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ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग की जांच की मांग, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग की जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष वाराणसी के कुछ लोगों ने जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका के माध्यम से कमेटी या आयोग का गठन करने की मांग की गई है.

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद.
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद.
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Published : Jun 7, 2022, 8:33 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष एक जनहित याचिका दाखिल करते हुए ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की जांच व अध्ययन करने के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान अथवा सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में एक कमेटी या आयोग का गठन करने की मांग की गई है. याचिका में मांग की गई है कि आयोग अध्ययन कर यह तय करे कि उक्त संरचना शिवलिंग ही है अथवा फव्वारा. यदि उक्त संरचना शिवलिंग है तो हिंदुओं को उसकी पूजा का अधिकार दिया जाए और यदि यह फव्वारा है तो इसे क्रियाशील (फंक्शनल) किया जाए. यह याचिका वाराणसी के सुधीर सिंह, महंत बालकराम दास, मार्कण्डेय तिवारी व राजीव राय, लखनऊ निवासियों रवि मिश्रा व अतुल कुमार तथा मुम्बई निवासी शिवेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दाखिल की गई है.

इसे भी पढ़ें-ज्ञानवापी मामलाः अंजुमन इंतजामियां के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की याचिका को कोर्ट ने किया खारिज

याचियों के अधिवक्ता अशोक पांडेय ने बताया कि दाखिल याचिका पर 9 जून को पहली सुनवाई की सम्भावना है. उन्होंने बताया कि याचिका में कहा गया है कि 'हिंदुओं का दावा है कि मिली संरचना विशेश्वर ज्योतिर्लिंग है, इस सम्बंध में केंद्र सरकार को अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. याचिका में यह चिंता भी जाहिर की गई है कि उक्त विवाद को लेकर तमाम राजनीतिज्ञों व अन्य लोगों द्वारा तरह-तरह के बयान दिए जा रहे हैं. इसी प्रकार के एक बयान के चलते हिंदुओं की इस्लामिक दुनिया में छवि धूमिल हुई है. जिसकी वजह से देश का सम्बंध इस्लामिक देशों के साथ खराब होने का भी खतरा उत्पन्न हो गया है. इस विवाद का पटाक्षेप करने के लिए ही याचियों ने याचिका दाखिल की है.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष एक जनहित याचिका दाखिल करते हुए ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की जांच व अध्ययन करने के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान अथवा सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में एक कमेटी या आयोग का गठन करने की मांग की गई है. याचिका में मांग की गई है कि आयोग अध्ययन कर यह तय करे कि उक्त संरचना शिवलिंग ही है अथवा फव्वारा. यदि उक्त संरचना शिवलिंग है तो हिंदुओं को उसकी पूजा का अधिकार दिया जाए और यदि यह फव्वारा है तो इसे क्रियाशील (फंक्शनल) किया जाए. यह याचिका वाराणसी के सुधीर सिंह, महंत बालकराम दास, मार्कण्डेय तिवारी व राजीव राय, लखनऊ निवासियों रवि मिश्रा व अतुल कुमार तथा मुम्बई निवासी शिवेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दाखिल की गई है.

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याचियों के अधिवक्ता अशोक पांडेय ने बताया कि दाखिल याचिका पर 9 जून को पहली सुनवाई की सम्भावना है. उन्होंने बताया कि याचिका में कहा गया है कि 'हिंदुओं का दावा है कि मिली संरचना विशेश्वर ज्योतिर्लिंग है, इस सम्बंध में केंद्र सरकार को अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. याचिका में यह चिंता भी जाहिर की गई है कि उक्त विवाद को लेकर तमाम राजनीतिज्ञों व अन्य लोगों द्वारा तरह-तरह के बयान दिए जा रहे हैं. इसी प्रकार के एक बयान के चलते हिंदुओं की इस्लामिक दुनिया में छवि धूमिल हुई है. जिसकी वजह से देश का सम्बंध इस्लामिक देशों के साथ खराब होने का भी खतरा उत्पन्न हो गया है. इस विवाद का पटाक्षेप करने के लिए ही याचियों ने याचिका दाखिल की है.

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