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सड़कों आवारा पशुओं का डेरा, राहगीरों-किसानों का मुश्किल हो रहा जीना

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Published : Oct 21, 2021, 9:04 PM IST

खंड विकास अधिकारी पूजा सिंह ने बताया कि समय-समय पर सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों को कैटल वॉच के जरिए पकड़वाने का कार्य किया जाता है. यदि कहीं से भी शिकायत मिलती है तो उस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए कारवाई की जाती है.

आवारा पशुओं ने बढ़ाई राहगीरों की परेशानी
आवारा पशुओं ने बढ़ाई राहगीरों की परेशानी

लखनऊ: आवारा मवेशियों के झुंड के चलते लखनऊ सीतापुर हाईवे पर आए दिन होने वाली दुर्घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है. लखनऊ सीतापुर हाईवे पर एक तरफ जहां वाहनों में रफ्तार की जंग दिखती है. तो वहीं आवारा घूमने वाले मवेशियों की दबंगई भी नजर आती है.लखनऊ के मड़ियांव से लेकर इटौंजा तक जहां भी हाईवे गांव से गुजरा है वहां आवारा मवेशी रात के समय सड़क पर डेरा डाल देते हैं .जहां वाहनों का काफिला सर्विस लेन और मुख्य रोड पर जमा रहता है तो वहीं कभी कबार मवेशियों की लंबी कतार हाईवे पर इस कदर गुजरती है जैसे हाईवे उन्हीं के लिए तैयार किया गया है. इस दबंगई के कारण कई बार वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. वहीं, जब इस मामले पर अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने आश्वासन दिया कि समय-समय पर गायों को गोशाला में भेजने का काम किया जा रहा है. हालांकि, इस बयान में कितनी सच्चाई है यह तो सड़क पर खड़ी होने वाली गायों की झुंड ही बयां कर रहे हैं.


वहीं, इस पूरे मामले पर ईटीवी से बातचीत के दौरान राहगीर सुरेश वर्मा ने बताया कि लखनऊ से लेकर सीतापुर तक आवारा मवेशियों का झुंड दिन पर दिन लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. सुरेश वर्मा ने बताया कि सबसे ज्यादा समस्याएं मड़ियांव से इटौंजा तक देखने को मिलती है. उनका कहना था इटौंजा, बख्शी का तालाब और मोहना इलाके में लगभग 25 से 30 गौ आश्रय केंद्र बने हुए हैं. बावजूद उसके आवारा पशुओं को पकड़ने का काम नहीं किया जाता है. लिहाजा, इसका खामियाजा हाइवे से गुजरने वाले राहगीरों को भुगतना पड़ता है. सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं आवारा मवेशियों के चलते लगातार बढ़ती चली आ रही हैं, लेकिन इस पर कोई भी अधिकारी ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है.

सड़कों आवारा पशुओं का डेरा



राहगीर अंकुर तिवारी ने बताया कि गांव में बख्शी का तालाब और इटौंजा में 25 से 30 गौ आश्रय केंद्र बने हुए है. ग्रामीणों और राहगीरों को समस्या न हो इसके लिए सरकार ने सभी आवारा मवेशियों को पकड़ कर गो आश्रय केंद्र में भेजने का आदेश जारी किया था, लेकिन सड़कों पर इसका असर बिल्कुल विपरीत दिखाई दे रहा है. दिन पर दिन सड़कों पर आवारा मवेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं, प्रतिबंध की बात की जाए तो इस पर कोई भी प्रतिबंध लगता नहीं दिखाई दे रहा है.



वहीं, टेंपो चालक राकेश ने बताया कि आवारा मवेशियों के चलते हम लोगों को रोज समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हमारे कई टेंपो चालक ऐसे साथी हैं जो इन आवारा मवेशियों की वजह से 2 दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं. रास्तों पर आए दिन इन आवारा मवेशियों के चलते दुर्घटनाएं होती रहती हैं और लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है.

