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योगी के राज में साल 2022 में इन 3 नेताओं के राजनीतिक भविष्य में लगा 'पूर्णविराम' - Action against leaders in UP

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के राज में साल 2022 में 3 नेताओं के राजनीतिक भविष्य में 'पूर्णविराम' लगा है, जो कभी अपने दबंग अंदाज के लिए राजनीतिक दुनिया में फेमस थे.

राजनीतिक भविष्य में लगा 'पूर्णविराम'
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Published : Dec 15, 2022, 6:25 AM IST

Updated : Dec 20, 2022, 4:40 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार में और कुछ हुआ हो या न हुआ हो. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि सूबे में एक-एक कर माफिया सरगनाओं और अपराधियों का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगने लगा है. पिछले साढ़े पांच सालों में उन नेताओं का भविष्य खत्म होने की कगार में आ चुका है, जो कभी अपनी दबंग छवि के चलते जनता और जरायम की दुनिया पर राज करते थे. यह सिलसिला साल 2022 में भी जारी रहा. आइए जानते है. उन 3 नेताओं उर्फ माफिया के बारे में जिनके राजनीतिक भविष्य में योगी सरकार की सख्त कार्रवाई के बाद पूर्णविराम लग चुका है.

आजम खान: विधायकी गई, वोट और चुनाव लड़ने का अधिकार छिना
आजम खान, एक ऐसा नाम है, जिसके बिना कभी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक की कल्पना करना बेइमानी सा लगता था. कद्दावर नेता, कट्टर विचारधारा, तकरीर रूपी राजनीतिक भाषण और किसी भी विपक्षी नेता को खुली चुनौती देने का दम रखने वाले नेता आजम खान का आज राजनीतिक भविष्य खत्म होने की कगार पर है. योगी सरकार में इस कदर कार्रवाई हुई कि जल निगम भर्ती घोटाला का महज एक केस झेल रहे आजम खान पर देखते देखते 94 केस दर्ज हो गए. कोर्ट से हेट स्पीच मामले में 3 साल की सजा हुई तो एक झटके में उनकी विधायकी छिन गई और जब उनके खिलाफ हुई जांचे अपनी शबाब पर पहुंची तो चुनाव आयोग ने उनका वोट देने का अधिकार भी छीन लिया.

2022 ही वो साल है. जब असल में 74 वर्षीय आजम खान के राजनीतिक भविष्य में पुर्नविराम लगा है. इसी साल उन्हें कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई. इसके बाद उनकी विधायकी छिन गई. यही नहीं उनके चुनाव लड़ने में भी अगले 6 सालों के लिए रोक लग गई. उनका वोट देने तक अधिकार छिन गया. स्थिति यह है कि जब 90 से अधिक मुकदमों में नामजद आरोपी और 10 बार के विधायक रहे आजम खान इसी साल हुए रामपुर के उप चुनाव में अपने ही बूथ में सपा प्रत्याशी को महज 87 वोट ही दिला सके. फिलहाल साल 2022 में सियासी पारी खत्म होने वाली सूची में आजम खान सबसे पहले पायदान पर है.

मुख्तार अंसारी: पहली बार सुनाई जा सकी किसी केस में सजा
उत्तर प्रदेश में जिसका पिछले 4 दशक से सियासत और जरायम की दुनिया में एक छत्र राज चलता हो, जो एक ही सीट से चाहे जेल में हो या बाहर 5 बार विधायक बना हो. दर्जनों मुकदमें दर्ज होने के बाद भी हर केस से आसानी से निकल जाता हो. यही नहीं जेल में बैठ कर ऐशो आराम से जिंदगी जीता हो, उस माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को साल 2022 में ही पहली बार किसी केस में सजा सुनाई जा सकी है. योगी सरकार की सख्त कार्रवाई और मजबूत अभियोजन का नतीजा है कि नंद किशोर रूंगटा अपहरण और हत्याकांड, विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड, जेल अधीक्षक आरके तिवारी हत्याकांड जैसे गंभीर मामलों में बाइज्जत बरी होने वाला मुख्तार अंसारी अब हर उस केस में अपनी सजा के ऐलान का इंतजार कर रहा है, जिसे कभी वह अपने रौले से तरकाता रहता था. योगी सरकार में हुई कार्रवाई से माफिया मुख्तार इस कदर दहशत में था कि साल 2022 में हुए विधान सभा चुनावी मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. बीते 3 दशक में ऐसा पहली बार था जब मुख्तार चुनावी मैदान में नहीं था. योगी सरकार में मुख्तार खुद की राजनीतिक पारी में पूर्णविराम लगा देख चुका था, लिहाजा उसने अपने बेटे अब्बास अंसारी को चुनावी मैदान में उतार दिया.

