लखनऊ : घर के बाहर खेल रही 6 वर्ष की मासूम बच्ची के साथ छेड़छाड़ और जानमाल की धमकी देने के दोषी विनोद को पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश राम बिलास प्रसाद ने दोष सिद्ध करार दिया. कोर्ट ने सजा के बिंदुओं पर सुनवाई के बाद आरोपी को दस वर्ष के कठोर कारावास और 11 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया.
कोर्ट में सरकारी वकील शशि पाठक ने तर्क दिया कि मामले की रिपोर्ट वादी ने बंथरा थाने पर 8 दिसम्बर 2016 को दर्ज करायी थी. दर्ज रिपोर्ट में कहा गया था कि रात 8 बजे के करीब वादी की 6 वर्ष की पुत्री घर के बाहर खेल रही थी. इसी दौरान पड़ोस में रहने वाला विनोद वहां आया और वादी की पुत्री का मुंह और गला दबाकर खाली पड़े स्कूल में ले गया. वहां उसने छेड़छाड़ की और बच्ची के चीखने पर जान से मारने का प्रयास किया.
वहीं एक अन्य मामले में संपत्ति के लालच में ससुर की हत्या करने के आरोपी दिलीप कश्यप, मनीष कश्यप और उसके साथी शिव सिंह की जमानत अर्जी को अपर सत्र न्यायाधीश पद्माकर मणि त्रिपाठी ने खारिज कर दिया.
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जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दुष्यंत मिश्रा एवं अरुण पांडे का तर्क था कि इस घटना की रिपोर्ट स्वयं आरोपी दिलीप कश्यप की पत्नी रितु कश्यप द्वारा 28 अगस्त 2021 को थाना चिनहट में दर्ज करायी गयी थी. उसमें कहा गया था कि वह अपने पति के साथ मायके में रहती है और उसके पिता ने कुछ दिन पहले तीन करोड़ की जमीन बेची थी, जिसको लेकर आए दिन रामचरण और दोनों दामादों के बीच झगड़ा होता रहता था. कहा गया कि उसके पिता की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी.
बहस के दौरान कहा गया कि अभियुक्तों ने आपस में मिलकर समान उद्देश्य की पूर्ति के लिए तीन करोड़ बीस लाख रुपये के बंटवारे को लेकर गोपी कश्यप की हत्या कर दी. अदालत ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मृतक गोपी कश्यप की मृत्यु गला दबाने से दम घुटने के कारण हुई है तथा पत्रावली पर साक्ष्य उपलब्ध है कि संपत्ति के बंटवारे को लेकर मृतक गोपी की हत्या कर दी गयी.
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