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यूपी पुलिस बनी 'देवदूत', ऐसी 14 घटनाएं जहां पुलिसकर्मियों ने पेश की मानवता की मिसाल

कोरोना की दूसरी लहर का कहर पूरे देश में लगातार जारी है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के भी हालात अच्छे नहीं है. रोज तमाम संक्रमित लोग दम तोड़ रहे हैं.

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Published : May 16, 2021, 5:18 PM IST

पुलिस बनी 'देवदूत'
पुलिस बनी 'देवदूत'

लखनऊः कोरोना संक्रमण के माहौल में लोग इतने भयभीत हैं कि अपनों की ही मौत के बाद अर्थी को कंधा देने में हिचक रहे हैं. ऐसे दौर में जब कोई खुद किसी बेगाने के लिए आगे आए और शव का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराए तो इससे बड़ी मानवता और क्या हो सकती है. जी हां यूपी पुलिस ने ड्यूटी से आगे बढ़कर मानवता की मिसाल पेश की है. यूपी में करीब 14 घटनाएं सामने आईं, जहां पुलिसवालों ने अपने कर्तव्यों से परे जाकर फरिश्ते का काम किया है.

पुलिसकर्मियों का जज्बा तारीफ के काबिल

लखनऊ में कोरोना पॉजिटिव होने पर खुद अपने घर में आइसोलेट एक पत्रकार का आकस्मिक निधन हो गया. इसके बाद उसके परिजनों, मित्रों ने अंतिम संस्कार में आने से मना कर दिया. तब गोमतीनगर थाने के प्रभारी निरीक्षक ने अपनी टीम के साथ मिलकर पत्रकार के शव का अंतिम संस्कार कराया. इसी तरह लखनऊ के बाजारखाला थाना क्षेत्र में 24 अप्रैल को एक ठेले वाले की मौत हो गई. परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, इस पर बाजारखाला थाना प्रभारी ने शव को श्मशान ले जाने के लिए गाड़ी का इंतजाम कराया और अंतिम संस्कार के लिए अपने पास से परिवार की आर्थिक सहायता भी की.

थाना तालकटोरा क्षेत्र में एक पुजारी की मौत हो गई. परिवार में कोई पुरुष नहीं था. पत्नी और बेटी दोनों ही मानसिक रूप से विक्षिप्त थीं. पड़ोसी भी कोरोना के डर से किसी तरह परिवार की मदद नहीं कर रहे थे. पुलिस को जब सूचना मिली तो पार्थिव शरीर का विधि-विधान से दाह संस्कार कराया गया. इसी तरह लखनऊ के रविंद्रपल्ली थाना क्षेत्र में एक बुजुर्ग की मौत हो गई. उनका बेटा कनाडा और बेटी राजस्थान में रहती है. पुलिस ने खुद आगे बढ़कर बुजुर्ग का अंतिम संस्कार कराया और बुजुर्ग की पत्नी के खाने-पीने की व्यवस्था भी की.

गोरखपुर में एक महिला की मृत्यु होने पर उन्हें श्मशान घाट तक ले जाने के लिए कोई व्यक्ति आगे नहीं आया. ये जानकारी ट्वीट के माध्यम से जब पुलिस को मिली तो एसपी सिटी ने नगर आयुक्त और प्रभारी प्रवर्तन दल के सहयोग से शव को एंबुलेंस से श्मशान घाट पहुंचाया और उसका दाह संस्कार कराया.

25 अप्रैल को अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए एक व्यक्ति ने बिजनौर पुलिस से गुहार लगाई, जिस पर पुलिस ने शव का दाह संस्कार करवाया. जौनपुर में एक बुजुर्ग को अकेले ही पत्नी का शव साइकिल पर लेकर चलना पड़ा, क्योंकि गांव वालों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था. मामले में पुलिस ने शव को साइकिल से उतारकर विधि-विधान से दाह संस्कार कराया.

