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पीजीआई के डॉक्टरों ने पहली बार रोटा प्रो तकनीक से दिल की धमनी का खोला ब्लॉकेज - लखनऊ ताजा खबरें

पीजीआई में कार्डियोलॉजी विभाग की टीम ने पहली बार एक 45 वर्षीय महिला की दिल की धमनी का ब्लॉकेज रोटा प्रो तकनीक से खोला है.

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रोटा प्रो तकनीक
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Published : Apr 16, 2022, 9:39 PM IST

लखनऊ: एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने दिल की धमनी का ब्लॉकेज नई तकनीक से खोलने में सफलता पाई है. डॉक्टरों ने पहली बार रोटा प्रो तकनीक से महिला की धमनी में जमे कैल्शियम को हटाकर ब्लॉकेज का सफाया किया है.

एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ. आदित्य कपूर के मुताबिक 45 वर्षीय महिला को चेस्ट पेन हो रहा था. यह समस्या छह माह से बनी थी. महिला को उच्च रक्तचाप के साथ डायबिटीज की समस्या थी. ऐसे में एंजियोग्राफी से महिला की धमनियों में कैल्शियम जमा होने की पुष्टि हुई. वहीं, धमनी में जमा कैल्शियम कठोर हो गया था. ऐसे में ब्लॉकेज एंजियोप्लास्टी के बैलून से खोलना सम्भव नहीं था. लिहाजा डॉक्टरों ने फ्लोरोस्कोप की सहायता से दिल की धमनियों के अंदर कैथेटर के समान ड्रिल डाली. इससे धमनी में जमा कैल्सियम काटकर हटाया.

यह भी पढ़ें:कोयले की किल्लत से जूझने लगे पावर प्लांट, आने वाले समय में आ सकता है बड़ा बिजली संकट

वहीं, रोटाप्रो तकनीक का उपयोग पैर के बजाय हाथों की नस से एंजियोप्लास्टी की गई. इसमें स्टंट डालकर धमनियों को फुला दिया जाता है. स्टंट पड़ने से धमनियों में दोबारा सिकुड़ नहीं आएगी. रोटा प्रो तकनीक का उपयोग करने वाली टीम में कार्डियोलॉजी विभाग हेड डॉ. आदित्य कपूर, डॉ. सत्येंद्र तिवारी, डॉ. रूपाली खन्ना व डॉ. अंकित साहू थे. संस्थान के निदेशक डॉ. आर के धीमन ने कार्डियोलाजी की पूरी टीम को बधाई दी है.

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लखनऊ: एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने दिल की धमनी का ब्लॉकेज नई तकनीक से खोलने में सफलता पाई है. डॉक्टरों ने पहली बार रोटा प्रो तकनीक से महिला की धमनी में जमे कैल्शियम को हटाकर ब्लॉकेज का सफाया किया है.

एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ. आदित्य कपूर के मुताबिक 45 वर्षीय महिला को चेस्ट पेन हो रहा था. यह समस्या छह माह से बनी थी. महिला को उच्च रक्तचाप के साथ डायबिटीज की समस्या थी. ऐसे में एंजियोग्राफी से महिला की धमनियों में कैल्शियम जमा होने की पुष्टि हुई. वहीं, धमनी में जमा कैल्शियम कठोर हो गया था. ऐसे में ब्लॉकेज एंजियोप्लास्टी के बैलून से खोलना सम्भव नहीं था. लिहाजा डॉक्टरों ने फ्लोरोस्कोप की सहायता से दिल की धमनियों के अंदर कैथेटर के समान ड्रिल डाली. इससे धमनी में जमा कैल्सियम काटकर हटाया.

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वहीं, रोटाप्रो तकनीक का उपयोग पैर के बजाय हाथों की नस से एंजियोप्लास्टी की गई. इसमें स्टंट डालकर धमनियों को फुला दिया जाता है. स्टंट पड़ने से धमनियों में दोबारा सिकुड़ नहीं आएगी. रोटा प्रो तकनीक का उपयोग करने वाली टीम में कार्डियोलॉजी विभाग हेड डॉ. आदित्य कपूर, डॉ. सत्येंद्र तिवारी, डॉ. रूपाली खन्ना व डॉ. अंकित साहू थे. संस्थान के निदेशक डॉ. आर के धीमन ने कार्डियोलाजी की पूरी टीम को बधाई दी है.

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