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PHD चेंबर के को-चेयरमैन ने कहा- समृद्ध किसानों को टैक्स के दायरे में लाएं - manish khemka reaction over union budget 2021

एक फरवरी को केंद्र सरकार बजट पेश करेगी. केंद्रीय बजट को लेकर ईटीवी भारत ने पीएचडी चेंबर के को-चेयरमैन मनीष खेमका से खास बातचीत की. बजट को लेकर मनीष खेमका ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को फोकस करना होगा. वहीं सरकार समृद्ध किसानों को टैक्स के दायरे में लाए.

एक फरवरी को पेश होगा आम बजट 2021.
एक फरवरी को पेश होगा आम बजट 2021.
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Published : Jan 29, 2021, 5:08 PM IST

Updated : Jan 29, 2021, 7:46 PM IST

लखनऊ: केंद्र सरकार के आने वाले आम बजट को लेकर पीएचडी चेंबर के को-चेयरमैन मनीष खेमका ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा कि इस बार स्वाभाविक रूप से बजट सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि कोरोना वायरस के दंश को देश झेल रहा है. इस वायरस की वजह से राजस्व में काफी कमी आई है. यूनाइटेड नेशंस का जो आकलन है, उसके अनुसार करीब 10 प्रतिशत का कंट्रक्शन आना चाहिए. कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है. उसमें सुधार के लिए सरकार प्रावधान करेगी.

एक फरवरी को पेश होगा आम बजट 2021.

देश की अर्थव्यवस्था डबल डिजिट में बढ़ेगी आगे
मनीष खेमका ने कहा कि इसी के साथ-साथ आईएमएफ ने यह उम्मीद जताई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था करीब 11.5% की रेट से आगे बढ़ेगी. भारत की अर्थव्यवस्था इंटरनेशनल लेवल पर बड़ी अर्थव्यवस्था है. उस हिसाब से भारत की अर्थव्यवस्था double-digit में बढ़ेगी. यहां तक कि आईएमएफ ने चाइना को सेकंड नंबर पर रखा है, जिसकी 8.5 परसेंट की ग्रोथ रेट होगी. मुझे लगता है कि निराशा का कोई कारण नहीं है. बजट चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद राजस्व बढ़ाने को लेकर सरकार को नए साधन ढूंढने पड़ेंगे.

समृद्ध किसानों को टैक्स के दायरे में लाना चाहिए
मनीष खेमका ने कहा देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं. पिछले दिनों किसानों को लेकर एक घटनाक्रम हुआ, जिसमें जो समृद्ध किसान हैं उन्होंने दो लाख ट्रैक्टर्स के साथ पूरी दिल्ली को जाम करने का काम किया. मुझे कोई वजह नहीं लगती है कि उन समृद्ध किसानों को आयकर के दायरे में नहीं लाया जा सकता है. मुझे लगता है कि जो गरीब किसान हैं उनकी मदद के लिए समृद्ध किसानों को केंद्र सरकार को आयकर के दायरे में लाना चाहिए. किसानों का यह बहुत बड़ा समृद्ध वर्ग है, जो छूटा हुआ है.

टैक्स के दायरे में लाकर जुटाए जा सकते हैं एक लाख करोड़ रुपये
मनीष खेमका ने कहा कि नीति आयोग ने भी अपने रिसर्च में कहा था कि देश के जो 90% वास्तव में किसान हैं, उन्हें तो मदद की जरूरत है. उनकी आमदनी कम है. उनकी जोत छोटी हैं, लेकिन 4% किसान हैं, जो समृद्ध किसान हैं. अगर उन्हें इनकम टैक्स के दायरे में लाया जाता है तो करीब 80 हजार करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं. यह नीति आयोग का मानना है. हम लोगों का मानना है कि करीब एक लाख करोड़ सरकार इन समृद्ध किसानों से जुटा सकती है.

