लखनऊ: शुक्रवार यानी 12 जून को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है. इस बैठक में तमाम बातों पर चर्चा की जाएगी और निर्णय लिए जाएंगे. जिसके लिए आम आम लोग भी कुछ सुझाव दे रहे हैं. लोगों की अपील है कि तंबाकू से बने उत्पादों पर टैक्स बढ़ाए जाएं, जिससे शराब की तरह इन उत्पादों से भी सरकार को आर्थिक लाभ पहुंच सके और राजस्व मिल सके. इस अपील के पीछे कहीं ना कहीं एक सकारात्मक संदेश भी छुपा हुआ है.
राजधानी के लखनऊ कैंसर इंस्टिट्यूट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. राजीव पंत कहते हैं कि, तंबाकू से जुड़े हुए कोई भी उत्पाद चाहे वह सिगरेट हो, गुटखा हो या फिर मसाले इन सभी पर टैक्स बढ़ाना चाहिए. इससे सरकार को अधिक आमदनी तो होगी ही, साथ ही दाम बढ़ने से युवाओं का इसके प्रति रुझान कुछ कम हो सकता है और वह तंबाकू उत्पादों से विमुख हो सकते हैं.
लग्जरी उत्पादों पर भी बढ़े टैक्स
डॉ. पंत का कहना है कि कुछ लग्जरी उत्पादों पर भी टैक्स बढ़ाना चाहिए, क्योंकि इससे समृद्ध समाज के द्वारा जो टैक्स आएगा वह सरकार की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगा. वह कहते हैं कि लग्जरी कार, ज्यादा महंगे घर, ब्रांडेड कपड़े आदि पर भी टैक्स लगना चाहिए.
तंबाकू मुक्त कैंपेन की परियोजना प्रबंधक कविता शर्मा कहती हैं कि कोरोना वायरस काल में सरकार गंभीरता दिखा रही है. यह बेहद अच्छी बात है. हम यह सुझाव देना चाहते हैं कि यदि तंबाकू पर टैक्स बढ़ा दिया जाता है तो निश्चय ही पचास हजार करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हो सकती है. इसके अलावा जितने भी तंबाकू के उत्पाद से जुड़े हुए उद्योग हैं, उन पर सब्सिडी भी हटाई जानी चाहिए.
क्या कहते हैं आंकड़े
भारत सरकार के वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वे 2016-17 के अनुसार उत्तर प्रदेश में 35.5 प्रतिशत वयस्क तंबाकू का उपयोग करते हैं. उत्तर प्रदेश में 35 से 69 वर्ष के लोगों के तंबाकू उपयोग पर आने वाली कुल आर्थिक लागत वर्ष 2011 में 7335 करोड़ रुपये थी. इसमें 42 प्रतिशत प्रत्यक्ष मेडिकल लागत है और 58 प्रतिशत बीमारी की वजह से आने वाली अप्रत्यक्ष लागत है. वैश्विक स्तर पर इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि तंबाकू उपयोग को घटाने का सबसे प्रभावी उपाय तंबाकू पर टैक्स में बढ़ोतरी है.
तंबाकू उपयोग करने वालों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है. देश के वयस्कों में 28.6 प्रतिशत लोग तक इसका इस्तेमाल होता है. इनमें से कम से कम 12 लाख लोग हर साल तंबाकू की वजह से होने वाली बीमारियों से अपनी जान गंवाते हैं. तंबाकू उपयोग से होने वाली बीमारियों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत वर्ष 2011 में 1,04,500 करोड़ रुपये थी, जो देश की जीडीपी का 1.16 प्रतिशत है.
हालांकि 2020-21 के केंद्रीय बजट में सिगरेट और अन्य चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर नेशनल कलामिटी कंटिंजेंट ड्यूटी (एनसीसीडी) में हल्की वृद्धि की गई है, लेकिन सभी तंबाकू उत्पाद 2017 में जीएसटी के लागू होने के बाद से पिछले तीन साल से ज्यादा सस्ते हुए हैं.