लखनऊ: भारत और चीन के बीच तनाव के चलते भारत में लोगों ने चीन का विरोध हर स्तर पर करना शुरू कर दिया है. इसका असर चीन के व्यवसाय पर भी हो रहा है. आक्रोश के कारण लोग त्योहार के सीजन में चीन से आने वाले सामानों को नहीं खरीद रहे. इससे उनकी बिक्री में कमी देखी जा रही है. इसी कड़ी में इस बार दीपावली के अवसर पर लोग चाइनीज लाइट के स्थान पर गाय के गोबर से बने दीयों को खरीद रहे हैं, जिसके कारण इन दीयों की बिक्री ज्यादा हो रही है. गाय के गोबर से बने दीयों की बिक्री बढ़ने से इससे जुड़े लोगों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी साथ ही गोसंवर्धन भी होगा.
दीपावली पर मिट्टी के उत्पादों के साथ ही गाय के गोबर से बने दीपक और मूर्तियां भी इस बार मार्केट में अपनी चमक बिखेरेंगी. गोबर के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बीड़ा उठाया है. संघ के आनुषांगिक संगठन सहकार भारती ने उत्तर प्रदेश में तीन करोड़ गोबर के दीप बनाने का संकल्प लिया है.
यूपी में चार हजार समूह कर रहे काम
पर्यावरण के अनुकूल गाय के गोबर और गोमूत्र विस्तृत उत्पाद जैसे दीपक, गणेश- लक्ष्मी की मूर्ति, बंदनवार, ओम, स्वास्तिक बनाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है. प्रदेश भर में 4000 समूहों को तैयार किया गया है जो गोबर का उत्पाद तैयार कर रहे हैं. अवध प्रान्त के आठ जिलों में 200 समूहों में दो हजार महिलाएं इस काम को कर रही हैं.
गोपेश्वर गोशाला में बन रहे गोबर के उत्पाद
राजधानी लखनऊ की गोपेश्वर गोशाला में गोबर के उत्पाद बनाए जा रहे हैं. गोशाला के प्रबंधक उमाकांत गुप्ता ने कहा कि गायों की दुर्दशा होती है. उनका कहना है कि जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उन्हें लोग सड़क पर छोड़ देते है, जिसके कारण वे बहुत से दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं. उनका कहना है कि इससे अच्छा मौका नहीं है जब ऐसी गायों के गोबर को उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे गाय उपयोगी हो जाएगी और उसका गोबर भी. साथ ही साथ लोगों को आर्थिक मदद भी मिलेगी. बता दें कि इस काम में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया है, जिससे कई महिलाओं को रोजगार मिल चुका है.
ऐसे तैयार होती है सामग्री
गांव के दीपक दास बताते हैं कि एक किलो गोबर को सुखाते हैं. इसके बाद उसको पीसते हैं और फिर उसको छानते हैं. एक किलो गोबर के सूखे पाउडर में 100 ग्राम लकड़ी मैदा का पाउडर मिलाते हैं. लकड़ी मैदा का पाउडर दीपक और मूर्तियां समेत अन्य उत्पादों को आकार देने में मददगार होता है. एक किलो गोबर आधारित सामग्री में करीब 150 दीपक बनते हैं. एक दीपक की कीमत दो रुपये रखी गई है.
एक माह में 15 हजार रुपये की कमाई
गोबर के उत्पाद बनाने वाले किसान एक गाय से करीब 15000 रुपये की कमाई आसानी से कर सकते हैं. उमाकांत बताते हैं कि गाय के गोबर से दीपक, खिलौना, गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां जैसे उत्पाद तैयार कर रहे हैं तो उसे एक महीने में 10 से 15 हजार रुपये तक की कमाई आसानी से हो जाती है. एक गाय हर दिन पांच किलो गोबर देती है.
हवन के लिए गोबर की संविधा
हवन करने के लिए गोबर की संविधा बनाई जा रहा है। इसे हवन में आम की लकड़ी के स्थान पर इस्तेमाल किया जा सकता है.गोशाला के सोशल मीडिया प्रभारी आनंद बताते हैं कि शहरों में आम की लकड़ियों की उपलब्धता कम है. इस कारण से हमने गोबर की लकड़ी तैयार की है. इसमें जटामासी, कपूर, गुग्गुल जैसी चीजें डाली गयीं हैं. इससे हवन करने से पर्यावरण शुद्ध होगा.
150 महिलाओं का समूह कर रहा काम
महिला टीम लीडर शशि बताती हैं कि डेढ़ सौ महिलाओं का एक समूह यहां बनाया गया है. वे गणेश लक्ष्मी की मूर्ति बनाने से लेकर दिया और संविधा बनाने में कार्य कर रही हैं. एक महिला की हर दिन की कमाई करीब 600 से 700 रुपये हो जा रही है.