लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए इस बार सिर्फ यूपी के ही राजनीतिक दल तैयारी में नहीं जुटे हैं, बल्कि पड़ोसी राज्य बिहार के दल भी यूपी में दम दिखाने को तैयार हैं. इन पार्टियों में बिहार की जनता दल यूनाइटेड, वीआईपी, लोक जनशक्ति पार्टी मुख्य हैं. बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी को छोड़कर अन्य दोनों पार्टियां बिहार में भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं. यूपी में भी नीतीश कुमार की पार्टी बीजेपी से गठबंधन करना चाहती है. अगर गठबंधन नहीं हुआ तो 200 सीटों पर चुनाव मैदान में अकेले ही उतरेगी. लोक जनशक्ति पार्टी ने अकेले दम पर मैदान में उतरने का एलान किया है. इन पार्टियों का यूपी चुनाव में कितना असर होगा, इसे लेकर यूपी के राजनीतिक दलों के नेताओं का कहना है कि इनका उत्तर प्रदेश में कोई असर नहीं पड़ने वाला. वहीं बिहार की पार्टियों के नेताओं का मानना है कि इस बार उत्तर प्रदेश में भी बिहार की तरह ही बेहतरीन प्रदर्शन कर सरकार में अहम भूमिका निभाएंगे. पेश है 'ईटीवी भारत' की रिपोर्ट.
जमीन तलाश रहीं बिहार की पार्टियां
अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. यूपी की राजनीतिक पार्टियां तो चुनावी मोड में आ ही चुकी हैं. पड़ोसी राज्य बिहार में चुनाव के बाद अब वहां की पार्टियां भी इस बार उत्तर प्रदेश में परचम लहराने के लिए दम दिखाने में जुट गई हैं. सियासी समीकरण बिगाड़ने और बनाने के लिए पड़ोसी राज्य की पार्टियां उत्तर प्रदेश के विभिन्न दलों से संपर्क में हैं. जिन पार्टियों का संपर्क किसी दल से नहीं हो पा रहा है, वह अकेले दम ही अपना झंडा बुलंद करने में जुट गई हैं. बिहार की मुख्य पार्टियों की बात करें जो उत्तर प्रदेश में इस बार काफी सक्रिय हो रही हैं, उनमें नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड सबसे प्रमुख है. इसके बाद चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी पूरे दमखम से तकरीबन 200 प्रत्याशियों के साथ मैदान में उतरने को तैयार है. तीसरी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी है, जिसके अध्यक्ष मुकेश सहनी हैं. उन्होंने भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी लड़ाने के लिए प्रदेश की सियासी जमीन पर पैर जमा दिए हैं.
यूपी चुनाव में बिहार के दलों की राजनीतिक दावेदारी, किसकी कितनी तैयारी!
अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. यूपी की राजनीतिक पार्टियां तो चुनावी मोड में आ ही चुकी हैं. पड़ोसी राज्य बिहार में चुनाव के बाद अब वहां की पार्टियां भी इस बार उत्तर प्रदेश में परचम लहराने के लिए दम दिखाने में जुट गई हैं. सियासी समीकरण बिगाड़ने और बनाने के लिए पड़ोसी राज्य की पार्टियां उत्तर प्रदेश के विभिन्न दलों से संपर्क में हैं. जिन पार्टियों का संपर्क किसी दल से नहीं हो पा रहा है, वह अकेले दम ही अपना झंडा बुलंद करने में जुट गई हैं.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए इस बार सिर्फ यूपी के ही राजनीतिक दल तैयारी में नहीं जुटे हैं, बल्कि पड़ोसी राज्य बिहार के दल भी यूपी में दम दिखाने को तैयार हैं. इन पार्टियों में बिहार की जनता दल यूनाइटेड, वीआईपी, लोक जनशक्ति पार्टी मुख्य हैं. बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी को छोड़कर अन्य दोनों पार्टियां बिहार में भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं. यूपी में भी नीतीश कुमार की पार्टी बीजेपी से गठबंधन करना चाहती है. अगर गठबंधन नहीं हुआ तो 200 सीटों पर चुनाव मैदान में अकेले ही उतरेगी. लोक जनशक्ति पार्टी ने अकेले दम पर मैदान में उतरने का एलान किया है. इन पार्टियों का यूपी चुनाव में कितना असर होगा, इसे लेकर यूपी के राजनीतिक दलों के नेताओं का कहना है कि इनका उत्तर प्रदेश में कोई असर नहीं पड़ने वाला. वहीं बिहार की पार्टियों के नेताओं का मानना है कि इस बार उत्तर प्रदेश में भी बिहार की तरह ही बेहतरीन प्रदर्शन कर सरकार में अहम भूमिका निभाएंगे. पेश है 'ईटीवी भारत' की रिपोर्ट.
जमीन तलाश रहीं बिहार की पार्टियां
अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. यूपी की राजनीतिक पार्टियां तो चुनावी मोड में आ ही चुकी हैं. पड़ोसी राज्य बिहार में चुनाव के बाद अब वहां की पार्टियां भी इस बार उत्तर प्रदेश में परचम लहराने के लिए दम दिखाने में जुट गई हैं. सियासी समीकरण बिगाड़ने और बनाने के लिए पड़ोसी राज्य की पार्टियां उत्तर प्रदेश के विभिन्न दलों से संपर्क में हैं. जिन पार्टियों का संपर्क किसी दल से नहीं हो पा रहा है, वह अकेले दम ही अपना झंडा बुलंद करने में जुट गई हैं. बिहार की मुख्य पार्टियों की बात करें जो उत्तर प्रदेश में इस बार काफी सक्रिय हो रही हैं, उनमें नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड सबसे प्रमुख है. इसके बाद चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी पूरे दमखम से तकरीबन 200 प्रत्याशियों के साथ मैदान में उतरने को तैयार है. तीसरी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी है, जिसके अध्यक्ष मुकेश सहनी हैं. उन्होंने भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी लड़ाने के लिए प्रदेश की सियासी जमीन पर पैर जमा दिए हैं.