इस साल बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी को दो मामलों में सजा सुनाई गई. पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2003 में जिला जेल, लखनऊ के जेलर को धमकाने के मामले में मुख्तार को दोषी करार दिया. कोर्ट ने उसे सात साल की सजा और 37 हजार रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया था. यह पहली बार था जब उसे किसी मामले में सजा सुनाई गई. महज 3 दिन बाद ही हाईकोर्ट ने गैंगस्टर के मामले में 5 साल की सजा सुनाई. कार्रवाई की बात करें तो बीते साढ़े पांच सालों में मुख्तार अंसारी के गैंग IS191 गैंग के करीब 49 सदस्यों को या तो एनकाउंटर में ढेर किया जा चुका है या फिर जेल में बंद है. यही नहीं सरकार अब तक 400 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त कर चुकी है.

विजय मिश्रा: 4 बार जीती सीट हारी, चुनाव लड़ने पर रोक लगी
किसी बड़े राजनीतिक दल ने साथ दिया या नहीं, उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के उस नेता को कोई फर्क नहीं पड़ता था. जिले की जिस ज्ञानपुर सीट के विषय में कहा जाता था, कि यहां कोई भी दोबारा विधायक नहीं बनता वहां लगातार चार बार विधायक बन दबंग, माफिया और मनबढ़ नेता विजय मिश्रा ने अपने विरोधियों को खुली चुनौती दी. करीब 64 मुकदमों का बोझ झेलने के बावजूद विजय मिश्रा भदोही, प्रयागराज समेत कई जिलों में अपनी दबंग छवि के चलते अपना एक अलग ही साम्राज्य चलाता था. लेकिन एकाएक यूपी में योगी सरकार आई और कभी मुलायम सिंह यादव समेत कई बड़े नेताओं के लाडले विजय मिश्रा की राजनीतिक पारी की उलटी गिनती शुरू हो गई. उसके गैंग के लोगों की गिरफ्तारी शुरू हुई. उसके अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चला तो काली कमाई से अर्जित की गई संपत्ति जब्त हुई.

साल 2022 में जिस सीट में विजय मिश्रा लगातार चार बार जीत कर विधायक बन रहा था, उस ज्ञानपुर सीट की जनता ने अपराध को नकार दिया और विजय मिश्रा को तीसरे पायदान तक ला दिया. यही नहीं साल 2022 में ही विजय मिश्रा के राजनीतिक भविष्य में तब पूर्णविराम लग गया जब अक्टूबर माह में 13 साल पुराने एक आर्म्स एक्ट के केस में कोर्ट ने उन्हें 3 साल की सजा सुना दी. इसके बाद यह तय हो गया कि विजय मिश्रा अगले 6 साल तक कोई भी चुनाव नही लड़ सकेंगे.


यह भी पढ़ें- 2022 बनारस के लिए विकास की नई गाथा लिखने वाला हुआ साबित, 18 सौ करोड़ की योजनाओं से चमका बनारस

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार में और कुछ हुआ हो या न हुआ हो. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि सूबे में एक-एक कर माफिया सरगनाओं और अपराधियों का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगने लगा है. पिछले साढ़े पांच सालों में उन नेताओं का भविष्य खत्म होने की कगार में आ चुका है, जो कभी अपनी दबंग छवि के चलते जनता और जरायम की दुनिया पर राज करते थे. यह सिलसिला साल 2022 में भी जारी रहा. आइए जानते है. उन 3 नेताओं उर्फ माफिया के बारे में जिनके राजनीतिक भविष्य में योगी सरकार की सख्त कार्रवाई के बाद पूर्णविराम लग चुका है.

आजम खान: विधायकी गई, वोट और चुनाव लड़ने का अधिकार छिना
आजम खान, एक ऐसा नाम है, जिसके बिना कभी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक की कल्पना करना बेइमानी सा लगता था. कद्दावर नेता, कट्टर विचारधारा, तकरीर रूपी राजनीतिक भाषण और किसी भी विपक्षी नेता को खुली चुनौती देने का दम रखने वाले नेता आजम खान का आज राजनीतिक भविष्य खत्म होने की कगार पर है. योगी सरकार में इस कदर कार्रवाई हुई कि जल निगम भर्ती घोटाला का महज एक केस झेल रहे आजम खान पर देखते देखते 94 केस दर्ज हो गए. कोर्ट से हेट स्पीच मामले में 3 साल की सजा हुई तो एक झटके में उनकी विधायकी छिन गई और जब उनके खिलाफ हुई जांचे अपनी शबाब पर पहुंची तो चुनाव आयोग ने उनका वोट देने का अधिकार भी छीन लिया.

