लखनऊ: पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान कोविड-19 को लेकर लापरवाही के आरोप में गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी बीएन सिंह को मार्च महीने में हटाया गया था. मुख्यमंत्री के निर्देश पर उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई भी शुरू कराई गई थी. पिछले एक साल के दौरान नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग की तरफ से हुई जांच प्रक्रिया अब बंद कर दी गई है. उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की लापरवाही के आरोप साबित नहीं हो सके.
यह था मामला, सीएम के दौरे के बाद हुई थी कार्रवाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले साल मार्च महीने में गौतमबुद्ध नगर के दौरे पर गए थे, जहां पर अधिकारियों के साथ बैठक में जिलाधिकारी बृजेश नारायण सिंह की लापरवाही मिलने की बात सामने आई थी. इस दौरान मुख्यमंत्री से बातचीत का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें जिलाधिकारी कह रहे थे कि वह बेहतर काम कर रहे हैं और कोई लापरवाही नहीं हो रही है. अगर आपको लगता है कि काम ठीक नहीं हो रहा है तो मुझे जिलाधिकारी पद से हटा दिया जाए. मुझे कोई दिक्कत नहीं है.
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यह वीडियो वायरल होने के बाद नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई शुरू कर दी थी और गौतमबुद्ध नगर के डीएम पद से हटाकर राजस्व परिषद लखनऊ संबंध कर दिया था, लेकिन पिछले 1 साल से अधिक समय में हुई जांच प्रक्रिया के बाद अब अनुशासनिक कार्रवाई समाप्त कर दी गई है. एक साल में उनके खिलाफ आरोप पत्र देते हुए उनके जवाब लेने सहित अन्य प्रक्रिया हुई, लेकिन लापरवाही की बात स्पष्ट नहीं हो सकी. नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग को उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कोरोना नियंत्रण के दौरान लापरवाही के साक्ष्य नहीं मिले हैं, जिसके बाद कार्रवाई समाप्त कर दी गई है.
वाणिज्य कर के एडिशनल कमिश्नर का निलंबन समाप्त
वाणिज्य कर विभाग के आगरा के एडिशनल कमिश्नर डीएन सिंह का भी निलंबन समाप्त कर दिया गया है. उन्हें आगरा से हटाकर एडिशनल कमिश्नर कानपुर के कार्यालय से संबद्ध किया गया है. अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर संजीव मित्तल ने इसको लेकर आदेश जारी किया है. उल्लेखनीय है कि मथुरा के चांदी व्यापारी प्रदीप कुमार अग्रवाल से 43 लाख रुपये छीनने के मामले में वे ज्वाइंट कमिश्नर अभिषेक श्रीवास्तव के साथ निलंबित किए गए थे.
वाणिज्य कर सेवा संघ ने की थी कार्रवाई समाप्त करने की मांग
इसको लेकर उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर सेवा संघ के अध्यक्ष राज्यवर्धन सिंह के नेतृत्व में सभी पदाधिकारियों ने वाणिज्य कर आयुक्त के माध्यम से अपर मुख्य सचिव संजीव मित्तल से निलंबन को वापस करने की मांग की थी. उस मांग के माध्यम से कहा गया था कि चांदी व्यापारी से पैसे छीनने के मामले में एडिशनल कमिश्नर की कोई भूमिका नहीं है. वह खुद इस पूरे मामले को अधिकारियों के संज्ञान में लाए थे, जिसके बाद उनका निलंबन समाप्त कर दिया गया है. अपर मुख्य सचिव ने इस प्रकरण में वाणिज्य कर आयुक्त को 15 दिन के अंदर एक जांच रिपोर्ट देने का निर्देश भी दिया है.