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लखनऊ: कोरोना से ठीक हुए 50 हजार लोगों में से सिर्फ 345 ने किया प्लाज्मा डोनेशन - लखनऊ में प्लाज्मा बैंक

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होकर घर लौटने वाले मरीजों की संख्या 54 हजार 345 है, लेकिन अभी तक प्लाज्मा डोनेट करने वालों की संख्या केवल 345 है. स्थिति यह है कि अस्पतालों में प्लाज्मा के लिए भी 2 से 3 दिन की वेटिंग चल रही है.

plasma donation in lucknow
लखनऊ में 345 लोगों ने किया प्लाज्मा डोनेशन.
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Published : Oct 18, 2020, 9:21 AM IST

लखनऊ: राजधानी में बीते दिनों कोरोना का कहर इस कदर छाया कि पूरे प्रदेश भर में यहां सबसे अधिक कोरोना संक्रमित मरीज मिले. साथ ही कोरोना से मरने वालों की संख्या भी यहां सबसे अधिक रही. वहीं यहां सबसे अधिक कोरोना से संक्रमित मरीज ठीक भी हुए हैं, लेकिन इन मरीजों ने प्लाज्मा डोनेशन को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई है. लिहाजा कोरोना को परास्त करने वालों की संख्या 50 हजार के पार होने के बावजूद केवल चुनिंदा लोगों ने ही प्लाज्मा डोनेट किया है.

plasma donation in lucknow
रक्त दान कक्ष.

राजधानी लखनऊ में लगातार संक्रमण फैल रहा है. वहीं बड़ी संख्या में लोग कोरोना से जंग जीतकर अपने घर लौट रहे हैं. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो स्वस्थ हो चुके मरीजों के मुकाबले 1प्रतिशत से भी कम लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया है. डॉक्टरों के मुताबिक, तेजी से संक्रमण फैलने का कारण अनलॉक किए जाने के बाद लोगों के द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करना है. उनके मुताबिक, संक्रमण से डरे लोग एक बार कोविड-19 से ठीक हो घर जाते हैं तो प्लाज्मा देने के लिए लौटते नहीं हैं.

345 लोगों ने किया प्लाज्मा डोनेशन.

शहर में संक्रमण से ठीक होकर घर लौटने वाले मरीजों की संख्या 54 हजार 345 है, लेकिन अभी तक प्लाज्मा डोनेट करने वालों की संख्या 345 है. प्लाज्मा को लेकर के स्थिति यह है कि अस्पताल में प्लाज्मा के लिए भी 2 से 3 दिन की वेटिंग चल रही है. ऐसे में कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी नहीं मिल पा रही है.

राजधानी में तीन प्लाज्मा बैंक
राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा सके, इसके लिए राजधानी लखनऊ में पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में प्लाज्मा बैंक बनाए गए हैं. यहां पर कोरोना संक्रमण को परास्त कर चुके लोग अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं. राजधानी लखनऊ में अब तक सिर्फ 345 लोगों ने ही प्लाज्मा डोनेट किया है.

plasma donation in lucknow
केजीएमयू.

प्लाज्मा डोनेशन के लिए ये है जरूरी
कोरोना को परास्त कर चुके लोग, जो भी अपना प्लाज्मा डोनेट करना चाहते हैं, उन सभी के लिए कुछ मानकों को पूरा करना आवश्यक होता है. इस पर राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. अनुपम वर्मा व केजीएमयू की ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. तुलीका चंद्रा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि, कोई भी मरीज जो कोरोना वायरस को परास्त कर चुका है, उसकी रिपोर्ट निगेटिव आने के 14 दिन बाद तक यदि कोई सिम्टम्स नहीं होते हैं और RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव रहती है तो उस मरीज का एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है. इसके साथ-साथ 18 से 60 साल के उम्र के बीच के लोग प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं. यदि कोई अन्य बीमारी भी किसी संक्रमित मरीज को रही है तो वह मरीज भी कोरोना निगेटिव आने के बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकता है.

plasma donation in lucknow
एसजीपीजीआई.

क्या होता है प्लाज्मा?
कोरोना से स्वस्थ होकर घर आ चुके मरीजों के शरीर में वायरस से लड़ने के मुताबिक एंटीबॉडी बन जाती है. अगर एंटीबॉडी किसी अन्य गंभीर कोरोनावायरस मरीज को दी जाए तो उसका शरीर भी संक्रमण से लड़ने की क्षमता विकसित कर लेता है और जल्द ही बीमारी से उभर जाता है. इसलिए बीमारी को हराकर घर आ चुके लोगों का प्लाज्मा लिया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: विश्व ट्रामा दिवस पर केजीएमयू में वॉकाथन का आयोजन

कई लोग प्लाज्मा डोनेट कर बन रहे मिसाल
राजधानी लखनऊ में एक तरफ प्लाज्मा डोनेट करने वालों की संख्या कोरोना को परास्त कर चुके मरीजों की संख्या के मुकाबले काफी कम है, तो वहीं इस बीच कुछ लोग प्लाज्मा डोनेट कर मिसाल कायम कर रहे हैं. इस पर हमने राजधानी लखनऊ के विवेक राय और अखंड शाही से बात की, जो बीते दिनों कोरोना संक्रमित थे. जब दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आई तो उन्होंने सभी मानकों को पूरा करते हुए अपना प्लाज्मा डोनेट करने का मन बनाया, जिससे कि कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सके.

