लखनऊ: कवि और कविताओं को समाज का आईना माना गया है. एक कवि अपनी लेखनी से समाज को निरंतर प्रेरित करता रहता है. कवि क्या है इसके विषय में विख्यात साहित्यकार नीरज जी ने कहा है कि आत्मा के सौंदर्य का शब्द रूप काव्य है, मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य है. लेकिन कोरोना के दौर में कवियों के हाल बेहाल हो गए हैं. कवि सम्मेलन बंद होने के बाद कई कवियों को आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है.
प्रसिद्ध हास्य कवि पंकज प्रसून से ईटीवी भारत ने की बातचीत
ईटीवी भारत ने राजधानी लखनऊ के प्रसिद्ध हास्य कवि पंकज प्रसून से बात की. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के समय में वैसे तो सभी क्षेत्र प्रभावित रहे हैं, लेकिन बहुत से ऐसे कवि हैं जो लॉकडाउन के बाद से आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं. बहुत से कवियों ने कई लोन भी लिए थे जिन की किस्तें कवि सम्मेलन के जरिए कमाए गए पैसों से चुकाई जा रही थी. जो लॉकडाउन के बाद पूरी तरह से ठप हो गई. कई कवियों ने ऑनलाइन सम्मेलन भी शुरू किया था, जिससे भी उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हुआ. भले ही अब निश्चित संख्या के साथ कवि सम्मेलन की इजाजत मिल गई हो लेकिन, आयोजकों के द्वारा वह पेमेंट नहीं मिल पाता जो कवियों को मिलना चाहिए.
महामारी के दौर में साहित्य को हुआ भारी नुकसान
महामारी के दौर में जहां एक ओर कवियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा वहीं दूसरी ओर हिंदी साहित्य जगत को भी भारी नुकसान हुआ है. इस महामारी में कई दिग्गज कवि इस दुनिया से अलविदा कह कर चले गए.
कवियों ने कोरोना काल में ढूंढा वाय'रस'
कवि अपनी कविता में हर प्रकार के रस का मिश्रण रख सकता है. जैसे हास्य रस, श्रृंगार रस, वीर रस आदि वैसे ही इस कोरोना वायरस की शुरुआत के बाद कवियों ने एक नए रस वाय 'रस' की भी खोज की. जिस पर कवियों ने कई कविताएं भी लिखी हैं. कवि पंकज प्रसून ने अलग-अलग दौर के कवियों की लेखनी के अनुसार वाय'रस' पर कई अलग-अलग पंक्तियां भी सुनाई.