मुरादाबाद में एक व्यक्ति की कोरोना से मौत के बाद उसकी अर्थी को कंधा देने के लिए चौथा शख्स नहीं मिला रहा था. ऐसे में एक सिपाही ने खुद आगे बढ़कर कंधा दिया. नोएडा में एक व्यक्ति की मौत के बाद कई घंटे शव लोगों के इंतजार में पड़ा रहा. आखिरकार सेक्टर-19 के पुलिसकर्मियों ने अर्थी को कंधा देकर श्मशान पहुंचाया और चिता के लिए लकड़ियों की भी व्यवस्था की.

कानपुर नगर कमिश्नरेट में 29 अप्रैल को एक व्यक्ति की मौत के बाद कोई आगे नहीं आ रहा था. यहां बारा थाने के चौकी प्रभारी ने नगर निगम से शव वाहन बुलवाया और अंतिम संस्कार करवाया. एटा के गांव सिंहपुर में जब कोविड संक्रमित युवक की मौत के बाद परिजनों ने शव तक लेने से इनकार कर दिया तो बागवाला थाना प्रभारी ने अंतिम संस्कार करवाया. कुछ ऐसा ही जालौन में भी हुआ. यहां 16 अप्रैल को प्रभारी निरीक्षक कोतवली ने मृतक का अंतिम संस्कार कराया.

मैनपुरी और बदायूं में भी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए जब कोई नहीं आया तो पुलिस ने ही कंधा दिया और पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराया. बीते 5 मई को कानपुर के किदवई नगर में एक 85 वर्ष के बुजुर्ग की मौत हो गई. कंधा देने के लिए मोहल्ले वालों और जानने वालों ने मना कर दिया. इसके बाद पुलिस ने मानवता की एक अद्भुत मिसाल पेश की और पूरे सम्मान के साथ अर्थी को कंधा देकर अंतिम संस्कार कराया. बीते 7 मई को बरेली जिले के थाना प्रेमनगर क्षेत्र में एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके रिश्तेदार और परिजनों ने अंतिम संस्कार में आने से मना कर दिया. इसके बाद पीड़ित पत्नी की अपील पर प्रेमनगर की पुलिस ने रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कराया.

मानवता की मिसाल कायम करने वाले पुलिसकर्मियों को "एंजिल ऑफ खाकी" के नाम नवाजा गया. सम्मानित पुलिसकर्मियों के नाम ये हैं...

बिजनौर

अरुण कुमार त्यागी- प्रभारी निरीक्षक
कॉन्स्टेबल- राहुल गौतम, अमित चौधरी,
कॉन्स्टेबल ड्राइवर- पंकज शर्मा

मुरादाबाद

कॉन्स्टेबल- अरुण कुमार, थाना मुगलपुरा

जौनपुर

मुन्ना राम धुसिया- प्रभारी निरीक्षक, मडियाहूं
हेड कॉन्स्टेबल- कृष्ण मुरारी, संजय यादव, सुधीर दुबे
कॉन्स्टेबल- प्रवीण मिश्रा, राज कुमार यादव

नोएडा

एसआई- हरि सिंह

लखनऊ

धनंजय सिंह- प्रभारी निरीक्षक, बाजार खाला
कॉन्स्टेबल (थाना तालकटोरा)- अखिलेश यादव, चंद्रमुरारी झा
थाना गोमतीनगर- एसआई दयाराम साहनी, अरुण यादव, राजेंद्र बाबू, प्रशांत सिंह

एटा

थाना प्रभारी- रामकेश सिंह राजपूत

मैनपुरी

सीओ सिटी- अभय नारायण राय
हेड कॉन्स्टेबल- सत्यप्रकाश
कॉन्स्टेबल/गनर- वीरेंद्र सिंह

जालौन

प्रभारी निरीक्षक कोतवाली- उदयभान गौतम
कॉन्स्टेबल- जितेंद्र यादव

गोरखपुर

एसएचओ- कल्याण सिंह नागर
कॉन्स्टेबल- अशोक सिंह
एचसी- अजय कुमार सिंह

बदायूं

प्रभारी निरीक्षक- राजीव शर्मा
कॉन्स्टेबल- राहुल कुमार

बरेली

इंस्पेक्टर प्रेमनगर- अवनीश यादव
चौकी इंचार्ज कोहाड़ापीर- विजय पाल सिंह
हेड कॉन्स्टेबल- सतपाल सिंह
कॉन्स्टेबल- सर्वेश अत्री

