लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 2022 के होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) से पहले सेमीफाइनल के रूप में पंचायत चुनाव को जोड़कर देखा जा रहा है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Triastri Panchayat Chunav 2021) में जहां एक तरफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षा के अनुरूप जीत नहीं मिली तो वहीं अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के आने वाले परिणाम राजनीतिक दलों का सियासी भविष्य जरूर बताने वाले साबित हो सकते हैं.
विधानसभा चुनाव से लगभग 6 महीने पहले हो रहे जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख के चुनाव (Zila Panchayat Adhyaksh Chunav) स्वाभाविक रूप से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों के सियासी भविष्य को बताने का काम करेंगे. साथ ही जनता के बीच किस दल की कितनी पकड़ और पहुंच है, वह भी चुनाव परिणाम के माध्यम से समझा जा सकता है. जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में धनबल और बाहुबल का व सत्ता के दुरुपयोग के भी आरोप लग रहे हैं.
सरकार के कामकाज से भी जोड़कर देखे जा रहे हैं परिणाम
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की उत्तर प्रदेश में सरकार है और पिछले साढ़े 4 साल के सरकार के कामकाज के आधार पर पंचायत चुनाव के परिणाम को भी जोड़कर देखा जा रहा है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षा के अनुरूप सफलता नहीं मिली. भले भारतीय जनता पार्टी की तरफ से यह दावा किया गया कि पंचायत चुनाव में सबसे अधिक उम्मीदवार भाजपा के जीते हैं. दरअसल, पंचायत चुनाव सिंबल के आधार पर नहीं हुए हैं और राजनीतिक दल अपना-अपना दावा कर रहे हैं.
21 जिलों में भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव निर्विरोध जीती
सबसे खास बात यह है कि पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) सबसे आगे नजर आ रही है. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की चल रही प्रक्रिया में अब तक 21 जिलों में भारतीय जनता पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष के पद निर्विरोध जीत चुकी है. वहीं भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि वह 60 से अधिक जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव जीतने जा रही है. हालांकि चुनाव परिणाम बीजेपी के इस दावे की सच्चाई बताएंगे.
समाजवादी पार्टी सिर्फ एक सीट निर्विरोध जीत पाई
वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सिर्फ एक सीट पर ही अपना उम्मीदवार निर्विरोध जिता पाई है. इटावा में ही सपा का जिला पंचायत अध्यक्ष अभी तक जीत पाया है. इसके अलावा कई जिलों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं और इससे समाजवादी पार्टी के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े होते हैं.
53 जिलों में 3 जुलाई को होगा चुनाव
53 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर चुनाव 3 जुलाई को होगा और उसी दिन मतगणना भी होगी. मतगणना के बाद आने वाले चुनाव परिणाम स्वाभाविक रूप से राजनीतिक दलों के सियासी भविष्य को भी बताने वाले साबित होंगे. भले ही इस चुनाव में धनबल, बाहुबल और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप समाजवादी पार्टी की तरफ से लगाया जा रहा हो.
बसपा ने पंचायत अध्यक्ष चुनाव लड़ने से किया है इनकार
वहीं सबसे खास बात यह है कि नामांकन से ठीक एक दिन पहले बहुजन समाज पार्टी की तरफ से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव लड़ने से मना करके बड़ा सियासी संदेश दिया गया है. सूत्रों का दावा है कि बहुजन समाज पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से पीछे हट कर भारतीय जनता पार्टी का साथ दे रही है.
सपा भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला
अब उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के बीच हो रहा है. समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने का भी दावा कर रही है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को जनता द्वारा सबक सिखाने के भी दावे किए थे. अब जब जिला पंचायत अध्यक्ष के भी चुनाव हो रहे हैं तो भारतीय जनता पार्टी पर समाजवादी पार्टी सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है. वहीं भारतीय जनता पार्टी कहती है कि समाजवादी पार्टी मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रही है. जनता उसे नकार चुकी है और भारतीय जनता पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी एक बार फिर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी.
कांग्रेस कहीं पर भी मुकाबले में नहीं
वहीं चौंकाने वाली बात यह भी है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी किसी एक भी सीट पर मुख्य मुकाबले में नहीं है. किसी जिले में कांग्रेस पार्टी के जिला पंचायत सदस्यों की संख्या इतनी नहीं है कि वह जिला पंचायत अध्यक्ष का पद जीत सके. सभी 53 जिलों में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच मुकाबला हो रहा है. भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी, जो निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए हैं, उन पर अपने-अपने डोरे डाल रही है.
जिला पंचायत सदस्यों की खरीद फरोख्त भी!
सूत्र बताते हैं कि कई जिलों में तो जिला पंचायत सदस्यों की खरीद-फरोख्त के भी आरोप पिछले दिनों सार्वजनिक हुए थे. बाकायदा जिला पंचायत सदस्यों की बोली लगाई जा रही है और 20 लाख से लेकर ₹1 करोड़ रुपये तक जिला पंचायत सदस्यों के रेट हैं और बकायदा धनबल और बाहुबल का उपयोग भी इस चुनाव में हो रहा है.
क्या कहते हैं भाजपा प्रवक्ता
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के प्रदेश प्रवक्ता समीर सिंह ने कहा कि विधानसभा चुनाव 2022 में हैं और भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से चुनाव जीतेगी. समाजवादी पार्टी को जनता पहले ही सबक सिखा चुकी है और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी सबसे अधिक सीट जीत रही है. इसके अलावा इससे पहले भी उपचुनाव हुए या आम चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी शानदार जीत दर्ज कर चुकी है. 2019 के चुनाव में तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे दल मिलकर चुनाव लड़े थे. बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत हुई. इस जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी की शानदार और ऐतिहासिक जीत होगी. समाजवादी पार्टी के नेता सिर्फ मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि पंचायत चुनाव के परिणाम स्वाभाविक रूप से आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा सियासी संदेश देने वाले हो सकते हैं. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और जनता के द्वारा सरकार के कामकाज पर भी मुहर लगाने जैसा होता है. भारतीय जनता पार्टी 21 सीटों पर निर्विरोध चुनाव जीत चुकी है. इससे भाजपा का उत्साह साफ-साफ नजर आता है. अब जो चुनाव परिणाम आएंगे, उसे स्वाभाविक रूप से विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जाएगा और इसका अपना राजनीतिक महत्व भी है. बहुजन समाज पार्टी इस चुनाव से खुद को अलग कर चुकी है और समाजवादी पार्टी अभी तक सिर्फ एक सीट ही जीत पाई है. चुनाव परिणाम जो भी होंगे, निश्चित रूप से राजनीतिक दलों के सियासी भविष्य को बताने वाले होंगे.