लखनऊ : राजधानी के विभूतिखंड में कुवैत में नौकरी लगवाने का झांसा देकर प्लेसमेंट एजेंसी संचालकों ने करीब 300 लोगों (cheated 300 people in lucknow) से डेढ़ करोड़ रुपये ऐंठ लिए. आरोपियों ने विभूतिखंड में ऑफिस खोला था, जिसे बंद कर फरार हो गए हैं. पीड़ितों ने एजेंसी की महिला निदेशक समेत चार लोगों पर बुधवार को धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है. पुलिस मामले की जांच पड़ताल में लग गई है. पीड़ितों ने बताया कि उन लोगों ने कर्ज व पत्नी के गहने गिरवी रखकर पैसे जमा किए थे.
पुलिस के मुताबिक, देवरिया निवासी वेद प्रकाश दुबे ने थाने पर शिकायत दर्ज कराई है कि वह खाड़ी देशों में नौकरी तलाश रहे थे. इस दौरान विभूतिखंड साइबर टॉवर 7 स्थित रेड ब्रिज कंसल्टेंट का पता चला. वेद प्रकाश ने एजेंसी निदेशक मानसी शुक्ला से सम्पर्क किया. मानसी ने बताया कि कुवैत की कम्पनियों को भारतीय मजदूरों की जरूरत है. वेद प्रकाश के अनुसार, मानसी ने वेल्डर का काम दिलाने की बात कही थी. उनकी तरह ही कई अन्य युवक भी एजेंसी दफ्तर आए थे, सभी से वीजा, मेडिकल के लिए 47 हजार रुपये जमा कराए गए थे. वेद प्रकाश के अनुसार, आरोपियों ने करीब तीन सौ लोगों से डेढ़ करोड़ रुपये लिए थे. मानसी के साथ गुरुप्रीत सिंह, शारदा और अंजली भी एजेंसी से जुड़े थे.
वेद के मुताबिक, एजेंसी की तरफ से रुपये लेने के बाद सभी को वीजा दिया गया. जांच में वर्किंग की जगह कुवैत का टूरिस्ट वीजा होने की बात सामने आई. पीड़ित एजेंसी के दफ्तर पहुंचे तो ताला लटकता मिला. पूछताछ में पता चला कि मानसी शुक्ला और अन्य साथी कई दिन पहले दफ्तर बंद चले गए थे.
देवरिया के रहने वाले पीड़ित वेद प्रकाश दुबे ने बताया कि उन्होंने कुवैत जाने के लिए 11 अक्टूबर को लोगों से रुपया कर्ज लेकर एजेंसी निदेशक मानसी शुक्ला को 47 हजार रुपये दिए थे, तो वहीं देवरिया के ही रहने वाले अंकुर गौतम ने बताया कि वेद प्रकाश ने उनको कुवैत जाने के पूरी जानकारी दी, जिसके बाद उन्होंने भी कुवैत में काम करने के लिए पत्नी के जेवर गिरवी रखे. जिसके बाद उन्होंने मानसी शुक्ला को कुवैत जाने के लिए पैसे दिए थे, मगर कुछ दिन बाद वर्किंग वीजे की जगह टूरिस्ट वीजा होने की बात सामने आई. जब हम लोग उनके दफ्तर पहुंचे तो वहां ताला लटक रहा था.
इंस्पेक्टर विभूतिखंड उदय राज निषाद के मुताबिक पीड़ितों की शिकायत पर चार लोगों पर मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है.
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