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लखनऊ: भारतेंदु नाट्य अकादमी में 'बायेंन' नाटक में दिखी सामाजिक कुरीतियों की झलक

ग्रीष्मकालीन नाट्य समारोह के तहत मंगलवार को भारतेंदु नाट्य अकादमी में 'बायेंन' नामक नाटक का मंचन किया गया. 'बायेंन' एक ऐसा नाटक है जिसमे सामाजिक कुरीतियों की झलक दिखलाई गई. इस दौरान बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे.

'बायेंन' नेटक में दिखी सामाजिक कुरीतियों की झलक
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Published : Jun 12, 2019, 6:52 PM IST

लखनऊ: ग्रीष्मकालीन नाट्य समारोह के तहत मंगलवार को भारतेंदु नाट्य अकादमी में 'बायेंन' नामक नाटक का मंचन किया गया. यह नाटक लोगों को इतना पसंद आया कि शो हाउसफुल रहा और इसके हर दृश्य को दर्शकों ने खूब सराहा और खड़े होकर तालियां भी बजाईं.

'बायेंन' नेटक में दिखी सामाजिक कुरीतियों की झलक

सामाजिक कुरीतियों को दर्शाता है 'बायेंन' नाटक

  • 'बायेंन' एक ऐसा नाटक है जिसमे सामाजिक कुरीतियों की झलक दिखाई गई है.
  • कहानी समाज के निचले स्तर पर रहने वाले लोगों के हालातों को बयां करती है.
  • नाटक के माध्यम से दिखाया गया है कि परंपराओं के चलते कहीं न कहीं कुरीतियां भी आम जनमानस के दिमाग में बैठ जाती हैं.
  • इस नाटक के जरिए लोगों में अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ जागरुकता बढ़ाने की कोशिश की गई.

इस कहानी में सामाजिक कुरीतियों के चलते एक मां को अपने बच्चे से और एक पत्नी को अपने पति से अलग होना पड़ता है. अंधविश्वास के चलते एक लड़की को काफी भारी कीमत चुकानी पड़ती है.

ये नाटक समाज में चल रही कुरीतियों के खिलाफ आंखें खोलने की बात कहता है, जिसके बारे में काफी कम लोग ही सोच पाते हैं. लोगों को लगता है कि परंपराओं को नहीं तोड़ना चाहिए और परंपराओं के चलते कहीं न कहीं कुरीतियां भी उनके दिमाग में बैठ जाती है.

-दीप कुमार, मलिंदर का किरदार निभाने वाले

मेरे लिए इस किरदार को निभाना काफी मुश्किल था क्योंकि इस किरदार में जिस तरह से एक लड़की के व्यक्तित्व को दिखलाया गया है उसे कल्पना करना भी बेहद कठिन है. ये नाटक मेरी जिंदगी का एक यादगार किरदार रहने वाला है, क्योंकि इसमें मैंने न केवल समाज की कुरीतियों के बारे में जाना है बल्कि साथ ही उस हिस्से को भी निभाया है जिस पर एक लड़की को जिंदगी भर गुजरना पड़ सकता है.

-बर्नाली बोरा, चंडी दासी का किरदार निभाने वाली

लखनऊ: ग्रीष्मकालीन नाट्य समारोह के तहत मंगलवार को भारतेंदु नाट्य अकादमी में 'बायेंन' नामक नाटक का मंचन किया गया. यह नाटक लोगों को इतना पसंद आया कि शो हाउसफुल रहा और इसके हर दृश्य को दर्शकों ने खूब सराहा और खड़े होकर तालियां भी बजाईं.

'बायेंन' नेटक में दिखी सामाजिक कुरीतियों की झलक

सामाजिक कुरीतियों को दर्शाता है 'बायेंन' नाटक

  • 'बायेंन' एक ऐसा नाटक है जिसमे सामाजिक कुरीतियों की झलक दिखाई गई है.
  • कहानी समाज के निचले स्तर पर रहने वाले लोगों के हालातों को बयां करती है.
  • नाटक के माध्यम से दिखाया गया है कि परंपराओं के चलते कहीं न कहीं कुरीतियां भी आम जनमानस के दिमाग में बैठ जाती हैं.
  • इस नाटक के जरिए लोगों में अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ जागरुकता बढ़ाने की कोशिश की गई.

