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इंदिरा नहर हादसा: जो लौट के घर ना आ सके...

इंदिरा नहर में बच्चों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू हो गया है. पहले रात होने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया था लेकिन करीब पौन घंटे के बाद इंतजामों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू हो चुका है. अभी भी चार लापता बच्चों की तलाश जारी है.

मातम में बदली बारात की खुशियां
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Published : Jun 21, 2019, 12:08 AM IST

लखनऊ: गुरूवार की सुबह का वक्त था. अहले सुबह के ढाई से तीन बजे का वक्त था. एक पिकअप पर करीब 29 लोग सवार थे. शादी समारोह से लौट रहे थे. राजधानी के लखनऊ के नजदीक नगराम से होकर जब पिकअप गुजर रहा था, तभी हादसे ने सभी 29 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. पिकअप वैन पटवा खेड़ा गांव के पास इंदिरा नहर में जा गिरी. अंधेरा था. वैन में सवार सभी लोग नहर में गिर पड़े. हाहाकार मच गया. पिकअप वैन का ड्राइवर फरार हो गया.

मातम में बदली बारात की खुशियां
इस बीच राहत बचाव कार्य भी शुरू हो गया. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी पहुंच गयी. 29 में से 22 लोगों को बचा लिया गया. लेकिन 7 बच्चों की तलाश जारी रही. 7 बच्चों का कुछ पता नहीं चल रहा था. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. अपनी नजरों के सामने जिगर के टुकड़े को दूर होता देख कोई कैसे बर्दाश्त कर सकता है. कोई गश खाकर गिर रही थी. तो कोई अपनी छाती पीट रही थी.

मुख्यमंत्री ने भी तमाम आलाधिकारियों को राहत कार्य के लिये निर्देश दिये. वक्त गुजरता जा रहा था. नहर के पानी को कम करने की कोशिश भी जारी थी. मौके पर रेस्क्यू के लिये तमाम टीमें मौजूद थीं. 32 बटालियन पीएसी भी विशेष प्रकार के जाल के साथ लगी थी. परिजनों की नजरें पानी की तरफ ही टिकी थीं कि कब उनका लाल वापस आएगा. लेकिन जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा था, उम्मीद की डोर कमजोर भी होती जा रही थी. लापता सात बच्चों में 5 लड़के और 2 लड़कियां थीं और सभी की उम्र 5 से 10 साल के बीच की थी. 15 से 20 किलोमीटर की रेंज में सर्च ऑपरेशन चल रहा था.

जैसे-जैसे उम्मीदें कमजोर पड़ती जा रही थीं वैसे-वैसे लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा था. नाराज परिजनों और गांव वालों ने एसडीएम का घेराव कर दिया. मौके पर रैपिड एक्शन फोर्स बुला ली गयी. करीब 12 घंटे की मशक्कत के बाद 3 बच्चों के शव नहर से निकाले जा सके. मासूमों के शव को देखकर परिजनों में कोहराम मच गया. अब किसे कौन दिलासा दे, कौन समझाए. उनके लिये क्या कहें जो लौट के घर ना आए...

लखनऊ: गुरूवार की सुबह का वक्त था. अहले सुबह के ढाई से तीन बजे का वक्त था. एक पिकअप पर करीब 29 लोग सवार थे. शादी समारोह से लौट रहे थे. राजधानी के लखनऊ के नजदीक नगराम से होकर जब पिकअप गुजर रहा था, तभी हादसे ने सभी 29 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. पिकअप वैन पटवा खेड़ा गांव के पास इंदिरा नहर में जा गिरी. अंधेरा था. वैन में सवार सभी लोग नहर में गिर पड़े. हाहाकार मच गया. पिकअप वैन का ड्राइवर फरार हो गया.

मातम में बदली बारात की खुशियां
इस बीच राहत बचाव कार्य भी शुरू हो गया. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी पहुंच गयी. 29 में से 22 लोगों को बचा लिया गया. लेकिन 7 बच्चों की तलाश जारी रही. 7 बच्चों का कुछ पता नहीं चल रहा था. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. अपनी नजरों के सामने जिगर के टुकड़े को दूर होता देख कोई कैसे बर्दाश्त कर सकता है. कोई गश खाकर गिर रही थी. तो कोई अपनी छाती पीट रही थी.

