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विद्युत सरचार्ज बढ़ाने के खिलाफ नियामक आयोग में दाखिल हुई ऑनलाइन याचिका

बिजली कंपनियों ने प्रस्ताव में राज्य सरकार के एक पुराने आदेश का हवाला देकर कहा है कि उनका 49,827 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं पर निकल रहा है. लिहाजा उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाया जाए. इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में ऑनलाइन याचिका दाखिल की है.

विद्युत सरचार्ज बढ़ाने के खिलाफ याचिका
विद्युत सरचार्ज बढ़ाने के खिलाफ याचिका
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Published : May 17, 2021, 9:37 AM IST

लखनऊः एक बार फिर से बिजली कंपनियां उत्तर प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी चार्ज बढ़ाना चाहती हैं. इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में ऑनलाइन याचिका दाखिल की है. उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों के प्रस्ताव को असंवैधानिक घोषित करने के साथ नियामक आयोग से इसे खारिज करने की मांग की है.

दरअसल, यह बिजली कंपनियां ने उत्तर प्रदेश नियामक आयोग से रेगुलेटरी सरचार्ज बढ़ाने की मांग की है क्योंकि इनका कहना है उपभोक्ताओं पर उनका 49827 करोड़ निकल रहा है .अगर यह रेगुलेटरी चार्ज बढ़ जाता है तो इससे 12 फ़ीसदी बिजली महंगी हो जाएगी. गौरतलब है कि बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव गुपचुप तरीके से नियामक आयोग में दाखिल किया है.

महंगी हो जाएगी बिजली

उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियां एक बार फिर से रेगुलेटरी सर चार्ज बढ़ाने के लिए गुपचुप तरीके से तैयारी में है. नियामक आयोग में इसका प्रस्ताव भी दाखिल है. जबकि इस सरचार्ज के बढ़ने से विद्युत उपभोक्ताओं पर अनावश्यक दबाव बढ़ेगा और बिजली महंगी होगी. बिजली कंपनियों ने प्रस्ताव में राज्य सरकार के एक पुराने आदेश का हवाला देकर कहां है कि उनका 49,827 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं पर निकल रहा है. लिहाजा उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाया जाए.

याचिका पर सुनवाई आज

कंपनियों के प्रस्ताव को अगर आयोग की मंजूरी मिलती है तो बिजली 12 फीसद तक महंगी हो सकती है. नियामक आयोग इस प्रस्ताव पर आज को सुनवाई करेगा.
इस बीच राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की ओर से नियामक आयोग में दाखिल की गई ऑनलाइन याचिका में कहा गया है कि तीन सितंबर 2019 के टैरिफ आदेश को तीन साल के बाद संशोधित करने की बात करना विद्युत अधिनियम 2003 और नियामक आयोग द्वारा बनाए गए रेगुलेशन का उल्लंघन है.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आयोग के किसी भी आदेश पर पुनर्विचार की मांग आदेश जारी होने के अधिकतम 90 दिन के अंदर की जा सकती है. इसके विपरीत आयोग में रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव सुनवाई से मात्र दो दिन पहले दाखिल किया गया है.यह पूरी तरह गलत है और सुनवाई का हिस्सा नहीं है। इसे अविलंब खारिज किया जाना चाहिए.

लखनऊः एक बार फिर से बिजली कंपनियां उत्तर प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी चार्ज बढ़ाना चाहती हैं. इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में ऑनलाइन याचिका दाखिल की है. उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों के प्रस्ताव को असंवैधानिक घोषित करने के साथ नियामक आयोग से इसे खारिज करने की मांग की है.

दरअसल, यह बिजली कंपनियां ने उत्तर प्रदेश नियामक आयोग से रेगुलेटरी सरचार्ज बढ़ाने की मांग की है क्योंकि इनका कहना है उपभोक्ताओं पर उनका 49827 करोड़ निकल रहा है .अगर यह रेगुलेटरी चार्ज बढ़ जाता है तो इससे 12 फ़ीसदी बिजली महंगी हो जाएगी. गौरतलब है कि बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव गुपचुप तरीके से नियामक आयोग में दाखिल किया है.

महंगी हो जाएगी बिजली

उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियां एक बार फिर से रेगुलेटरी सर चार्ज बढ़ाने के लिए गुपचुप तरीके से तैयारी में है. नियामक आयोग में इसका प्रस्ताव भी दाखिल है. जबकि इस सरचार्ज के बढ़ने से विद्युत उपभोक्ताओं पर अनावश्यक दबाव बढ़ेगा और बिजली महंगी होगी. बिजली कंपनियों ने प्रस्ताव में राज्य सरकार के एक पुराने आदेश का हवाला देकर कहां है कि उनका 49,827 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं पर निकल रहा है. लिहाजा उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाया जाए.

याचिका पर सुनवाई आज

कंपनियों के प्रस्ताव को अगर आयोग की मंजूरी मिलती है तो बिजली 12 फीसद तक महंगी हो सकती है. नियामक आयोग इस प्रस्ताव पर आज को सुनवाई करेगा.
इस बीच राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की ओर से नियामक आयोग में दाखिल की गई ऑनलाइन याचिका में कहा गया है कि तीन सितंबर 2019 के टैरिफ आदेश को तीन साल के बाद संशोधित करने की बात करना विद्युत अधिनियम 2003 और नियामक आयोग द्वारा बनाए गए रेगुलेशन का उल्लंघन है.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आयोग के किसी भी आदेश पर पुनर्विचार की मांग आदेश जारी होने के अधिकतम 90 दिन के अंदर की जा सकती है. इसके विपरीत आयोग में रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव सुनवाई से मात्र दो दिन पहले दाखिल किया गया है.यह पूरी तरह गलत है और सुनवाई का हिस्सा नहीं है। इसे अविलंब खारिज किया जाना चाहिए.

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