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Third front politics : शाहनवाज आलम ने कहा अखिलेश यादव की राजनीति हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी, जानिए क्यों कही ऐसी बात

तीसरे मोर्चे के गठन (Third front politics) की कवायद पर उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के साथ समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की राजनीतिक पर सवाल उठाए हैं. शाहनवाज आलम का कहना है कि थर्ड फ्रंट में शामिल होते ही अखिलेश यादव की राजनीति खत्म हो जाएगी.

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Published : Jan 21, 2023, 2:49 PM IST

लखनऊ : तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर द्वारा कथित तीसरे मोर्चे का गठन भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. इसमें शामिल होते ही अखिलेश यादव की राजनीति हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी. यह पूरी कवायद मुस्लिम मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए है. जो राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा से प्रभावित होकर पूरी तरह कांग्रेस के साथ आ रहे हैं. इस समय देश में सिर्फ़ दो ही मोर्चे हैं भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए और कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए. कोई भी तीसरा मोर्चा भाजपा को मदद पहुंचाने के लिए ही बनेगा.

यह बातें उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने कही हैं. उन्होंने कहा कि गाजियाबाद, बागपत, शामली और कैराना से गुजरी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में उमड़ी मुस्लिम समुदाय की भीड़ से अखिलेश यादव को अंदाजा हो गया है कि लोकसभा चुनाव में 20 प्रतिशत आबादी वाला मुस्लिम वर्ग पूरी तरह कांग्रेस में जा रहा है. ऐसे में उनका 5 प्रतिशत सजातीय वोटर भी सपा को छोड़ देगा. जिसका बड़ा हिस्सा पिछले 2 लोकसभा चुनावों में भाजपा को वोट करता रहा है. जिसके कारण बसपा से गठबंधन के बावजूद वो सिर्फ़ मुरादाबाद, सहारनपुर, अमरोहा, संभल और बिजनौर जैसी मुस्लिम बहुल सीटें ही जीत पाए और कन्नौज और बदायूं जैसी यादव बहुल सीटें हार गए.

शाहनवाज आलम ने कहा कि सपा की रणनीति है कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनी रहे ताकि प्रदेश में मुसलमान डर के कारण उसे वोट देते रहें. इसी रणनीति के तहत मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के समय संसद में कहा था कि वे चाहते हैं कि मोदी जी दुबारा प्रधानमन्त्री बनें. जिसका संकेत समझ कर उनके सजातीय वोटरों ने भाजपा को वोट कर दिया था. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को भाजपा के खिलाफ बोलने से पहले अपने पिता के उस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए. उहोंने कहा कि वामपंथी पार्टी वही गलती कर रही है जो उसने वर्ष 1989 में कांग्रेस को सत्ता से दूर करने के लिए भाजपा के साथ मिलकर वीपी सिंह सरकार को समर्थन दे कर किया था. जिसके बाद से भाजपा ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए माहौल बनाकर देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित कर दिया. वामपंथी दलों को ऐसी गलती दोहराने से बचना चाहिए.

यह भी पढ़ें : कभी खाता था मोस्टवांटेड गोरख ठाकुर से दहशत, हत्या के बाद पार कर दिया उसके घर में रखा सामान

लखनऊ : तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर द्वारा कथित तीसरे मोर्चे का गठन भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. इसमें शामिल होते ही अखिलेश यादव की राजनीति हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी. यह पूरी कवायद मुस्लिम मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए है. जो राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा से प्रभावित होकर पूरी तरह कांग्रेस के साथ आ रहे हैं. इस समय देश में सिर्फ़ दो ही मोर्चे हैं भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए और कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए. कोई भी तीसरा मोर्चा भाजपा को मदद पहुंचाने के लिए ही बनेगा.

यह बातें उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने कही हैं. उन्होंने कहा कि गाजियाबाद, बागपत, शामली और कैराना से गुजरी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में उमड़ी मुस्लिम समुदाय की भीड़ से अखिलेश यादव को अंदाजा हो गया है कि लोकसभा चुनाव में 20 प्रतिशत आबादी वाला मुस्लिम वर्ग पूरी तरह कांग्रेस में जा रहा है. ऐसे में उनका 5 प्रतिशत सजातीय वोटर भी सपा को छोड़ देगा. जिसका बड़ा हिस्सा पिछले 2 लोकसभा चुनावों में भाजपा को वोट करता रहा है. जिसके कारण बसपा से गठबंधन के बावजूद वो सिर्फ़ मुरादाबाद, सहारनपुर, अमरोहा, संभल और बिजनौर जैसी मुस्लिम बहुल सीटें ही जीत पाए और कन्नौज और बदायूं जैसी यादव बहुल सीटें हार गए.

शाहनवाज आलम ने कहा कि सपा की रणनीति है कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनी रहे ताकि प्रदेश में मुसलमान डर के कारण उसे वोट देते रहें. इसी रणनीति के तहत मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के समय संसद में कहा था कि वे चाहते हैं कि मोदी जी दुबारा प्रधानमन्त्री बनें. जिसका संकेत समझ कर उनके सजातीय वोटरों ने भाजपा को वोट कर दिया था. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को भाजपा के खिलाफ बोलने से पहले अपने पिता के उस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए. उहोंने कहा कि वामपंथी पार्टी वही गलती कर रही है जो उसने वर्ष 1989 में कांग्रेस को सत्ता से दूर करने के लिए भाजपा के साथ मिलकर वीपी सिंह सरकार को समर्थन दे कर किया था. जिसके बाद से भाजपा ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए माहौल बनाकर देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित कर दिया. वामपंथी दलों को ऐसी गलती दोहराने से बचना चाहिए.

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