मुख्यमंत्री ने भी तमाम आलाधिकारियों को राहत कार्य के लिये निर्देश दिये. वक्त गुजरता जा रहा था. नहर के पानी को कम करने की कोशिश भी जारी थी. मौके पर रेस्क्यू के लिये तमाम टीमें मौजूद थीं. 32 बटालियन पीएसी भी विशेष प्रकार के जाल के साथ लगी थी. परिजनों की नजरें पानी की तरफ ही टिकी थीं कि कब उनका लाल वापस आएगा. लेकिन जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा था, उम्मीद की डोर कमजोर भी होती जा रही थी. लापता सात बच्चों में 5 लड़के और 2 लड़कियां थीं और सभी की उम्र 5 से 10 साल के बीच की थी. 15 से 20 किलोमीटर की रेंज में सर्च ऑपरेशन चल रहा था.

जैसे-जैसे उम्मीदें कमजोर पड़ती जा रही थीं वैसे-वैसे लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा था. नाराज परिजनों और गांव वालों ने एसडीएम का घेराव कर दिया. मौके पर रैपिड एक्शन फोर्स बुला ली गयी. करीब 12 घंटे की मशक्कत के बाद 3 बच्चों के शव नहर से निकाले जा सके. मासूमों के शव को देखकर परिजनों में कोहराम मच गया. अब किसे कौन दिलासा दे, कौन समझाए. उनके लिये क्या कहें जो लौट के घर ना आए...

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लखनऊ: गुरूवार की सुबह का वक्त था. अहले सुबह के ढाई से तीन बजे का वक्त था. एक पिकअप पर करीब 29 लोग सवार थे. शादी समारोह से लौट रहे थे. राजधानी के लखनऊ के नजदीक नगराम से होकर जब पिकअप गुजर रहा था, तभी हादसे ने सभी 29 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. पिकअप वैन पटवा खेड़ा गांव के पास इंदिरा नहर में जा गिरी. अंधेरा था. वैन में सवार सभी लोग नहर में गिर पड़े. हाहाकार मच गया. पिकअप वैन का ड्राइवर फरार हो गया.

इस बीच राहत बचाव कार्य भी शुरू हो गया. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी पहुंच गयी. 29 में से 22 लोगों को बचा लिया गया. लेकिन 7 बच्चों की तलाश जारी रही. 7 बच्चों का कुछ पता नहीं चल रहा था. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. अपनी नजरों के सामने जिगर के टुकड़े को दूर होता देख कोई कैसे बर्दाश्त कर सकता है. कोई गश खाकर गिर रही थी. तो कोई अपनी छाती पीट रही थी.



मुख्यमंत्री ने भी तमाम आलाधिकारियों को राहत कार्य के लिये निर्देश दिये. वक्त गुजरता जा रहा था. नहर के पानी को कम करने की कोशिश भी जारी थी. मौके पर रेस्क्यू के लिये तमाम टीमें मौजूद थीं. 32 बटालियन पीएसी भी विशेष प्रकार के जाल के साथ लगी थी. परिजनों की नजरें पानी की तरफ ही टिकी थीं कि कब उनका लाल वापस आएगा. लेकिन जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा था, उम्मीद की डोर कमजोर भी होती जा रही थी. लापता सात बच्चों में 5 लड़के और 2 लड़कियां थीं और सभी की उम्र 5 से 10 साल के बीच की थी. 15 से 20 किलोमीटर की रेंज में सर्च ऑपरेशन चल रहा था.



जैसे-जैसे उम्मीदें कमजोर पड़ती जा रही थीं वैसे-वैसे लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा था. नाराज परिजनों और गांव वालों ने एसडीएम का घेराव कर दिया. मौके पर रैपिड एक्शन फोर्स बुला ली गयी. करीब 12 घंटे की मशक्कत के बाद 3 बच्चों के शव नहर से निकाले जा सके. मासूमों के शव को देखकर परिजनों में कोहराम मच गया. अब किसे कौन दिलासा दे, कौन समझाए. उनके लिये क्या कहें जो लौट के घर ना आए...




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