लखनऊ: राजधानी में गोमती नदी की स्थिति बेहद दयनीय है. गोमती लगातार प्रदूषित हो रही है. इसके पीछे अफसरों की लापरवाही जिम्मेदार नजर आ रही है. हाईकोर्ट और एनजीटी ने भी गोमती की साफ-सफाई को लेकर अफसरों को जिम्मेदार बताते हुए फटकार लगाई थी, लेकिन शासन की आंख के सामने गोमती निर्मल नहीं हो पा रही है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह राजधानी में 33 नालों का गोमती में बिना शोधन के गिरना है.
कैसे निर्मल होगी गोमती?
- राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में नालियों का गन्दा पानी करीब 33 नालों से होते हुए गोमती में समाहित होता है.
- कहने के लिए एसटीपी बनाए गए, लेकिन सभी नाले एसटीपी में बिना शोधन के ही गोमती में पहुंच रहे हैं.
- 33 नाले अलग-अलग क्षेत्रों में गोमती में गिर रहे हैं, जिनके माध्यम से न सिर्फ कूड़ा-कचरा बल्कि प्लास्टिक व तमाम अन्य तरह का केमिकल युक्त गंदा पानी गोमती में जमा हो रहा है.
- नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि गोमती के जल में मिल रहे नालों को रोकने की जिम्मेदारी जल निगम की है. वह एसटीपी के माध्यम से नालों को शोधित करके गोमती में गिराएगा.
जो नाले गोमती में बिना शोधन के गिर रहे हैं, उसका उत्तर दायित्व जल निगम के पास है. हम लोगों के पास से पैसे का हस्तांतरण कर दिया जाता है. जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं, उनकी क्षमता बढ़ाने को लेकर भी प्रयास किए जा रहे हैं. बारिश शुरू होने से पहले हम लोग सभी नालों में जाली लगाएंगे, जिससे पूरा कचरा गोमती में ना गिरे.
-डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त, लखनऊ