मिडिल क्लास पर नहीं बढ़ाने चाहिए टैक्स
मनीष खेमका कहते हैं कि शहर में रहने वाला मिडिल क्लास का व्यक्ति किराए पर रहता है. अगर 50 हजार रुपये की उसके पास बाइक रहती है और ढाई लाख से ज्यादा कमाता है तो नियमों के मुताबिक इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य होता है. वहीं अगर पांच लाख तक की इनकम वाला व्यक्ति टैक्स के दायरे में आता है तो ऐसी स्थिति में जो सात लाख का ट्रैक्टर रखने वाला व्यक्ति और देश की राजधानी ट्रैक्टरों से जाम करने वाला जो समृद्ध किसान है उसे भी टैक्स के दायरे में क्यों नहीं लाया जा सकता.

मनीष खेमका ने कहा कि गरीब किसानों की मदद के लिए समृद्ध किसानों को आयकर के दायरे में लाया जाना चाहिए. इससे एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व राज्य सरकार को प्राप्त होगा. इसके अलावा जो नए टैक्स हैं उन्हें लाने में सरकार को बचना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि संभवता सरकार नहीं लाएगी. जो स्टैंडर्ड डिडक्शन की मांग है ₹50000 की सरकार उसे ₹100000 कर सकती है. इससे जो नौकरीपेशा वाले लोग हैं, उनको काफी राहत मिल सकती है. मुझे लगता है कि इन कदमों से सरकार राजस्व भी जुटा सकती है.

कोरोना से निपटने के भी होंगे इंतजाम
मनीष खेमका ने कहा कि जो मध्यम वर्ग के लोग हैं उन पर कर के अतिरिक्त बोझ लगाने से बचा जा सकता है. इसके अलावा कोरोना वायरस को लेकर में सरकार इस बजट में तमाम महत्वपूर्ण प्रावधान कर सकती है. स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने को लेकर और केंद्र सरकार ने पहले के अपने बजट में फिट इंडिया मूवमेंट की घोषणा भी की थी. मुझे लगता है कि सरकार अपने पिछले बजट की घोषणा पर ही कायम रहे और उसी फिट इंडिया मूवमेंट के अंतर्गत कुछ चीजों को और आगे बढ़ाएगी तो आम जनता को इससे राहत मिलेगी. इन प्रावधानों के साथ कोरोना के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र में उसके ऊपर खर्च को बढ़ाकर सरकार अर्थव्यवस्था को भी सुधार सकती है और लोगों को राहत मिल सकती है.

लखनऊ: केंद्र सरकार के आने वाले आम बजट को लेकर पीएचडी चेंबर के को-चेयरमैन मनीष खेमका ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा कि इस बार स्वाभाविक रूप से बजट सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि कोरोना वायरस के दंश को देश झेल रहा है. इस वायरस की वजह से राजस्व में काफी कमी आई है. यूनाइटेड नेशंस का जो आकलन है, उसके अनुसार करीब 10 प्रतिशत का कंट्रक्शन आना चाहिए. कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है. उसमें सुधार के लिए सरकार प्रावधान करेगी.

एक फरवरी को पेश होगा आम बजट 2021.

देश की अर्थव्यवस्था डबल डिजिट में बढ़ेगी आगे
मनीष खेमका ने कहा कि इसी के साथ-साथ आईएमएफ ने यह उम्मीद जताई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था करीब 11.5% की रेट से आगे बढ़ेगी. भारत की अर्थव्यवस्था इंटरनेशनल लेवल पर बड़ी अर्थव्यवस्था है. उस हिसाब से भारत की अर्थव्यवस्था double-digit में बढ़ेगी. यहां तक कि आईएमएफ ने चाइना को सेकंड नंबर पर रखा है, जिसकी 8.5 परसेंट की ग्रोथ रेट होगी. मुझे लगता है कि निराशा का कोई कारण नहीं है. बजट चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद राजस्व बढ़ाने को लेकर सरकार को नए साधन ढूंढने पड़ेंगे.