इस कहानी में सामाजिक कुरीतियों के चलते एक मां को अपने बच्चे से और एक पत्नी को अपने पति से अलग होना पड़ता है. अंधविश्वास के चलते एक लड़की को काफी भारी कीमत चुकानी पड़ती है.

ये नाटक समाज में चल रही कुरीतियों के खिलाफ आंखें खोलने की बात कहता है, जिसके बारे में काफी कम लोग ही सोच पाते हैं. लोगों को लगता है कि परंपराओं को नहीं तोड़ना चाहिए और परंपराओं के चलते कहीं न कहीं कुरीतियां भी उनके दिमाग में बैठ जाती है.

-दीप कुमार, मलिंदर का किरदार निभाने वाले

मेरे लिए इस किरदार को निभाना काफी मुश्किल था क्योंकि इस किरदार में जिस तरह से एक लड़की के व्यक्तित्व को दिखलाया गया है उसे कल्पना करना भी बेहद कठिन है. ये नाटक मेरी जिंदगी का एक यादगार किरदार रहने वाला है, क्योंकि इसमें मैंने न केवल समाज की कुरीतियों के बारे में जाना है बल्कि साथ ही उस हिस्से को भी निभाया है जिस पर एक लड़की को जिंदगी भर गुजरना पड़ सकता है.

-बर्नाली बोरा, चंडी दासी का किरदार निभाने वाली

Intro:लखनऊ। ग्रीष्मकालीन नाट्य समारोह के तहत मंगलवार को भारतेंदु नाट्य अकादमी में 'बायेंन' नमक नाटक का मंचन किया गया। इस नाटक के हर दृश्य को दर्शकों ने खूब सराहा। यहां तक कि शो हाउसफुल होने के बावजूद लोग खड़े होकर पूरा नाटक देखते रहे और अंत में नाटक के कलाकारों को दर्शकों ने स्टैंडिंग ओवेशन देकर भरपूर तालियां बजाई।


Body:वीओ1 'बायेंन' एक ऐसा नाटक है जिसमे सामाजिक कुरीतियों की एक झलक दिखलाई गयी है। नाटक के कलाकार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली से आए हैं। बाय नाटक की मुख्य किरदार मलिंदर को निभाने वाले दीप कुमार कहते हैं कि यह कहानी समाज के निचले स्तर पर रहने वाले लोगों की कहानी को बयां करती है जहां पर सामाजिक कुरीतियों के चलते एक मां को अपने बच्चे से और एक पत्नी को अपने पति से अलग होना पड़ता है। अंधविश्वास के चलते एक लड़की को काफी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। यह नाटक आज भी समाज में चल रही कुरीतियों के खिलाफ आंखें खोलने की बात कहता है जिसके बारे में काफी कम लोग ही सोच पाते हैं। लोगों को लगता है कि परंपराओं को नहीं तोड़ना चाहिए और परंपराओं के चलते कहीं न कहीं कुरीतियां भी उनके दिमाग में बैठ जाती है। वहीं दूसरी ओर मुख्य किरदार चंडी दासी का रोल करने वाली बोरनाली बोरा कहती है कि मेरे लिए इस किरदार को निभाना काफी मुश्किल था क्योंकि इस किरदार में जिस तरह से एक लड़की के व्यक्तित्व को दिखलाया गया है उसे कल्पना करना भी बेहद कठिन है। यह नाटक मेरी जिंदगी का एक यादगार किरदार रहने वाला है। क्योंकि इसमें मैंने न केवल समाज की कुरीतियों के बारे में जाना है बल्कि साथ ही उस हिस्से को भी निभाया है जिस पर एक लड़की को जिंदगी भर गुजरना पड़ सकता है।


Conclusion:नाटक का अंत न केवल लोगों के रोंगटे खड़े कर देने वाला था बल्कि यह सोचने पर भी मजबूर कर रहा था कि इन सामाजिक कुरीतियों के चलते एक इंसान को किस हद तक गुजरना पड़ सकता है। बाइट- दीप, बर्नाली बोरा- कलाकार रामांशी मिश्रा
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