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कैथेड्रल चर्च के बाहर कोरोना प्रोटोकॉल को भूल गए लोग - कैथेड्रल चर्च

राजधानी लखनऊ के कैथेड्रल चर्च में गुरुवार को क्रिसमस के मौके पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. इस दौरान लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किए. हालांकि चर्च के बाहर तैनात पीएसी के जवान लोगों से नियमों का पालन करवा रहे थे.

कोरोना प्रोटोकॉल को भूल गए लोग
कोरोना प्रोटोकॉल को भूल गए लोग
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Published : Dec 26, 2020, 9:15 AM IST

लखनऊ: राजधानी में कोरोना काल में सुरक्षा के साथ क्रिसमस का उल्लास नजर आया. हजरतगंज के कैथेड्रल चर्च में सुबह और शाम प्रार्थना हुई. हालांकि चर्च में एक बार में 200 लोगों को प्रवेश दिया जा रहा था. इसकी वजह से गेट पर विश्वासियों की भीड़ उमड़ी रही. इस दौरान लोगों ने कोरोना प्रोटोकॉल का जमकर उल्लंघन किया. लोगों ने न तो सोशल डिस्टेंसिंग बनाया और न ही मास्क लगाना जरूरी समझा.

पीएसी के बीच से होकर जाना पड़ रहा है चर्च के गेट
25 दिसंबर को कैथेड्रल चर्च के गेट तक पहुंचने के लिए पीएसी सुरक्षा के बीच से होकर गुजरना पड़ा. बैरियर के पास पीएसी जवान की निगाहें लोगों पर बनी रहीं. जो लोग मास्क लगाए बिना घूम रहे थे, उन्हें पीएसी जवान मास्क लगाने के लिए कहते थे. इसके बाद ही कैथेड्रल चर्च के अंदर जाने की अनुमति दी.

चर्च के सामने उमड़ी इतनी भीड़ से जहां कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ, वहीं कुछ व्यापारियों को फायदा भी हुआ. जैसे सैंटा कैप व्यापारी, मास्क व्यापारी आदि.

सेंटा कैप बेचते लोग.
सेंटा कैप बेचते लोग.

पांच दिनों का हिसाब एक दिन में हुआ पूरा
लालबाग के निवासी सोनू सोनकर पढ़ाई करते हैं. उन्होंने बताया कि परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वे शाम के समय मास्क बेचते हैं. सोनू आये दिन 1090 चौराहा व लोहिया पथ पर मास्क बेचते थे, लेकिन क्रिसमस-डे के दिन इन्होंने मास्क का व्यापार कैथेड्रल चर्च के बाहर लगाया. जहां पर 5 दिनों में बिकने वाले स्टॉक का माल एक दिन में बिक गया.

बताशे वाला भी आज के दिन खुश हुआ
दुबग्गा के रहने वाले दीपक तिवारी रोजाना हजरतगंज चौराहे पर पानी बताशे का ठेला लगाते हैं. उनकी रोजाना की बिक्री 1000 से 1500 तक होती थी, लेकिन 25 दिसंबर क्रिसमस के दिन उमड़ी भीड़ से उनकी एक दिन की बिक्री तीन दिन के बराबर हुई. जिसके बाद दीपक तिवारी खुश होकर घर के लिए रवाना हो गए.

सेंटा कैप की भी खूब हुई बिक्री
मौलवीगंज निवासी वसीम वैसे तो सब्जी का ठेला लगाकर फेरी करते हैं, लेकिन उन्होंने क्रिसमस के दिन हजरतगंज पहुंच कर सेंटा कैप का ठेला लगाया. उन्होंने बताया कि रोजाना फेरी कर सब्जी बेचने पर घर 200 से 300 रुपये लेकर जाता था, लेकिन आज सेंटा कैप से हुई बिक्री से परिवार के लिए मिठाई लेकर जाएंगे.

लखनऊ: राजधानी में कोरोना काल में सुरक्षा के साथ क्रिसमस का उल्लास नजर आया. हजरतगंज के कैथेड्रल चर्च में सुबह और शाम प्रार्थना हुई. हालांकि चर्च में एक बार में 200 लोगों को प्रवेश दिया जा रहा था. इसकी वजह से गेट पर विश्वासियों की भीड़ उमड़ी रही. इस दौरान लोगों ने कोरोना प्रोटोकॉल का जमकर उल्लंघन किया. लोगों ने न तो सोशल डिस्टेंसिंग बनाया और न ही मास्क लगाना जरूरी समझा.

पीएसी के बीच से होकर जाना पड़ रहा है चर्च के गेट
25 दिसंबर को कैथेड्रल चर्च के गेट तक पहुंचने के लिए पीएसी सुरक्षा के बीच से होकर गुजरना पड़ा. बैरियर के पास पीएसी जवान की निगाहें लोगों पर बनी रहीं. जो लोग मास्क लगाए बिना घूम रहे थे, उन्हें पीएसी जवान मास्क लगाने के लिए कहते थे. इसके बाद ही कैथेड्रल चर्च के अंदर जाने की अनुमति दी.

चर्च के सामने उमड़ी इतनी भीड़ से जहां कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ, वहीं कुछ व्यापारियों को फायदा भी हुआ. जैसे सैंटा कैप व्यापारी, मास्क व्यापारी आदि.

सेंटा कैप बेचते लोग.
सेंटा कैप बेचते लोग.

पांच दिनों का हिसाब एक दिन में हुआ पूरा
लालबाग के निवासी सोनू सोनकर पढ़ाई करते हैं. उन्होंने बताया कि परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वे शाम के समय मास्क बेचते हैं. सोनू आये दिन 1090 चौराहा व लोहिया पथ पर मास्क बेचते थे, लेकिन क्रिसमस-डे के दिन इन्होंने मास्क का व्यापार कैथेड्रल चर्च के बाहर लगाया. जहां पर 5 दिनों में बिकने वाले स्टॉक का माल एक दिन में बिक गया.

बताशे वाला भी आज के दिन खुश हुआ
दुबग्गा के रहने वाले दीपक तिवारी रोजाना हजरतगंज चौराहे पर पानी बताशे का ठेला लगाते हैं. उनकी रोजाना की बिक्री 1000 से 1500 तक होती थी, लेकिन 25 दिसंबर क्रिसमस के दिन उमड़ी भीड़ से उनकी एक दिन की बिक्री तीन दिन के बराबर हुई. जिसके बाद दीपक तिवारी खुश होकर घर के लिए रवाना हो गए.

सेंटा कैप की भी खूब हुई बिक्री
मौलवीगंज निवासी वसीम वैसे तो सब्जी का ठेला लगाकर फेरी करते हैं, लेकिन उन्होंने क्रिसमस के दिन हजरतगंज पहुंच कर सेंटा कैप का ठेला लगाया. उन्होंने बताया कि रोजाना फेरी कर सब्जी बेचने पर घर 200 से 300 रुपये लेकर जाता था, लेकिन आज सेंटा कैप से हुई बिक्री से परिवार के लिए मिठाई लेकर जाएंगे.

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