2022 ही वो साल है. जब असल में 74 वर्षीय आजम खान के राजनीतिक भविष्य में पुर्नविराम लगा है. इसी साल उन्हें कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई. इसके बाद उनकी विधायकी छिन गई. यही नहीं उनके चुनाव लड़ने में भी अगले 6 सालों के लिए रोक लग गई. उनका वोट देने तक अधिकार छिन गया. स्थिति यह है कि जब 90 से अधिक मुकदमों में नामजद आरोपी और 10 बार के विधायक रहे आजम खान इसी साल हुए रामपुर के उप चुनाव में अपने ही बूथ में सपा प्रत्याशी को महज 87 वोट ही दिला सके. फिलहाल साल 2022 में सियासी पारी खत्म होने वाली सूची में आजम खान सबसे पहले पायदान पर है.

मुख्तार अंसारी: पहली बार सुनाई जा सकी किसी केस में सजा
उत्तर प्रदेश में जिसका पिछले 4 दशक से सियासत और जरायम की दुनिया में एक छत्र राज चलता हो, जो एक ही सीट से चाहे जेल में हो या बाहर 5 बार विधायक बना हो. दर्जनों मुकदमें दर्ज होने के बाद भी हर केस से आसानी से निकल जाता हो. यही नहीं जेल में बैठ कर ऐशो आराम से जिंदगी जीता हो, उस माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को साल 2022 में ही पहली बार किसी केस में सजा सुनाई जा सकी है. योगी सरकार की सख्त कार्रवाई और मजबूत अभियोजन का नतीजा है कि नंद किशोर रूंगटा अपहरण और हत्याकांड, विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड, जेल अधीक्षक आरके तिवारी हत्याकांड जैसे गंभीर मामलों में बाइज्जत बरी होने वाला मुख्तार अंसारी अब हर उस केस में अपनी सजा के ऐलान का इंतजार कर रहा है, जिसे कभी वह अपने रौले से तरकाता रहता था. योगी सरकार में हुई कार्रवाई से माफिया मुख्तार इस कदर दहशत में था कि साल 2022 में हुए विधान सभा चुनावी मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. बीते 3 दशक में ऐसा पहली बार था जब मुख्तार चुनावी मैदान में नहीं था. योगी सरकार में मुख्तार खुद की राजनीतिक पारी में पूर्णविराम लगा देख चुका था, लिहाजा उसने अपने बेटे अब्बास अंसारी को चुनावी मैदान में उतार दिया.

इस साल बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी को दो मामलों में सजा सुनाई गई. पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2003 में जिला जेल, लखनऊ के जेलर को धमकाने के मामले में मुख्तार को दोषी करार दिया. कोर्ट ने उसे सात साल की सजा और 37 हजार रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया था. यह पहली बार था जब उसे किसी मामले में सजा सुनाई गई. महज 3 दिन बाद ही हाईकोर्ट ने गैंगस्टर के मामले में 5 साल की सजा सुनाई. कार्रवाई की बात करें तो बीते साढ़े पांच सालों में मुख्तार अंसारी के गैंग IS191 गैंग के करीब 49 सदस्यों को या तो एनकाउंटर में ढेर किया जा चुका है या फिर जेल में बंद है. यही नहीं सरकार अब तक 400 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त कर चुकी है.

विजय मिश्रा: 4 बार जीती सीट हारी, चुनाव लड़ने पर रोक लगी
किसी बड़े राजनीतिक दल ने साथ दिया या नहीं, उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के उस नेता को कोई फर्क नहीं पड़ता था. जिले की जिस ज्ञानपुर सीट के विषय में कहा जाता था, कि यहां कोई भी दोबारा विधायक नहीं बनता वहां लगातार चार बार विधायक बन दबंग, माफिया और मनबढ़ नेता विजय मिश्रा ने अपने विरोधियों को खुली चुनौती दी. करीब 64 मुकदमों का बोझ झेलने के बावजूद विजय मिश्रा भदोही, प्रयागराज समेत कई जिलों में अपनी दबंग छवि के चलते अपना एक अलग ही साम्राज्य चलाता था. लेकिन एकाएक यूपी में योगी सरकार आई और कभी मुलायम सिंह यादव समेत कई बड़े नेताओं के लाडले विजय मिश्रा की राजनीतिक पारी की उलटी गिनती शुरू हो गई. उसके गैंग के लोगों की गिरफ्तारी शुरू हुई. उसके अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चला तो काली कमाई से अर्जित की गई संपत्ति जब्त हुई.

साल 2022 में जिस सीट में विजय मिश्रा लगातार चार बार जीत कर विधायक बन रहा था, उस ज्ञानपुर सीट की जनता ने अपराध को नकार दिया और विजय मिश्रा को तीसरे पायदान तक ला दिया. यही नहीं साल 2022 में ही विजय मिश्रा के राजनीतिक भविष्य में तब पूर्णविराम लग गया जब अक्टूबर माह में 13 साल पुराने एक आर्म्स एक्ट के केस में कोर्ट ने उन्हें 3 साल की सजा सुना दी. इसके बाद यह तय हो गया कि विजय मिश्रा अगले 6 साल तक कोई भी चुनाव नही लड़ सकेंगे.


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Last Updated : Dec 20, 2022, 4:40 PM IST
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