लखनऊ: प्लास्टिक सर्जरी की अहमियत बढ़ती जा रही है. अंगों के कटने पर जहां प्लास्टिक सर्जरी से व्यक्ति को अपंग होने से बचाया जा सकता है. वहीं कैंसर, हड्डी के बड़े ऑपरेशन के बाद प्लास्टिक सर्जरी से मरीज को शारीरिक विकृति से बचाया जा रहा है. यह बातें केजीएमयू प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बृजेश मिश्र ने 45वें स्थापना दिवस पर बताई.
डॉ. बृजेश मिश्र ने कहा कि कैंसर के मरीजों के ऑपरेशन के बाद प्लास्टिक सर्जरी से उन्हें राहत पहुंचाई जाती है. सबसे ज्यादा ओरल कैंसर से पीड़ित मरीजों को प्लास्टिक सर्जरी से मदद मिलती है. इसमें ऑपरेशन कर कैंसरग्रस्त हिस्सा हटाया जाता है जिसके बाद प्लास्टिक सर्जन शरीर के दूसरे अंग से मांस का हिस्सा निकालकर ऑपरेशन वाली जगह पर प्रत्यारोपित करते हैं. इससे मरीज के चेहरे की विकृति दूर हो जाती है.
पैर कटने पर अर्थों-प्लास्टिक सर्जन के इलाज से बेहतर परिणाम
अमृतसर के डॉ. रवि महाजन के मुताबिक सड़क हादसे में घायलों के कई बार पैर में गंभीर चोटे आ जाती हैं. इस दौरान पैर के काटने तक की नौबत आ जाती है. ऐसे में मरीजों का इलाज अर्थों सर्जन व प्लास्टिक सर्जन को मिलकर करना चाहिए. इससे सर्जरी के परिणाम और बेहतर आ सकते हैं. प्लास्टिक सर्जन पैर का ऑपरेशन कर क्या हटाना है और क्या बचाना है? इसे आसानी से तय कर सकता है. हल्द्वानी के डॉ. पीएस भंडारी ने हाथ व कंधे की गंभीर चोटों के जटिल ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी.
केजीएमयू कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी विभाग में गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराया जा रहा है. बर्न यूनिट का संचालन भी शुरू हो गया है. इससे आग में झुलसे मरीजों का इलाज आसान हो गया है. कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एके सिंह, पीजीआई प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव अग्रवाल समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.
केजीएमयू में दांत लगवाने के लिए 3 से 6 माह तक इलाज कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी. एक दिन में दांतों का प्रत्यारोपण संभव हो गया है. अब तक दंत संकाय के डॉक्टरों ने 60 मरीजों पर शोध किया है. इसके तहत मरीजों को तुरंत दांत लगाया गया. गुरुवार को केजीएमयू कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने दंत संकाय के सदस्यों को सम्मानित किया है.
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