लखनऊः कोरोना संक्रमण के माहौल में लोग इतने भयभीत हैं कि अपनों की ही मौत के बाद अर्थी को कंधा देने में हिचक रहे हैं. ऐसे दौर में जब कोई खुद किसी बेगाने के लिए आगे आए और शव का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराए तो इससे बड़ी मानवता और क्या हो सकती है. जी हां यूपी पुलिस ने ड्यूटी से आगे बढ़कर मानवता की मिसाल पेश की है. यूपी में करीब 14 घटनाएं सामने आईं, जहां पुलिसवालों ने अपने कर्तव्यों से परे जाकर फरिश्ते का काम किया है.

पुलिसकर्मियों का जज्बा तारीफ के काबिल

लखनऊ में कोरोना पॉजिटिव होने पर खुद अपने घर में आइसोलेट एक पत्रकार का आकस्मिक निधन हो गया. इसके बाद उसके परिजनों, मित्रों ने अंतिम संस्कार में आने से मना कर दिया. तब गोमतीनगर थाने के प्रभारी निरीक्षक ने अपनी टीम के साथ मिलकर पत्रकार के शव का अंतिम संस्कार कराया. इसी तरह लखनऊ के बाजारखाला थाना क्षेत्र में 24 अप्रैल को एक ठेले वाले की मौत हो गई. परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, इस पर बाजारखाला थाना प्रभारी ने शव को श्मशान ले जाने के लिए गाड़ी का इंतजाम कराया और अंतिम संस्कार के लिए अपने पास से परिवार की आर्थिक सहायता भी की.

थाना तालकटोरा क्षेत्र में एक पुजारी की मौत हो गई. परिवार में कोई पुरुष नहीं था. पत्नी और बेटी दोनों ही मानसिक रूप से विक्षिप्त थीं. पड़ोसी भी कोरोना के डर से किसी तरह परिवार की मदद नहीं कर रहे थे. पुलिस को जब सूचना मिली तो पार्थिव शरीर का विधि-विधान से दाह संस्कार कराया गया. इसी तरह लखनऊ के रविंद्रपल्ली थाना क्षेत्र में एक बुजुर्ग की मौत हो गई. उनका बेटा कनाडा और बेटी राजस्थान में रहती है. पुलिस ने खुद आगे बढ़कर बुजुर्ग का अंतिम संस्कार कराया और बुजुर्ग की पत्नी के खाने-पीने की व्यवस्था भी की.

गोरखपुर में एक महिला की मृत्यु होने पर उन्हें श्मशान घाट तक ले जाने के लिए कोई व्यक्ति आगे नहीं आया. ये जानकारी ट्वीट के माध्यम से जब पुलिस को मिली तो एसपी सिटी ने नगर आयुक्त और प्रभारी प्रवर्तन दल के सहयोग से शव को एंबुलेंस से श्मशान घाट पहुंचाया और उसका दाह संस्कार कराया.

25 अप्रैल को अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए एक व्यक्ति ने बिजनौर पुलिस से गुहार लगाई, जिस पर पुलिस ने शव का दाह संस्कार करवाया. जौनपुर में एक बुजुर्ग को अकेले ही पत्नी का शव साइकिल पर लेकर चलना पड़ा, क्योंकि गांव वालों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था. मामले में पुलिस ने शव को साइकिल से उतारकर विधि-विधान से दाह संस्कार कराया.

मुरादाबाद में एक व्यक्ति की कोरोना से मौत के बाद उसकी अर्थी को कंधा देने के लिए चौथा शख्स नहीं मिला रहा था. ऐसे में एक सिपाही ने खुद आगे बढ़कर कंधा दिया. नोएडा में एक व्यक्ति की मौत के बाद कई घंटे शव लोगों के इंतजार में पड़ा रहा. आखिरकार सेक्टर-19 के पुलिसकर्मियों ने अर्थी को कंधा देकर श्मशान पहुंचाया और चिता के लिए लकड़ियों की भी व्यवस्था की.

