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मंत्री के खिलाफ नहीं हाजिर हो रहे पुलिस के गवाह, कोर्ट ने डीजीपी और कमिश्नर को भेजा पत्र

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री मोहसिन रजा पर 31 साल पुराना आपराधिक मामला चल रहा है. लखनऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट में मामले की सुनवाई हो रही है, लेकिन मंत्री के खिलाफ गवाह रहे दो पुलिसकर्मी कोर्ट में गवाही देने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. कोर्ट ने इसके लिए डीजीपी और कमिश्नर को पत्र भी लिखा है.

मंत्री के खिलाफ नहीं हाजिर हो रहे पुलिस के गवाह
मंत्री के खिलाफ नहीं हाजिर हो रहे पुलिस के गवाह
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Published : Feb 4, 2021, 10:05 AM IST

लखनऊः एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने यूपी सरकार में मंत्री अरशद उर्फ मोहसिन रजा के खिलाफ 31 साल पुराने एक आपराधिक मामले में पुलिस के गवाहों के हाजिर नहीं होने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. उन्होंने इस संदर्भ में पुलिस कमिश्नर के साथ ही पुलिस महानिदेशक को भी पत्र जारी किया है.

मंत्री के खिलाफ नहीं हाजिर हो रहे पुलिस के गवाह
मंत्री के खिलाफ नहीं हाजिर हो रहे पुलिस के गवाह


पत्र में कहा गया है कि इस मामले में एसआई प्रदीप कौशिक व सिपाही सुरेद्र की गवाही होनी है. पिछली कई तारीख से इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट व सीआरपीसी की धारा 350 की नोटिस भी जारी है. बावजूद इसके संबधित थाने द्वारा इनका पता-ठिकाना मालूम नहीं किया जा सका है. यह अत्यन्त आपत्तिजनक है. लिहाजा 20 फरवरी तक इन गवाहों की वर्तमान नियुक्ति अथवा सेवानिवृति की दशा में इनका स्थाई व वर्तमान पता वगैरह अनिवार्य रुप से भेजना सुनिश्चित किया जाए. बुधवार को अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान अभियुक्त मोहसिन रजा अदालत में उपस्थित रहे.

जानें, पूरा मामला

4 अगस्त 1989 को ट्रक ड्राइवर लल्लन ने थाना वजीरगंज में एक एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक वह ट्रक लेकर नबीउल्लाह रोड से बड़े छत्ते पुल की तरफ मुड़ा. इतने में उधर से अकबर उर्फ सज्जू व अरशद उर्फ मोहसिन रजा साइकिल चलाते हुए ट्रक के सामने आ गए. उसने ट्रक में तुरंत ब्रेक लगाया. इन दोनों ने ट्रक के सामने अपनी साइकिल खड़ी कर दी और गाली देने लगे व उसे रुकने को कहा. उसने आगे बढ़ाकर ट्रक साइड में लगा दी. नीचे उतरते ही अकबर व अरशद लात-घूसों से मारने लगे. वह किसी तरह जान बचाकर भागा. 4 अगस्त 1990 को पुलिस ने इस मामले में अकबर उर्फ सज्जू व अरशद उर्फ मोहसिन रजा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. 27 जुलाई 2018 को इस मामले में मोहसिन रजा पर आरोप तय हुआ था.

लखनऊः एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने यूपी सरकार में मंत्री अरशद उर्फ मोहसिन रजा के खिलाफ 31 साल पुराने एक आपराधिक मामले में पुलिस के गवाहों के हाजिर नहीं होने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. उन्होंने इस संदर्भ में पुलिस कमिश्नर के साथ ही पुलिस महानिदेशक को भी पत्र जारी किया है.

मंत्री के खिलाफ नहीं हाजिर हो रहे पुलिस के गवाह
मंत्री के खिलाफ नहीं हाजिर हो रहे पुलिस के गवाह


पत्र में कहा गया है कि इस मामले में एसआई प्रदीप कौशिक व सिपाही सुरेद्र की गवाही होनी है. पिछली कई तारीख से इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट व सीआरपीसी की धारा 350 की नोटिस भी जारी है. बावजूद इसके संबधित थाने द्वारा इनका पता-ठिकाना मालूम नहीं किया जा सका है. यह अत्यन्त आपत्तिजनक है. लिहाजा 20 फरवरी तक इन गवाहों की वर्तमान नियुक्ति अथवा सेवानिवृति की दशा में इनका स्थाई व वर्तमान पता वगैरह अनिवार्य रुप से भेजना सुनिश्चित किया जाए. बुधवार को अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान अभियुक्त मोहसिन रजा अदालत में उपस्थित रहे.

जानें, पूरा मामला

4 अगस्त 1989 को ट्रक ड्राइवर लल्लन ने थाना वजीरगंज में एक एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक वह ट्रक लेकर नबीउल्लाह रोड से बड़े छत्ते पुल की तरफ मुड़ा. इतने में उधर से अकबर उर्फ सज्जू व अरशद उर्फ मोहसिन रजा साइकिल चलाते हुए ट्रक के सामने आ गए. उसने ट्रक में तुरंत ब्रेक लगाया. इन दोनों ने ट्रक के सामने अपनी साइकिल खड़ी कर दी और गाली देने लगे व उसे रुकने को कहा. उसने आगे बढ़ाकर ट्रक साइड में लगा दी. नीचे उतरते ही अकबर व अरशद लात-घूसों से मारने लगे. वह किसी तरह जान बचाकर भागा. 4 अगस्त 1990 को पुलिस ने इस मामले में अकबर उर्फ सज्जू व अरशद उर्फ मोहसिन रजा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. 27 जुलाई 2018 को इस मामले में मोहसिन रजा पर आरोप तय हुआ था.

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