समृद्ध किसानों को टैक्स के दायरे में लाना चाहिए
मनीष खेमका ने कहा देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं. पिछले दिनों किसानों को लेकर एक घटनाक्रम हुआ, जिसमें जो समृद्ध किसान हैं उन्होंने दो लाख ट्रैक्टर्स के साथ पूरी दिल्ली को जाम करने का काम किया. मुझे कोई वजह नहीं लगती है कि उन समृद्ध किसानों को आयकर के दायरे में नहीं लाया जा सकता है. मुझे लगता है कि जो गरीब किसान हैं उनकी मदद के लिए समृद्ध किसानों को केंद्र सरकार को आयकर के दायरे में लाना चाहिए. किसानों का यह बहुत बड़ा समृद्ध वर्ग है, जो छूटा हुआ है.

टैक्स के दायरे में लाकर जुटाए जा सकते हैं एक लाख करोड़ रुपये
मनीष खेमका ने कहा कि नीति आयोग ने भी अपने रिसर्च में कहा था कि देश के जो 90% वास्तव में किसान हैं, उन्हें तो मदद की जरूरत है. उनकी आमदनी कम है. उनकी जोत छोटी हैं, लेकिन 4% किसान हैं, जो समृद्ध किसान हैं. अगर उन्हें इनकम टैक्स के दायरे में लाया जाता है तो करीब 80 हजार करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं. यह नीति आयोग का मानना है. हम लोगों का मानना है कि करीब एक लाख करोड़ सरकार इन समृद्ध किसानों से जुटा सकती है.

मिडिल क्लास पर नहीं बढ़ाने चाहिए टैक्स
मनीष खेमका कहते हैं कि शहर में रहने वाला मिडिल क्लास का व्यक्ति किराए पर रहता है. अगर 50 हजार रुपये की उसके पास बाइक रहती है और ढाई लाख से ज्यादा कमाता है तो नियमों के मुताबिक इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य होता है. वहीं अगर पांच लाख तक की इनकम वाला व्यक्ति टैक्स के दायरे में आता है तो ऐसी स्थिति में जो सात लाख का ट्रैक्टर रखने वाला व्यक्ति और देश की राजधानी ट्रैक्टरों से जाम करने वाला जो समृद्ध किसान है उसे भी टैक्स के दायरे में क्यों नहीं लाया जा सकता.

मनीष खेमका ने कहा कि गरीब किसानों की मदद के लिए समृद्ध किसानों को आयकर के दायरे में लाया जाना चाहिए. इससे एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व राज्य सरकार को प्राप्त होगा. इसके अलावा जो नए टैक्स हैं उन्हें लाने में सरकार को बचना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि संभवता सरकार नहीं लाएगी. जो स्टैंडर्ड डिडक्शन की मांग है ₹50000 की सरकार उसे ₹100000 कर सकती है. इससे जो नौकरीपेशा वाले लोग हैं, उनको काफी राहत मिल सकती है. मुझे लगता है कि इन कदमों से सरकार राजस्व भी जुटा सकती है.

कोरोना से निपटने के भी होंगे इंतजाम
मनीष खेमका ने कहा कि जो मध्यम वर्ग के लोग हैं उन पर कर के अतिरिक्त बोझ लगाने से बचा जा सकता है. इसके अलावा कोरोना वायरस को लेकर में सरकार इस बजट में तमाम महत्वपूर्ण प्रावधान कर सकती है. स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने को लेकर और केंद्र सरकार ने पहले के अपने बजट में फिट इंडिया मूवमेंट की घोषणा भी की थी. मुझे लगता है कि सरकार अपने पिछले बजट की घोषणा पर ही कायम रहे और उसी फिट इंडिया मूवमेंट के अंतर्गत कुछ चीजों को और आगे बढ़ाएगी तो आम जनता को इससे राहत मिलेगी. इन प्रावधानों के साथ कोरोना के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र में उसके ऊपर खर्च को बढ़ाकर सरकार अर्थव्यवस्था को भी सुधार सकती है और लोगों को राहत मिल सकती है.

Last Updated : Jan 29, 2021, 7:46 PM IST
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