लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अग्निपथ योजना के विरोध में छात्रों का प्रदर्शन जारी है. बलिया, वाराणसी समेत कई जिलों में ट्रेनों व बसों में आगजनी कर प्रदर्शन को हिंसा के रूप में भी बदलने की कोशिश की गई है. अब सामने आया है कि इसके पीछे पीएफआई (PFI) की स्टूडेंट विंग सीएफआई (CFI) का हाथ हैं. इससे पहले 3 व 10 जून को हुई हिंसा में पीएफआई के शामिल होने के कई सबूत मिले थे.
खुफिया एजेंसी को अग्निपथ योजना की आड़ में छात्रों को भड़काने के पीछे कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया के शामिल होने से संबंधित कुछ दस्तावेज मिले हैं. सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी को कुछ ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप मिले हैं, जिसमें छात्रों को भड़काने और हिंसा करने की योजना बनाई जा रही थी. इस चैट में 17 जून को अग्निपथ योजना के खिलाफ सड़कों पर उतरने और माहौल बिगाड़ने की अपील की गई थी, जिस कारण यूपी के अलग-अलग जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए है. एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि खुफिया एजेंसियों को कुछ संगठनों के नाम मिले हैं. इसी आधार पर जांच आगे बढ़ाई जा रही है, जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी.
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा है कि अग्निपथ योजना के विरोध में किए जा रहे प्रदर्शनों में जब तक प्रतियोगी छात्रों की सहभागिता रही, तब तक पुलिस द्वारा संवेदनशील रूप से प्रदर्शनकारियों के साथ व्यवहार किया गया लेकिन अब इन प्रदर्शनों में असामाजिक तत्वों व पॉलिटिकल एलिमेंन्ट्स ने कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए घुसपैठ की व कुछ स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन किया है.
तीन जून को कानपुर में जुमे की नमाज के बाद भाजपा नेता रही नूपुर शर्मा के बयान पर हिंसा भड़की थी. इस हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ सामने आया था. जिस पर कानपुर पुलिस ने पीएफआई के 5 सदस्यों की पहचान कर 3 को गिरफ्तार किया था. हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता के पास से PFI से संबंधित दस्तावेज यूपी एटीएस के हाथ लगे थे.
साल 2020 में हाथरस में दलित बच्ची के साथ रेप व हत्या के मामले यूपी पुलिस ने CFI के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. आरोप था कि CFI के सभी सदस्य हाथरस घटना की आड़ में पूरे देश में हिंसा फैलाने की योजना बना रहे थे. हालांकि पुलिस ने इन्हें इससे पहले ही गिरफ्तार कर लिया था.
पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि कानपुर व प्रयागराज हिंसा के बाद अग्निपथ योजना के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में वो संगठन शामिल हो गए है, जो नूपुर शर्मा के बयान को लेकर हिंसा करवा रहे थे. जैन की माने तो यूपी के अलग-अलग जिलों में हो रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन को PFI व CFI हिंसा में भड़का रही है जिसे सुरक्षा एजेंसियों को किसी हाल में रोकना होगा. वो कहते हैं कि जब तक PFI को प्रतिबंधित नही किया जाता है तब तक ये संगठन यूपी में हिंसा भड़काता रहेगा.
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यूपी में हिंसा फैलाने की साजिश रच रहे ये संगठन, अग्निपथ की भी ले रहे आड़
अग्निपथ योजना को लेकर यूपी में हो रही हिंसा और कानपुर हिंसा के तार खास संगठनों से जुड़ रहे हैं. हिंसा फैलाने में इन संगठनों का अहम हाथ है. इसकी जांच हो रही है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अग्निपथ योजना के विरोध में छात्रों का प्रदर्शन जारी है. बलिया, वाराणसी समेत कई जिलों में ट्रेनों व बसों में आगजनी कर प्रदर्शन को हिंसा के रूप में भी बदलने की कोशिश की गई है. अब सामने आया है कि इसके पीछे पीएफआई (PFI) की स्टूडेंट विंग सीएफआई (CFI) का हाथ हैं. इससे पहले 3 व 10 जून को हुई हिंसा में पीएफआई के शामिल होने के कई सबूत मिले थे.
खुफिया एजेंसी को अग्निपथ योजना की आड़ में छात्रों को भड़काने के पीछे कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया के शामिल होने से संबंधित कुछ दस्तावेज मिले हैं. सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी को कुछ ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप मिले हैं, जिसमें छात्रों को भड़काने और हिंसा करने की योजना बनाई जा रही थी. इस चैट में 17 जून को अग्निपथ योजना के खिलाफ सड़कों पर उतरने और माहौल बिगाड़ने की अपील की गई थी, जिस कारण यूपी के अलग-अलग जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए है. एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि खुफिया एजेंसियों को कुछ संगठनों के नाम मिले हैं. इसी आधार पर जांच आगे बढ़ाई जा रही है, जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी.
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा है कि अग्निपथ योजना के विरोध में किए जा रहे प्रदर्शनों में जब तक प्रतियोगी छात्रों की सहभागिता रही, तब तक पुलिस द्वारा संवेदनशील रूप से प्रदर्शनकारियों के साथ व्यवहार किया गया लेकिन अब इन प्रदर्शनों में असामाजिक तत्वों व पॉलिटिकल एलिमेंन्ट्स ने कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए घुसपैठ की व कुछ स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन किया है.
तीन जून को कानपुर में जुमे की नमाज के बाद भाजपा नेता रही नूपुर शर्मा के बयान पर हिंसा भड़की थी. इस हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ सामने आया था. जिस पर कानपुर पुलिस ने पीएफआई के 5 सदस्यों की पहचान कर 3 को गिरफ्तार किया था. हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता के पास से PFI से संबंधित दस्तावेज यूपी एटीएस के हाथ लगे थे.
साल 2020 में हाथरस में दलित बच्ची के साथ रेप व हत्या के मामले यूपी पुलिस ने CFI के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. आरोप था कि CFI के सभी सदस्य हाथरस घटना की आड़ में पूरे देश में हिंसा फैलाने की योजना बना रहे थे. हालांकि पुलिस ने इन्हें इससे पहले ही गिरफ्तार कर लिया था.
पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि कानपुर व प्रयागराज हिंसा के बाद अग्निपथ योजना के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में वो संगठन शामिल हो गए है, जो नूपुर शर्मा के बयान को लेकर हिंसा करवा रहे थे. जैन की माने तो यूपी के अलग-अलग जिलों में हो रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन को PFI व CFI हिंसा में भड़का रही है जिसे सुरक्षा एजेंसियों को किसी हाल में रोकना होगा. वो कहते हैं कि जब तक PFI को प्रतिबंधित नही किया जाता है तब तक ये संगठन यूपी में हिंसा भड़काता रहेगा.
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