनम विराट का कहना है कि उनके सुपुत्र सूरज तिवारी बहुत ही जीवट कलाकार थे और एक कलाकार होने के नाते उसे अंतिम विदाई गाकर ही दी जा सकती थी एक मां होने के बाद भी मैंने अपने मां होने के दर्द को एक किनारे रख कर एक कलाकार होने के नाते अपने पुत्र को अंतिम विदाई दी है उनका कहना है कि सुपुत्र सूरज तिवारी टीम का लीडर रहा है वह काफी मजे लेकर गाता और बजाता था जब हम मां और बेटे एक साथ गाते और बजाते थे तो अलग ही दुनिया में खो जाते थे कभी महसूस नहीं होता कि एक मां और एक बेटे की भूमिका में है इसलिए सूरज को अंतिम विदाई शब्द या आंसू से नहीं बल्कि संगीत से दी जा सकती थी मैंने अपने मां होने के दर्द को दिल में समेटकर सूरज को संगीत से अंतिम विदाई दी है ताकि उसे भी यह महसूस ना हो कि मुझे अंतिम विदाई संगीत से नहीं दी गई.
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