लखनऊ: राजधानी में बीते दिनों कोरोना का कहर इस कदर छाया कि पूरे प्रदेश भर में यहां सबसे अधिक कोरोना संक्रमित मरीज मिले. साथ ही कोरोना से मरने वालों की संख्या भी यहां सबसे अधिक रही. वहीं यहां सबसे अधिक कोरोना से संक्रमित मरीज ठीक भी हुए हैं, लेकिन इन मरीजों ने प्लाज्मा डोनेशन को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई है. लिहाजा कोरोना को परास्त करने वालों की संख्या 50 हजार के पार होने के बावजूद केवल चुनिंदा लोगों ने ही प्लाज्मा डोनेट किया है.

plasma donation in lucknow
रक्त दान कक्ष.

राजधानी लखनऊ में लगातार संक्रमण फैल रहा है. वहीं बड़ी संख्या में लोग कोरोना से जंग जीतकर अपने घर लौट रहे हैं. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो स्वस्थ हो चुके मरीजों के मुकाबले 1प्रतिशत से भी कम लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया है. डॉक्टरों के मुताबिक, तेजी से संक्रमण फैलने का कारण अनलॉक किए जाने के बाद लोगों के द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करना है. उनके मुताबिक, संक्रमण से डरे लोग एक बार कोविड-19 से ठीक हो घर जाते हैं तो प्लाज्मा देने के लिए लौटते नहीं हैं.

345 लोगों ने किया प्लाज्मा डोनेशन.

शहर में संक्रमण से ठीक होकर घर लौटने वाले मरीजों की संख्या 54 हजार 345 है, लेकिन अभी तक प्लाज्मा डोनेट करने वालों की संख्या 345 है. प्लाज्मा को लेकर के स्थिति यह है कि अस्पताल में प्लाज्मा के लिए भी 2 से 3 दिन की वेटिंग चल रही है. ऐसे में कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी नहीं मिल पा रही है.

राजधानी में तीन प्लाज्मा बैंक
राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा सके, इसके लिए राजधानी लखनऊ में पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में प्लाज्मा बैंक बनाए गए हैं. यहां पर कोरोना संक्रमण को परास्त कर चुके लोग अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं. राजधानी लखनऊ में अब तक सिर्फ 345 लोगों ने ही प्लाज्मा डोनेट किया है.

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केजीएमयू.

प्लाज्मा डोनेशन के लिए ये है जरूरी
कोरोना को परास्त कर चुके लोग, जो भी अपना प्लाज्मा डोनेट करना चाहते हैं, उन सभी के लिए कुछ मानकों को पूरा करना आवश्यक होता है. इस पर राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. अनुपम वर्मा व केजीएमयू की ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. तुलीका चंद्रा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि, कोई भी मरीज जो कोरोना वायरस को परास्त कर चुका है, उसकी रिपोर्ट निगेटिव आने के 14 दिन बाद तक यदि कोई सिम्टम्स नहीं होते हैं और RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव रहती है तो उस मरीज का एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है. इसके साथ-साथ 18 से 60 साल के उम्र के बीच के लोग प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं. यदि कोई अन्य बीमारी भी किसी संक्रमित मरीज को रही है तो वह मरीज भी कोरोना निगेटिव आने के बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकता है.

plasma donation in lucknow
एसजीपीजीआई.

क्या होता है प्लाज्मा?
कोरोना से स्वस्थ होकर घर आ चुके मरीजों के शरीर में वायरस से लड़ने के मुताबिक एंटीबॉडी बन जाती है. अगर एंटीबॉडी किसी अन्य गंभीर कोरोनावायरस मरीज को दी जाए तो उसका शरीर भी संक्रमण से लड़ने की क्षमता विकसित कर लेता है और जल्द ही बीमारी से उभर जाता है. इसलिए बीमारी को हराकर घर आ चुके लोगों का प्लाज्मा लिया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: विश्व ट्रामा दिवस पर केजीएमयू में वॉकाथन का आयोजन

कई लोग प्लाज्मा डोनेट कर बन रहे मिसाल
राजधानी लखनऊ में एक तरफ प्लाज्मा डोनेट करने वालों की संख्या कोरोना को परास्त कर चुके मरीजों की संख्या के मुकाबले काफी कम है, तो वहीं इस बीच कुछ लोग प्लाज्मा डोनेट कर मिसाल कायम कर रहे हैं. इस पर हमने राजधानी लखनऊ के विवेक राय और अखंड शाही से बात की, जो बीते दिनों कोरोना संक्रमित थे. जब दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आई तो उन्होंने सभी मानकों को पूरा करते हुए अपना प्लाज्मा डोनेट करने का मन बनाया, जिससे कि कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सके.

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