इसे भी पढ़ें-फिरोजाबाद: आवारा पशुओं से किसान परेशान, प्रशासन भी हलकान



वहीं, इस संबंध में बख्शी का तालाब तहसील के अंतर्गत नगर पंचायत अध्यक्ष व खंड विकास अधिकारी से बात की थी. खंड विकास अधिकारी पूजा सिंह ने बताया कि समय-समय पर सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों को कैटल वॉच के जरिए पकड़वाने का कार्य किया जाता है. और यदि कहीं से भी शिकायत मिलती है तो उस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए कारवाई करने का कारण हमारी तरफ से किया जाता है.

लखनऊ: आवारा मवेशियों के झुंड के चलते लखनऊ सीतापुर हाईवे पर आए दिन होने वाली दुर्घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है. लखनऊ सीतापुर हाईवे पर एक तरफ जहां वाहनों में रफ्तार की जंग दिखती है. तो वहीं आवारा घूमने वाले मवेशियों की दबंगई भी नजर आती है.लखनऊ के मड़ियांव से लेकर इटौंजा तक जहां भी हाईवे गांव से गुजरा है वहां आवारा मवेशी रात के समय सड़क पर डेरा डाल देते हैं .जहां वाहनों का काफिला सर्विस लेन और मुख्य रोड पर जमा रहता है तो वहीं कभी कबार मवेशियों की लंबी कतार हाईवे पर इस कदर गुजरती है जैसे हाईवे उन्हीं के लिए तैयार किया गया है. इस दबंगई के कारण कई बार वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. वहीं, जब इस मामले पर अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने आश्वासन दिया कि समय-समय पर गायों को गोशाला में भेजने का काम किया जा रहा है. हालांकि, इस बयान में कितनी सच्चाई है यह तो सड़क पर खड़ी होने वाली गायों की झुंड ही बयां कर रहे हैं.


वहीं, इस पूरे मामले पर ईटीवी से बातचीत के दौरान राहगीर सुरेश वर्मा ने बताया कि लखनऊ से लेकर सीतापुर तक आवारा मवेशियों का झुंड दिन पर दिन लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. सुरेश वर्मा ने बताया कि सबसे ज्यादा समस्याएं मड़ियांव से इटौंजा तक देखने को मिलती है. उनका कहना था इटौंजा, बख्शी का तालाब और मोहना इलाके में लगभग 25 से 30 गौ आश्रय केंद्र बने हुए हैं. बावजूद उसके आवारा पशुओं को पकड़ने का काम नहीं किया जाता है. लिहाजा, इसका खामियाजा हाइवे से गुजरने वाले राहगीरों को भुगतना पड़ता है. सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं आवारा मवेशियों के चलते लगातार बढ़ती चली आ रही हैं, लेकिन इस पर कोई भी अधिकारी ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है.

सड़कों आवारा पशुओं का डेरा



राहगीर अंकुर तिवारी ने बताया कि गांव में बख्शी का तालाब और इटौंजा में 25 से 30 गौ आश्रय केंद्र बने हुए है. ग्रामीणों और राहगीरों को समस्या न हो इसके लिए सरकार ने सभी आवारा मवेशियों को पकड़ कर गो आश्रय केंद्र में भेजने का आदेश जारी किया था, लेकिन सड़कों पर इसका असर बिल्कुल विपरीत दिखाई दे रहा है. दिन पर दिन सड़कों पर आवारा मवेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं, प्रतिबंध की बात की जाए तो इस पर कोई भी प्रतिबंध लगता नहीं दिखाई दे रहा है.



वहीं, टेंपो चालक राकेश ने बताया कि आवारा मवेशियों के चलते हम लोगों को रोज समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हमारे कई टेंपो चालक ऐसे साथी हैं जो इन आवारा मवेशियों की वजह से 2 दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं. रास्तों पर आए दिन इन आवारा मवेशियों के चलते दुर्घटनाएं होती रहती हैं और लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है.

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वहीं, इस संबंध में बख्शी का तालाब तहसील के अंतर्गत नगर पंचायत अध्यक्ष व खंड विकास अधिकारी से बात की थी. खंड विकास अधिकारी पूजा सिंह ने बताया कि समय-समय पर सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों को कैटल वॉच के जरिए पकड़वाने का कार्य किया जाता है. और यदि कहीं से भी शिकायत मिलती है तो उस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए कारवाई करने का कारण हमारी तरफ से किया जाता है.

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