लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने कदम रख दिया है. एआईएमआईएम की एंट्री से विभिन्न राजनीतिक दलों में खलबली मची हुई है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने यूपी की राजनीति में पदार्पण किया हो, इससे पहले भी साल 2017 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी मैदान में उतरी थी, लेकिन नतीजा 'सिफर' रहा था.
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में मिली कामयाबी से ओवैसी गदगद हैं और इसीलिए पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की सियासत में भी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं. हालांकि इस बारे में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल रालोद (राष्ट्रीय लोक दल) का साफ कहना है कि ओवैसी का उत्तर प्रदेश की राजनीति में कोई असर नहीं पड़ेगा. मुस्लिम ओवैसी को वोट नहीं करेंगे, क्योंकि वे समझ चुके हैं कि ओवैसी भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करते हैं.
योगी और ओवैसी में ठनी
एक तरफ उत्तर प्रदेश की सियासत में ओवैसी जोरदार एंट्री करने को तैयार हैं तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ओवैसी को चैलेंज कर रहे हैं. उन्हें जनाधार वाला नेता बता रहे हैं. योगी का यह भी कहना है कि अगर 19% पर ओवैसी राजनीति करेंगे तो 81% चुप नहीं बैठेगा. अब इन दोनों नेताओं के चैलेंज को लेकर अन्य राजनीतिक दल भी सक्रिय हैं. कांग्रेस का मानना है कि दोनों नेता मिले हुए हैं. उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के चेयरमैन शाहनवाज आलम का कहना है कि दोनों नेता मिलकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की पिच तैयार कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश की जनता सब समझती है. मुस्लिम किसी भी कीमत पर ओवैसी का समर्थन नहीं करेंगे.
बिहार में ओवैसी का कमाल
बिहार में बहुजन समाज पार्टी का साथ ओवैसी को मिला था और यहां पर ओवैसी ने अपनी पार्टी का परचम लहराते हुए पांच विधायक बना डाले थे. उत्साहित ओवैसी अब यूपी में भी बहुजन समाज पार्टी के साथ तालमेल बिठाना चाहते हैं. भारतीय जनता पार्टी से नाराज ओमप्रकाश राजभर के साथ ओवैसी खड़े भी हो गए हैं. यूपी की सियासत में माना जा रहा है कि ओवैसी मुस्लिमों को वोट काटकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे.
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गठबंधन में 100 सीटें चाहते हैं ओवैसी
एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना दमखम दिखाना चाहते हैं, इसीलिए 'भागीदारी संकल्प मोर्चा' के साथ खड़े ओवैसी अभी से 100 सीटों की मांग करने लगे हैं. ओवैसी उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल समेत अन्य जिलों का दौरा भी कर चुके हैं. हर बार जब भी वह यूपी आते हैं तो 'भागीदारी संकल्प मोर्चा' के संयोजक ओमप्रकाश राजभर से उनकी मुलाकात होती है.
पिछले विधानसभा चुनाव में 38 सीटों पर ठोकी ताल
2017 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने 38 सीटों पर ताल ठोकी थी. हालांकि ओवैसी के पक्ष में परिणाम तो नहीं आए और पार्टी शून्य रह गई, लेकिन प्रत्याशियों को दो लाख से ज्यादा मत प्राप्त हुए थे. इतना ही नहीं पार्टी का मत प्रतिशत भी लगभग ढाई प्रतिशत के करीब था. खास बात यह भी थी कि ओवैसी की पार्टी को अमेठी और रायबरेली में उम्मीद से ज्यादा वोट मिले थे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के लिए ये चिंता का सबब बन सकता है.
130 सीटों पर मुस्लिमों का दबदबा
बहराइच, बलरामपुर, बरेली, मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, संभल, हापुड़, सिद्धार्थनगर, बागपत, पीलीभीत, श्रावस्ती, संत कबीर नगर, बाराबंकी, बदायूं, गाजियाबाद, लखनऊ, बुलंदशहर, लखीमपुर खीरी और अमेठी समेत उत्तर प्रदेश में तकरीबन 130 मुस्लिम बाहुल्य सीटें हैं, जिन पर ओवैसी की नजर है. इसीलिए उन्होंने 100 सीटों पर दावा ठोंका है.
मुसलमान ओवैसी के साथ नहीं, सपा और रालोद के साथ
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद का कहना है कि असदुद्दीन ओवैसी उत्तर प्रदेश को राजनीति की प्रयोगशाला समझ रहे हैं. वे भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करते हैं, ऐसा सभी का कहना है. उत्तर प्रदेश में ओवैसी का कोई असर नहीं पड़ने वाला है. मुसलमान समाजवादी पार्टी के साथ थे और समाजवादी पार्टी के साथ ही रहेंगे. मुसलमान का हमेशा से यह सोचना रहा है कि जो पार्टी उन्हें जीतती नजर आएगी, वह उसके साथ ही खड़े होंगे. निश्चित तौर पर इस बार समाजवादी पार्टी, रालोद और अन्य दल मिलकर उत्तर प्रदेश में सरकार बना रहे हैं, ऐसे में मुसलमान समाजवादी पार्टी और रालोद के साथ शामिल अन्य दलों के साथ ही खड़े नजर आएंगे. ओवैसी की सियासत उत्तर प्रदेश में चलने वाली नहीं है.
योगी और ओवैसी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ओवैसी को जनाधार वाला नेता बताने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी का कहना है कि सीएम योगी ने यह साबित कर दिया है कि ओवैसी और भाजपा साथ हैं, जो हम पहले से कहते रहे हैं. दोनों एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं. जहां तक यूपी की सियासत में ओवैसी की एंट्री की बात है तो इससे कांग्रेस को कोई नुकसान होने वाला नहीं है. मुसलमान कांग्रेस के साथ खड़ा है.
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क्या कहते हैं अल्पसंख्यक कांग्रेस के चेयरमैन
ओवैसी की पार्टी के उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने पर उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के चेयरमैन शाहनवाज आलम कहते हैं कि उनका मुसलमानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. मुसलमान समझ रहा है कि ओवैसी ने उनके लिए कुछ नहीं किया. आज तक ओवैसी के संगठन का भी यूपी में पता नहीं है. मुसलमानों की समस्या को लेकर ओवैसी की पार्टी ने कब ज्ञापन सौंपा? कब उनकी समस्याएं सुनीं, तो भला कैसे मुसलमान ओवैसी पर भरोसा करेगा. उन्होंने तो यहां तक कहा कि ओवैसी की पार्टी में नाबालिक लड़के हैं. अध्यक्ष के अलावा उनका अपने संगठन का कोई पता नहीं है. उत्तर प्रदेश में कुछ जगह को छोड़कर उनके अभी कार्यालय तक नहीं हैं और उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़े जनाधार वाला नेता बता रहे हैं. यही हाल योगी का भी रहा था. हिंदू युवा वाहिनी में भी उनके साथ नाबालिग जुड़े थे. यह दोनों नेता नाबालिगों के साथ राजनीति कर रहे हैं.
क्या कहते हैं एआईएमआईएम के नेता
एआईएमआईएम के नेता वसीम बकार कहते हैं कि निश्चित तौर पर बिहार की तरह ही उत्तर प्रदेश में हमारी पार्टी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी. जहां तक कांग्रेस, सपा और रालोद की बात है तो मुसलमान ने सभी को आजमा लिया है. अब असदुद्दीन ओवैसी के साथ मुसलमान खड़ा होगा. पार्टी विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करेगी.