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पीजीआई के डॉक्टरों ने तीसरा ऑपरेशन कर दी नई जिंदगी, 49 साल के मरीज की 7 घंटे चली सर्जरी - जटिल आपरेशन

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एक्सपर्ट डाॅक्टरों ने एक बार फिर नायाब सर्जरी करने में कामयाबी हासिल की है. चिकित्सकों ने जटिल ऑपरेशन कर मरीज को जीवनदान दिया है.

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Published : Jul 21, 2023, 6:55 AM IST

Updated : Jul 21, 2023, 7:27 AM IST

लखनऊ : पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में डॉक्टरों ने 49 साल के मरीज को तीसरी बार हुए कैंसर का जटिल ऑपरेशन कर नई जिंदगी दी है. मरीज के ठीक होने पर छुट्टी कर घर भेज दिया है. मरीज अब स्वस्थ्य है. डॉक्टर ने मरीज को रेडिएशन व कीमो की सलाह के लिए रेडियोथेरेपी के डॉक्टर के पास भेजा है. डॉक्टर का कहना है कि 'मरीज को तीनों बार पेट के अलग-अलग हिस्से में कैंसर होने का कारण आनुवांशिक हो सकता है. इन कारणों की तलाश के लिए शोध शुरू कर दिया है, साथ ही इस जटिल ऑपरेशन को इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित करने के भेज रहे हैं.'

मरीज की 7 घंटे चली सर्जरी
मरीज की 7 घंटे चली सर्जरी


पहले छोटी आंत का कैंसर : पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि 'कानपुर निवासी 49 साल के प्रेम शंकर 2009 में पहली बार पीलिया का इलाज कराने संस्थान आए. जांच में पैंक्रियाज के पास छोटी आंत का कैंसर निकला. डॉक्टरों ने विपल तकनीक से सफल आपरेशन किया. ऑपरेशन के दौरान पित्त की नली, पैंक्रियाज की नली को नये सिरे से बनाकर आमाशय से जोड़ा गया था. चार साल बाद मरीज़ के दायीं बड़ी आंत में कैंसर होने पर सफल ऑपरेशन किया था.'

ऑपरेशन में लगे सात घंटे : डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि '10 साल बाद मरीज को हिमोग्लोबिन का स्तर पांच होने पर जांच में मरीज के बड़ी आंत के बायें हिस्से में कैंसर निकला. तीसरी बार ऑपरेशन करना काफी जटिल था. पेट में चीरा लगाने पर आंतों के आपस में चिपकने की वजह से कैंसर वाला ट्यूमर दिखाई नहीं दे रहा था. आंत को अलग करने के बाद ट्यूमर व आस-पास फैले कैंसर के लिम्फनोड को निकाला. पहले ऑपरेशन में पित्त की नली, पैंक्रियाज की नली और आमाशय के बनाये गए रास्ते में भी कैंसर फैल गया था. इस हिस्से को भी निकाला गया. यह रास्ते दोबारा से बनाये गए. दो चरण में किये गए ऑपरेशन में सात घंटे लगे. डॉ. अशोक ने बताया कि यदि कैंसर मरीज नियमित डॉक्टर के संपर्क में रहे तो इलाज संभव है.'

ऑपरेशन टीम में थे यह डॉक्टर : ऑपरेशन करने वाली टीम में गैस्ट्रो सर्जरी के डॉ. अशोक कुमार, डॉ. सोमनाथ, डॉ. श्रीनिवास, डॉ. प्रशांत के अलावा एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. अरुणा भारती, डॉ. चेतना, डॉ. जमाल, डॉ. अनिल के अलावा नर्स अनीता और कंचन शामिल रहीं.

यह भी पढ़ें : Cow Milk : कनाडा और ब्राजील की तकनीक अपनाकर यूपी की देशी गायों में की जाएगी दूध की बढ़ोतरी

लखनऊ : पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में डॉक्टरों ने 49 साल के मरीज को तीसरी बार हुए कैंसर का जटिल ऑपरेशन कर नई जिंदगी दी है. मरीज के ठीक होने पर छुट्टी कर घर भेज दिया है. मरीज अब स्वस्थ्य है. डॉक्टर ने मरीज को रेडिएशन व कीमो की सलाह के लिए रेडियोथेरेपी के डॉक्टर के पास भेजा है. डॉक्टर का कहना है कि 'मरीज को तीनों बार पेट के अलग-अलग हिस्से में कैंसर होने का कारण आनुवांशिक हो सकता है. इन कारणों की तलाश के लिए शोध शुरू कर दिया है, साथ ही इस जटिल ऑपरेशन को इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित करने के भेज रहे हैं.'

मरीज की 7 घंटे चली सर्जरी
मरीज की 7 घंटे चली सर्जरी


पहले छोटी आंत का कैंसर : पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि 'कानपुर निवासी 49 साल के प्रेम शंकर 2009 में पहली बार पीलिया का इलाज कराने संस्थान आए. जांच में पैंक्रियाज के पास छोटी आंत का कैंसर निकला. डॉक्टरों ने विपल तकनीक से सफल आपरेशन किया. ऑपरेशन के दौरान पित्त की नली, पैंक्रियाज की नली को नये सिरे से बनाकर आमाशय से जोड़ा गया था. चार साल बाद मरीज़ के दायीं बड़ी आंत में कैंसर होने पर सफल ऑपरेशन किया था.'

ऑपरेशन में लगे सात घंटे : डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि '10 साल बाद मरीज को हिमोग्लोबिन का स्तर पांच होने पर जांच में मरीज के बड़ी आंत के बायें हिस्से में कैंसर निकला. तीसरी बार ऑपरेशन करना काफी जटिल था. पेट में चीरा लगाने पर आंतों के आपस में चिपकने की वजह से कैंसर वाला ट्यूमर दिखाई नहीं दे रहा था. आंत को अलग करने के बाद ट्यूमर व आस-पास फैले कैंसर के लिम्फनोड को निकाला. पहले ऑपरेशन में पित्त की नली, पैंक्रियाज की नली और आमाशय के बनाये गए रास्ते में भी कैंसर फैल गया था. इस हिस्से को भी निकाला गया. यह रास्ते दोबारा से बनाये गए. दो चरण में किये गए ऑपरेशन में सात घंटे लगे. डॉ. अशोक ने बताया कि यदि कैंसर मरीज नियमित डॉक्टर के संपर्क में रहे तो इलाज संभव है.'

ऑपरेशन टीम में थे यह डॉक्टर : ऑपरेशन करने वाली टीम में गैस्ट्रो सर्जरी के डॉ. अशोक कुमार, डॉ. सोमनाथ, डॉ. श्रीनिवास, डॉ. प्रशांत के अलावा एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. अरुणा भारती, डॉ. चेतना, डॉ. जमाल, डॉ. अनिल के अलावा नर्स अनीता और कंचन शामिल रहीं.

यह भी पढ़ें : Cow Milk : कनाडा और ब्राजील की तकनीक अपनाकर यूपी की देशी गायों में की जाएगी दूध की बढ़ोतरी
Last Updated : Jul 21, 2023, 7:27 AM IST
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