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हर बीमारी से निजात दिलाता है फिजियोथेरेपी - side effect

फिजियोथेरेपी एक चमत्कारी चिकित्सा पद्धति है. आधुनिक युग में महत्वपूर्ण औषधि रहित व साइड इफेक्ट से परे, एक ऐसी विधा है जो पूर्णरूप से विभिन्न रोगों के उपचार में प्रभावी व कारगर है. यह बातें बुधवार को विश्व फिजियोथैरेपिस्ट दिवस के मौके पर प्रोवेन्शियल फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल मिश्रा ने कहीं.

हर बीमारी से निजात दिलाता है फिजियोथेरेपी
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Published : Sep 9, 2021, 11:16 AM IST

लखनऊ: फिजियोथेरेपी एक चमत्कारी चिकित्सा पद्धति है. आधुनिक युग में महत्वपूर्ण औषधि रहित व साइड इफेक्ट से परे, एक ऐसी विधा है जो पूर्णरूप से विभिन्न रोगों के उपचार में प्रभावी व कारगर है. आज की भागदौड़ भरी व तनावपूर्ण जीवन शैली में हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं क्योंकि शारीरिक देखभाल को दरकिनार कर हम अपने कार्यों व उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने में समय गुजार देते हैं. यह बातें बुधवार को विश्व फिजियोथैरेपिस्ट दिवस के मौके पर प्रोवेन्शियल फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल मिश्रा ने कहीं.

उन्होंने कहा कि, ऐसे में शारीरिक कमजोरी व अवसाद से ग्रसित होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इसी संदर्भ में फिजियोथेरेपी एक महत्वपूर्ण विधा है जो शरीर को मजबूत बनाने में कारगर है. जिसके द्वारा जोड़ों को पूर्ण रूप से गतिशील व मांसपेशियों को सुदृढ़ किया जा सकता है. वर्तमान परिवेष में अधिकांष लोग कमर दर्द, गर्दन दर्द, गठिया, लकवा और अन्य विभिन्न प्रकार की व्याधियों से ग्रसित हो रहे हैं. इन सब प्रकार की समस्याओं से निजात दिलाने में फिजियोथेरेपी पूर्ण रूप से प्रभावी व कारगर चिकित्सा पद्धति है. जिसमें बिना दवा प्रयोग किए मरीजों को शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाते हुए बीमारी से पूर्ववत अवस्था में लाने की कोशिश की जाती हैं. इस विधा में हीट थेरेपी, कोल्ड थेरेपी, इलेक्ट्रिक उपकरण, मैग्नेटिज्म व विभिन्न प्रकार के कसरतों का प्रयोग किया जाता है.

उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने पूरे विश्व में अफरा-तफरी मचा रखी है. जिसमें किसी भी प्रकार की औशधि का शत-प्रतिशत प्रभावित होना नहीं पाया गया. जिसके फलस्वरूप लाखों करोड़ों लोगों को जिंदगी से हारना पड़ा. लेकिन फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति ऐसे मरीजों के लिए वरदान साबित हुई. जिससे उनके श्वसन तंत्र को मजबूत बनाकर शरीर को सुदृढ़ता प्रदान करते हुए पहले की तरह जीवन प्रदान किया है. इस चिकित्सा पद्धति की महत्ता को सभी के द्वारा स्वीकार किया गया. कोविड-19 की द्वितीय खतरनाक लहर के दौरान बहुत से मरीज फेफड़ों के इंफेक्शन के चलते आईसीयू में व वेन्टिलेटर पर जिन्दगी की लड़ाई लड़ने में अक्षम थे. ऐसे में फिजियोथेरैपी चिकित्सा ने उनकों इससे निजात दिलाकर जिंदगी वापस दी. फिजियोथेरैपिस्ट ने अपनी जिंदगी पर खेलकर सेवाएं दी व बहुत से मरीजों को जीवनदान दिया.

प्रोवेन्शियल फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री अनिल कुमार ने बताया कि प्रदेश में लगभग 25 से 30 हजार फिजियोथैरेपिस्ट स्टेट मेडिकल फैकल्टी में इनरोल्ड हैं. महानिदेशक स्वास्थ्य द्वारा प्रस्तुत डाटा के अनुसार प्रदेश के राजकीय चिकित्सालय में 504 फिजियोथैरेपिस्ट तैनात हैं. जिसमें केवल 57 फिजियोथैरेपिस्ट नियमित व 447 फिजियोथैरेपिस्ट संविदा के आधार पर है. चिकित्सा शिक्षा में भी फिजियोथैरेपिस्टों की संख्या लगभग इतनी ही है. सरकारी अस्पतालों व संस्थानों में फिजियोथेरेपिस्टों की संख्या नगण्य है. जिसके कारण प्रदेश की जनता इस सुविधा का लाभ नही ले पा रही है. वही हजारों की संख्या में प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट बेरोजगारी का दंष झेल रहे है.

एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल मिश्रा और महामंत्री अनिल कुमार ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से विश्व फिजियोथेरेपिस्ट दिवस पर मांग की है कि वर्तमान परिवेश व इस विधा की आवश्यकता को देखते हुए प्रदेश के सभी विशिष्ठ संस्थान, जिला चिकित्सालय, सीएचसी एवं पीएचसी पर फिजियोथेरेपिस्ट की मानक के अनुसार पद सृजन किए जाए. और उस पर नियमित नियुक्ति हो. केन्द्र की भांति कैडर पुनर्गठन, संविदा पर कार्यरत फिजियोथैरेपिस्ट को जीएनएम व एएनएम की भांति नियमित नियुक्ति में वरीयता प्रदान किये जाने का प्राविधान किया जाए. जिसमें प्रदेश की जनता को उक्त विधा का लाभ प्राप्त हो सके.

