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अशोक सिंघल ने राम जन्मभूमि आंदोलन को पहुंचाया था विश्व पटल पर

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Published : Nov 17, 2020, 9:10 PM IST

यूपी की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को अशोक सिंघल की पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने ही कारसेवकों में जोश भरने के लिए नारा दिया था 'सौगंध राम की खाते हैं, हम मन्दिर वहीं बनायेंगे.' वरिष्ठ पत्रकार पीएन द्विवेदी बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जब गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा प्रारम्भ की तो अशोक सिंहल ने पूरा सहयोग दिया था.

अशोक सिंघल
अशोक सिंघल

लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन का जिक्र आते ही अशोक सिंघल का चेहरा सबके सामने आता है. अशोक सिंघल ने ही राम मंदिर आंदोलन को धार दी थी. 17 नवंबर को उनकी पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंहल ने राम जन्मभूमि आंदोलन को विश्व पटल पर पहुंचाया था. उन्होंने मंदिर आन्दोलन के लिए कारसेवकों को खड़ा किया. कारसेवकों में जोश भरने के लिए नारा भी दिया था कि ‘सौगंध राम की खाते हैं, हम मन्दिर वहीं बनायेंगे.’

प्रयागराज में था निवास
अशोक सिंघल का निवास तीर्थराज प्रयाग में महर्षि भरद्वाज आश्रम के पास स्थित महावीर भवन था. उनका निवास ही 1984 से मंदिर आंदोलन का मुख्य केंद्र बना था. राममंदिर आंदोलन को लेकर सारे निर्णय यहीं लिए जाते थे. सिंघल के नेतृत्व में ही विहिप ने 1984 में श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया था. इसी के बाद आंदोलन जोर पकड़ता गया.

रथयात्रा में सहयोग किया था
वरिष्ठ पत्रकार पीएन द्विवेदी बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा प्रारम्भ की थी. इस रथयात्रा को अशोक सिंहल ने पूरा सहयोग दिया था. वह कहते थे कि अगर अयोध्या में जन्मभूमि पर राम का मंदिर नहीं बनेगा, तो इस देश में हिंदू समाज और उसकी पहचान भी नहीं बचेगी.

कारसेवकों को इकठ्ठा करते रहे सिंघल
आडवाणी की रथयात्रा के बिहार पहुंचते ही वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने आडवाणी को गिरफ्तार करवा लिया था. दूसरी तरफ अशोक सिंघल अपने अभियान को जारी रखे हुए थे. अशोक सिंघल और महंत नृत्य गोपालदास के नेतृत्व में अयोध्या में कारसेवक इकट्ठा होने लगे थे. उस समय उप्र के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गोली चलाने की आज्ञा दे दी. फायरिंग में कई कारसेवक मारे गये.

वर्ष 2007 में की थी पीठ की स्थापना
अशोक सिंघल का वर्ष 2015 में आज ही के दिन 17 नवम्बर को निधन हो गया था. अपने जीवन काल में ही उन्होंने अपने आवास 'महावीर भवन' को अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ और भारत संस्कृत परिषद को दान कर दिया था. राम मंदिर आंदोलन से बुद्धिजीवियों को जोड़ने के लिए उन्होंने वर्ष 2007 में अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ की स्थापना की थी. बाद में उन्होंने अपने निवास महावीर भवन को ही पीठ का मुख्यालय बना दिया. भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी पीठ के पहले अध्यक्ष थे. वर्तमान में राज्यसभा सदस्य डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी इसके अध्यक्ष हैं.

देश उन्हें कभी भुला नहीं पाएगा
विहिप धर्म प्रसार पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र प्रमुख भोलेन्दु कहते हैं कि पूज्य अशोक सिंघल के आरएसएस प्रचारक रहते हुए राम जन्मभूमि आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद की योजना हुई. उनके आते ही आंदोलन शुरू हुआ तो उसमें अशोक सिंघल ने एक योद्धा के रूप में भूमिका निभाई. 'सिंघल जी की आत्मा, साधु संत महात्मा' वह उसी में रम गए थे. साधु संत महात्मा ही उनकी आत्मा बन गए थे. पूरे राम जन्मभूमि आंदोलन में यह दिखाई भी पड़ा. आज हमारे बीच वे होते तो उन्हें राम मंदिर निर्माण की अपार खुशी होती. उनकी आत्मा को आज संतुष्टि मिल रही होगी. भारत उन्हें कभी भुला नहीं पाएगा.

लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन का जिक्र आते ही अशोक सिंघल का चेहरा सबके सामने आता है. अशोक सिंघल ने ही राम मंदिर आंदोलन को धार दी थी. 17 नवंबर को उनकी पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंहल ने राम जन्मभूमि आंदोलन को विश्व पटल पर पहुंचाया था. उन्होंने मंदिर आन्दोलन के लिए कारसेवकों को खड़ा किया. कारसेवकों में जोश भरने के लिए नारा भी दिया था कि ‘सौगंध राम की खाते हैं, हम मन्दिर वहीं बनायेंगे.’

प्रयागराज में था निवास
अशोक सिंघल का निवास तीर्थराज प्रयाग में महर्षि भरद्वाज आश्रम के पास स्थित महावीर भवन था. उनका निवास ही 1984 से मंदिर आंदोलन का मुख्य केंद्र बना था. राममंदिर आंदोलन को लेकर सारे निर्णय यहीं लिए जाते थे. सिंघल के नेतृत्व में ही विहिप ने 1984 में श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया था. इसी के बाद आंदोलन जोर पकड़ता गया.

रथयात्रा में सहयोग किया था
वरिष्ठ पत्रकार पीएन द्विवेदी बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा प्रारम्भ की थी. इस रथयात्रा को अशोक सिंहल ने पूरा सहयोग दिया था. वह कहते थे कि अगर अयोध्या में जन्मभूमि पर राम का मंदिर नहीं बनेगा, तो इस देश में हिंदू समाज और उसकी पहचान भी नहीं बचेगी.

कारसेवकों को इकठ्ठा करते रहे सिंघल
आडवाणी की रथयात्रा के बिहार पहुंचते ही वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने आडवाणी को गिरफ्तार करवा लिया था. दूसरी तरफ अशोक सिंघल अपने अभियान को जारी रखे हुए थे. अशोक सिंघल और महंत नृत्य गोपालदास के नेतृत्व में अयोध्या में कारसेवक इकट्ठा होने लगे थे. उस समय उप्र के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गोली चलाने की आज्ञा दे दी. फायरिंग में कई कारसेवक मारे गये.

वर्ष 2007 में की थी पीठ की स्थापना
अशोक सिंघल का वर्ष 2015 में आज ही के दिन 17 नवम्बर को निधन हो गया था. अपने जीवन काल में ही उन्होंने अपने आवास 'महावीर भवन' को अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ और भारत संस्कृत परिषद को दान कर दिया था. राम मंदिर आंदोलन से बुद्धिजीवियों को जोड़ने के लिए उन्होंने वर्ष 2007 में अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ की स्थापना की थी. बाद में उन्होंने अपने निवास महावीर भवन को ही पीठ का मुख्यालय बना दिया. भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी पीठ के पहले अध्यक्ष थे. वर्तमान में राज्यसभा सदस्य डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी इसके अध्यक्ष हैं.

देश उन्हें कभी भुला नहीं पाएगा
विहिप धर्म प्रसार पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र प्रमुख भोलेन्दु कहते हैं कि पूज्य अशोक सिंघल के आरएसएस प्रचारक रहते हुए राम जन्मभूमि आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद की योजना हुई. उनके आते ही आंदोलन शुरू हुआ तो उसमें अशोक सिंघल ने एक योद्धा के रूप में भूमिका निभाई. 'सिंघल जी की आत्मा, साधु संत महात्मा' वह उसी में रम गए थे. साधु संत महात्मा ही उनकी आत्मा बन गए थे. पूरे राम जन्मभूमि आंदोलन में यह दिखाई भी पड़ा. आज हमारे बीच वे होते तो उन्हें राम मंदिर निर्माण की अपार खुशी होती. उनकी आत्मा को आज संतुष्टि मिल रही होगी. भारत उन्हें कभी भुला नहीं पाएगा.

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