कानपुर नगर कमिश्नरेट में 29 अप्रैल को एक व्यक्ति की मौत के बाद कोई आगे नहीं आ रहा था. यहां बारा थाने के चौकी प्रभारी ने नगर निगम से शव वाहन बुलवाया और अंतिम संस्कार करवाया. एटा के गांव सिंहपुर में जब कोविड संक्रमित युवक की मौत के बाद परिजनों ने शव तक लेने से इनकार कर दिया तो बागवाला थाना प्रभारी ने अंतिम संस्कार करवाया. कुछ ऐसा ही जालौन में भी हुआ. यहां 16 अप्रैल को प्रभारी निरीक्षक कोतवली ने मृतक का अंतिम संस्कार कराया.

मैनपुरी और बदायूं में भी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए जब कोई नहीं आया तो पुलिस ने ही कंधा दिया और पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराया. बीते 5 मई को कानपुर के किदवई नगर में एक 85 वर्ष के बुजुर्ग की मौत हो गई. कंधा देने के लिए मोहल्ले वालों और जानने वालों ने मना कर दिया. इसके बाद पुलिस ने मानवता की एक अद्भुत मिसाल पेश की और पूरे सम्मान के साथ अर्थी को कंधा देकर अंतिम संस्कार कराया. बीते 7 मई को बरेली जिले के थाना प्रेमनगर क्षेत्र में एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके रिश्तेदार और परिजनों ने अंतिम संस्कार में आने से मना कर दिया. इसके बाद पीड़ित पत्नी की अपील पर प्रेमनगर की पुलिस ने रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कराया.

मानवता की मिसाल कायम करने वाले पुलिसकर्मियों को "एंजिल ऑफ खाकी" के नाम नवाजा गया. सम्मानित पुलिसकर्मियों के नाम ये हैं...

बिजनौर

अरुण कुमार त्यागी- प्रभारी निरीक्षक
कॉन्स्टेबल- राहुल गौतम, अमित चौधरी,
कॉन्स्टेबल ड्राइवर- पंकज शर्मा

मुरादाबाद

कॉन्स्टेबल- अरुण कुमार, थाना मुगलपुरा

जौनपुर

मुन्ना राम धुसिया- प्रभारी निरीक्षक, मडियाहूं
हेड कॉन्स्टेबल- कृष्ण मुरारी, संजय यादव, सुधीर दुबे
कॉन्स्टेबल- प्रवीण मिश्रा, राज कुमार यादव

नोएडा

एसआई- हरि सिंह

लखनऊ

धनंजय सिंह- प्रभारी निरीक्षक, बाजार खाला
कॉन्स्टेबल (थाना तालकटोरा)- अखिलेश यादव, चंद्रमुरारी झा
थाना गोमतीनगर- एसआई दयाराम साहनी, अरुण यादव, राजेंद्र बाबू, प्रशांत सिंह

एटा

थाना प्रभारी- रामकेश सिंह राजपूत

मैनपुरी

सीओ सिटी- अभय नारायण राय
हेड कॉन्स्टेबल- सत्यप्रकाश
कॉन्स्टेबल/गनर- वीरेंद्र सिंह

जालौन

प्रभारी निरीक्षक कोतवाली- उदयभान गौतम
कॉन्स्टेबल- जितेंद्र यादव

गोरखपुर

एसएचओ- कल्याण सिंह नागर
कॉन्स्टेबल- अशोक सिंह
एचसी- अजय कुमार सिंह

बदायूं

प्रभारी निरीक्षक- राजीव शर्मा
कॉन्स्टेबल- राहुल कुमार

बरेली

इंस्पेक्टर प्रेमनगर- अवनीश यादव
चौकी इंचार्ज कोहाड़ापीर- विजय पाल सिंह
हेड कॉन्स्टेबल- सतपाल सिंह
कॉन्स्टेबल- सर्वेश अत्री

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