लखनऊ: फिजियोथेरेपी एक चमत्कारी चिकित्सा पद्धति है. आधुनिक युग में महत्वपूर्ण औषधि रहित व साइड इफेक्ट से परे, एक ऐसी विधा है जो पूर्णरूप से विभिन्न रोगों के उपचार में प्रभावी व कारगर है. आज की भागदौड़ भरी व तनावपूर्ण जीवन शैली में हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं क्योंकि शारीरिक देखभाल को दरकिनार कर हम अपने कार्यों व उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने में समय गुजार देते हैं. यह बातें बुधवार को विश्व फिजियोथैरेपिस्ट दिवस के मौके पर प्रोवेन्शियल फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल मिश्रा ने कहीं.

उन्होंने कहा कि, ऐसे में शारीरिक कमजोरी व अवसाद से ग्रसित होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इसी संदर्भ में फिजियोथेरेपी एक महत्वपूर्ण विधा है जो शरीर को मजबूत बनाने में कारगर है. जिसके द्वारा जोड़ों को पूर्ण रूप से गतिशील व मांसपेशियों को सुदृढ़ किया जा सकता है. वर्तमान परिवेष में अधिकांष लोग कमर दर्द, गर्दन दर्द, गठिया, लकवा और अन्य विभिन्न प्रकार की व्याधियों से ग्रसित हो रहे हैं. इन सब प्रकार की समस्याओं से निजात दिलाने में फिजियोथेरेपी पूर्ण रूप से प्रभावी व कारगर चिकित्सा पद्धति है. जिसमें बिना दवा प्रयोग किए मरीजों को शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाते हुए बीमारी से पूर्ववत अवस्था में लाने की कोशिश की जाती हैं. इस विधा में हीट थेरेपी, कोल्ड थेरेपी, इलेक्ट्रिक उपकरण, मैग्नेटिज्म व विभिन्न प्रकार के कसरतों का प्रयोग किया जाता है.

उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने पूरे विश्व में अफरा-तफरी मचा रखी है. जिसमें किसी भी प्रकार की औशधि का शत-प्रतिशत प्रभावित होना नहीं पाया गया. जिसके फलस्वरूप लाखों करोड़ों लोगों को जिंदगी से हारना पड़ा. लेकिन फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति ऐसे मरीजों के लिए वरदान साबित हुई. जिससे उनके श्वसन तंत्र को मजबूत बनाकर शरीर को सुदृढ़ता प्रदान करते हुए पहले की तरह जीवन प्रदान किया है. इस चिकित्सा पद्धति की महत्ता को सभी के द्वारा स्वीकार किया गया. कोविड-19 की द्वितीय खतरनाक लहर के दौरान बहुत से मरीज फेफड़ों के इंफेक्शन के चलते आईसीयू में व वेन्टिलेटर पर जिन्दगी की लड़ाई लड़ने में अक्षम थे. ऐसे में फिजियोथेरैपी चिकित्सा ने उनकों इससे निजात दिलाकर जिंदगी वापस दी. फिजियोथेरैपिस्ट ने अपनी जिंदगी पर खेलकर सेवाएं दी व बहुत से मरीजों को जीवनदान दिया.

प्रोवेन्शियल फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री अनिल कुमार ने बताया कि प्रदेश में लगभग 25 से 30 हजार फिजियोथैरेपिस्ट स्टेट मेडिकल फैकल्टी में इनरोल्ड हैं. महानिदेशक स्वास्थ्य द्वारा प्रस्तुत डाटा के अनुसार प्रदेश के राजकीय चिकित्सालय में 504 फिजियोथैरेपिस्ट तैनात हैं. जिसमें केवल 57 फिजियोथैरेपिस्ट नियमित व 447 फिजियोथैरेपिस्ट संविदा के आधार पर है. चिकित्सा शिक्षा में भी फिजियोथैरेपिस्टों की संख्या लगभग इतनी ही है. सरकारी अस्पतालों व संस्थानों में फिजियोथेरेपिस्टों की संख्या नगण्य है. जिसके कारण प्रदेश की जनता इस सुविधा का लाभ नही ले पा रही है. वही हजारों की संख्या में प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट बेरोजगारी का दंष झेल रहे है.

एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल मिश्रा और महामंत्री अनिल कुमार ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से विश्व फिजियोथेरेपिस्ट दिवस पर मांग की है कि वर्तमान परिवेश व इस विधा की आवश्यकता को देखते हुए प्रदेश के सभी विशिष्ठ संस्थान, जिला चिकित्सालय, सीएचसी एवं पीएचसी पर फिजियोथेरेपिस्ट की मानक के अनुसार पद सृजन किए जाए. और उस पर नियमित नियुक्ति हो. केन्द्र की भांति कैडर पुनर्गठन, संविदा पर कार्यरत फिजियोथैरेपिस्ट को जीएनएम व एएनएम की भांति नियमित नियुक्ति में वरीयता प्रदान किये जाने का प्राविधान किया जाए. जिसमें प्रदेश की जनता को उक्त विधा का लाभ प्राप्त हो सके.

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